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ग्रामीण इलाकों के लि‍ए वि‍शेष टेक्‍नॉलोजी हो-राष्‍ट्रपति

इंजीनि‍यर्स सम्‍मेलन में प्रणब मुखर्जी का प्रोत्‍साहन भाषण

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Tuesday 17 September 2013 08:25:52 AM

pranab mukherjee

नई दिल्‍ली। राष्‍ट्रपति‍ प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि‍ जीवन के प्रत्‍येक क्षेत्र में इंजीनि‍यर बहुत महत्‍वपूर्ण भूमि‍का नि‍भाते हैं। उन्‍होंने कहा कि वि‍ज्ञान की मौलि‍क जानकारी को उत्‍पाद में बदलने के साथ-साथ प्रति‍भा के धनी ये लोग वि‍ज्ञान, टेक्‍नोलॉजी और समाज के बीच सेतु का काम करते हैं, इंजीनि‍यर देश की प्रौद्योगि‍की और औद्योगि‍क प्रगति‍ में योगदान देते हैं, वे आम जनता के जीवन-यापन की स्‍थि‍ति ‍में सुधार करने में मदद करते हैं, वि‍भि‍न्‍न क्षेत्रों में हमारी उपलब्‍धि‍यों के कारण भारत 21वीं सदी में एक प्रमुख देश के रूप में उभर रहा है, हमारे इंजीनि‍यरों और वैज्ञानि‍कों की नए-नए आवि‍ष्‍कार करने की क्षमता भारत को यह लक्ष्‍य हासि‍ल कराने में महत्‍वपूर्ण भूमि‍का नि‍भाएगी।राष्‍ट्रपति‍ ने कहा कि ‍यह इंजीनि‍यर्स सम्‍मेलन 2013 ऐसे समय पर हो रहा है, जब दुनि‍या वैश्‍वि‍क आर्थि‍क संकट से उबर रही है, हालांकि ‍हाल के समय में भारत की आर्थि‍क वि‍कास की गति ‍धीमी हुई है, लेकि‍न मुझे वि‍श्‍वास है कि ‍हम इस गि‍रावट को रोकने में कामयाब होंगे और वृद्धि ‍के उच्‍च स्‍तर को पहले की तरह हासि‍ल कर लेंगे।
राष्‍ट्रपति ने वि‍श्‍वास व्‍यक्‍त कि‍या कि ‍प्रति‍ व्‍यक्‍ति‍ आय में लगातार वृद्धि‍, मध्‍यम वर्ग के उपभोक्‍ताओं और युवा तथा चुस्‍त श्रम शक्‍ति‍ के कारण वि‍कास की गति‍ मजबूत बनी रहेगी। नि‍श्‍चि‍त रूप से इन सभी के मजबूत प्रयासों से यह प्रवृत्‍ति‍ बनी रहेगी और हम वैश्‍वि‍क अर्थव्‍यवस्‍था के फि‍र से संभलने पर वि‍कास की तेज गति‍ हासि‍ल कर लेंगे। उन्‍होंने कहा कि क्रय शक्‍ति ‍की समानता के मामले में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था वि‍श्‍व में तीसरी सबसे बड़ी है, पि‍छले कुछ वर्षों में हमारे देश ने वि‍कास की जो दर हासि‍ल की है, वह दुनि‍या में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है, भारत की अर्थव्‍यवस्‍था वि‍श्‍व की अन्‍य उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं में सबसे ज्‍यादा लचीली है। राष्‍ट्रपति‍ ने कहा कि ‍हमने सभी स्‍तरों पर गुणवत्‍तापूर्ण शि‍क्षा देने के लि‍ए अच्‍छे शैक्षणि‍क संस्‍थान खड़े कि‍ए हैं, उच्‍च शि‍क्षा के क्षेत्र में भारत में डि‍ग्री देने वाले 659 संस्‍थान और 31,023 कॉलेज हैं, भारतीय प्रौद्योगि‍की संस्‍थान यानी आईआईटी की संख्‍या 2006-07 में सात थी, जो 2011-12 में बढ़कर 15 हो गई, राष्‍ट्रीय प्रौद्योगि‍की संस्‍थान (संस्‍थाओं) में दाखि‍ला लेने वालों की संख्‍या 2006-07 में 1.39 करोड़ से बढ़कर 2011-12 में 2.18 करोड़ हो गई और 2006-07 में इंजीनि‍यरिंग में दाखि‍ला लेने वाले 13 प्रति‍शत थे, जो बढ़कर 25 प्रति‍शत हो गए।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि ‍तकनीकी शि‍क्षा, खासतौर से इंजीनि‍यरिंग की गुणवत्‍ता में सुधार लाने के लि‍ए अनेक कदम उठाए गए हैं, वि‍ज्ञान और इंजीनि‍यरिंग के लि‍ए वर्चुअल लैब बनाए गए हैं, तकनीकी शि‍क्षा की गुणवत्‍ता में सुधार के लि‍ए सरकार ने वि‍श्‍व बैंक की सहायता से तीन चरणों का एक कार्यक्रम शुरू कि‍या। वर्ष 2002 से 2009 तक पहले चरण में 127 इंजीनि‍यरिंग संस्‍थानों को तथा 2010 से 2014 तक दूसरे चरण में 190 से ज्‍यादा इंजीनि‍यरिंग संस्‍थान शामि‍ल कि‍ए गए हैं। राष्‍ट्रपति‍ ने कहा कि ‍वर्ष 2011 में राष्‍ट्रीय विनिर्माण नीति‍ पर गौर कि‍या गया, जि‍ससे 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र में 100 मि‍लि‍यन अति‍रि‍क्‍त नौकरि‍यां सृजि‍त होंगी, उम्‍मीद है कि ‍जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र का हि‍स्‍सा 2022 तक 25 प्रति‍शत तक बढ़ जाएगा। उन्‍होंने कहा कि ‍देश की आबादी का एक बड़ा हि‍स्‍सा गांवों में रहता हैं, इसलिए ग्रामीण इलाकों के लि‍ए वि‍शेष टेक्‍नॉलोजी तैयार करने की जरूरत है।
इंजीनियर्स कनक्‍लेव-2013 का उद्घाटन
राष्‍ट्रपति ने विज्ञान भवन में पहले इंजीनियर्स कनक्‍लेव 2013 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि यह बहुत ही उचित है कि इस कनक्‍लेव का आयोजन इंडियन नेशनल इंजीनियरिंग एकेडेमी और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मिलकर किया है। इस कनक्लेव के लिए दो थीम चुने गये हैं, जो एयरोस्पेस प्रणालियों के विनिर्माण और इंजीनियरिंग प्रणालियों की सहायता से सुंदरवन क्षेत्र के कायाकल्प से संबंधित हैं। ये दोनों विषय बहुत ही सामयिक हैं। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन में जो विचार प्रस्तुत किये जाएंगे, उन्हें व्यावहारिक रुप दिया जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की अनेक क्षेत्रों में उपलब्धियां हैं, जिनके कारण भारत 21वीं शताब्दी में एक अग्रणी देश के रुप में उभर कर सामने आयेगा। हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों में नवीकरण की जो योग्यता है, वह इस लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। उन्होंने कहा कि हर इंजीनियरी गतिविधि का केंद्र लोग होने चाहिएं और उपभोक्ताओं और छोटे कारोबारियों को इनका लाभ पहुंचना चाहिए।

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