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मदरसों के बच्चों में 'मेरे सपनों का हिंदुस्तान'

‌डिबेट में देशभक्ति के ज़ज्बे के साथ प्रतिभाएं सामने आईं

मदरसा शेखुल खुर्रमनगर लखनऊ में हुआ डिबेट कंटेस्ट

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Sunday 5 August 2018 06:59:23 PM

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लखनऊ। मदरसा शेखुल आलम साबिरिया चिश्तिया हक़ प्लाजा खुर्रमनगर लखनऊ में मिन्हाज उल कुरान इंटरनेशनल इंडिया लखनऊ के सहयोग से मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए 'मेरे सपनों का हिंदुस्तान' और 'तालीम, सियासत और मुसलमान' विषय पर डिबेट प्रतियोगिता हुई, जिसमें मदरसों के छात्र-छात्राओं ने अपने विचार रखे। डिबेट प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्र-छात्राओं की प्रतिभा निखारने, उनका ज्ञान बढ़ाना और उन्हें राष्ट्रीयस्तर पर पहचान दिलाना था। लखनऊ सेंटर में हुए इस डिबेट कंटेस्ट में राजधानी लखनऊ के अतिरिक्त सीतापुर, फैजाबाद, सुल्तानपुर, हरदोई, उन्नाव, कानपुर और आसपास के जिलों के मदरसों के 15 से 22 वर्ष के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इस प्रतियोगिता की यह ख़ास उपल‌ब्धि रही कि इसमें बड़ी संख्या में लड़कियों की भागीदारी रही।
इमरान प्रतापगढ़ी फाउंडेशन के इस डिबेट कंटेस्ट में विभिन्न मदरसों के छात्र-छात्राओं ने 'मेरे सपनों का हिंदुस्तान' और 'तालीम, सियासत और मुसलमान' विषय पर जब अपने विचार रखे तो उनमें विविधता और देशभक्ति, निष्‍ठा, शिक्षा, सामाजिक, साम्प्रदायिक सद्भाव, योग्यता से अपना मुकाम हासिल करने और तरक्की की तमन्नाओं के उद्गार निकले। उनमें अपने हिंदुस्तान के प्रति प्यार और अपनी सरज़मी की आन बान और शान की खातिर बेशुमार सपने प्रकट हुए। सभी प्रतिभागियों ने डिबेट में अपनी योग्यता से अपनी शानदार प्रतिभा का प्रदर्शन किया। हिंदुस्तान की जो खासियत है, उन्होंने उसपर प्रकाश डाला और बताया कि विविधताओं के इस देश में सभी रहवासी कितनी खूबसूरती से साथ-साथ र‌हते हैं। डिबेट कंटेस्ट में छात्र-छात्राओं ने जमकर वाहवाही लूटी। यह कंटेस्ट मदरसों के छात्र-छात्राओं और आयोजकों ‌के लिए एक यादगार डिबेट कंटेस्ट बना।
डिबेट कंटेस्ट में सैय्यद हसीब अहमद पूर्व जिला जज, बहराइच की समाजसेविका किरन भारती, अब्दुल कलाम आजाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्दुल कुद्दूस, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद अकमल ने बतौर जज अपनी जिम्मेदारी निभाई। निर्णायक मंडल ने प्रतियोगिता में पहला स्थान पाए मोहम्मद ज़ैद को 5001 रुपये का नगद पुरस्कार दिया, दूसरे स्थान पर रहे मोहम्मद सुहैल रज़ा को 2100 रुपये और तीसरे स्थान पर रहे मोहम्मद अफ्फान को 1100 रुपये का नगद पुरस्कार दिया गया। निर्णायक मंडल में समाज सेविका किरन भारती ने विजयी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए अपनी ओर से प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर आए प्रतिभागी बच्चों कोक्रमशः 2000, 1500 और 1000 रुपये का नगद पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता की पहल यश भारती अवार्ड से सम्मानित मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने की थी।
इमरान प्रतापगढ़ी ने इस अवसर पर बताया कि इस राज्यस्तरीय कंटेस्ट प्रतियोगिता के विजेताओं को दिल्ली में मदरसों के मुख्य कार्यक्रम में प्रतिभाग करने का मौका मिलेगा। इमरान प्रतापगढ़ी का कहना है कि भारतीय समाज में जब एक ऐसी धारणा थोपी जा रही है कि मदरसों के बच्चे मुख्यधारा से बाहर रहते हैं, तो मदरसे की प्रतियोगिता के प्रतिभागी बच्चों के जज्बात इस धारणा को पूरी तरह खारिज कर देते हैं। उनका कहना है कि मदरसों में जो बच्चे तालीम लेते हैं, उन्हें सिर्फ इस्लामिक शिक्षा ही नहीं दी जाती है, बल्कि समसामयिक मुद्दों और देश के विषयों पर भी गहरी जानकारी दी जाती है। उन्होंने कहा कि मदरसों के बच्चों की शिक्षा से जुड़े ग़लत मिथक को तोड़ने के लिए ही राष्ट्रीय स्तर की डिबेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है।
ग़ौरतलब है कि इमरान प्रतापगढ़ी खुद भी ख्याति प्राप्त शायर हैं और वह विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर अपनी शायरी के माध्यम से देश-विदेश में अपनी बात कहते रहते हैं। सोशल मीडिया पर भी इमरान प्रतापगढ़ी के लाखों चाहने वाले मौजूद हैं। इमरान प्रतापगढ़ी की नज्‍़म 'मदरसे' खासी लोकप्रिय हुई थी, इसीसे प्रेरित होकर वह मदरसों के बच्चों को राष्ट्रीयस्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। यह प्रतियोगिता भी सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में चर्चा का विषय बनी है, जिसकी पृष्ठभूम‌ि यह है कि भारतीय मदरसों में अपने देश के प्रति गहरी निष्ठा है और यहां पर दूसरे स्कूलों की तरह प्रतिभाएं मौजूद हैं, जो ऐसी प्रतियोगिताओं के जरिए अपनी योग्यता का शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। इस प्रतियोगिता में छात्राओं की भागीदारी और उनकी देश के ‌प्रति भावनाओं ने यह सोचने को विवश किया है कि नकारात्मक नहीं, बल्कि सकारात्मक सोचना चा‌हिए।

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