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पोलियो उन्‍मूलन कार्यक्रम को धक्‍का

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कोलकाता। मार्च महीने के शुरू में मीडिया में खबर आई थी कि पश्चिम बंगाल की 18 महीने की एक लड़की को पोलियो है, इस पर सरकार की ओर से बताया गयाहै कि वह मामला पोलियो का नहीं था। कोलकाता के सेरोलॉजी संस्‍थान में बच्‍ची के शौच के दोनों नमूनों का परीक्षण किया गया, लेकिन पोलियो के लक्षणों की पुष्टि नहीं हुई। इस मामले की पूरी जांच की जा रही थी, लेकिन इस बीच कुछ मीडिया ने इस बच्‍ची सुमी के मामले को पोलियो का मामला बताकर प्रचारित किया, जिससे भारत के पोलियो उन्‍मूलन कार्यक्रम को भारी धक्‍का लगा है।
कोलकाता के 24 परगना दक्षिण के गांव बरूईपुर की डेढ़ साल की इस बच्‍ची सुमी नस्‍कर को इस महीने के शुरू में कोलकाता के एक अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से इसे पोलियो की जांच के लिए ले जाया गया। पोलियो अन्‍वेषण के अंतर्गत 15 साल से कम उम्र के बच्‍चे के शरीर के किसी हिस्‍से में अगर कंपन, कमजोरी या लकवे के लक्षण पाए जाते हैं, तो उसकी पूरी तरह जांच की जाती है। ऐसे मामलों को एएफपी (Acute Flaccid Paralysis) मामले कहा जाता है। एएफपी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें पोलियो भी एक कारण है, सभी एएफपी मामलों में शौच के दो नमूने लिए जाते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बीमारी का कारण पोलियो है या कुछ और है।
सुमी का मामला इस साल पता लगाए गए कई एएफपी मामलों में से एक है। उसके शौच के दो नमूने 13 व 14 मार्च को लिए गए थे और उनकी पोलियो के लिए जांच की गई थी। वर्ष 2012 में अब तक एएफपी के नौ हजार मामलों की जांच की जा चुकी है। सभी मामले पोलियो के लिए नेगेटिव पाए गए हैं। जिन एएफपी मामलों की जांच की गई है, उन मामलों का विवरण और प्रयोगशाला जांच के परिणाम राष्‍ट्रीय पोलियो निगरानी परियोजना-एनपीएसपी की वेबसाइट पर उपलब्‍ध हैं। इस जानकारी को हर सप्‍ताह संशोधित किया जाता है। इसे वेबसाइट - www.npspindia.org पर देखा जा सकता है।
तेरह जनवरी 2011 के बाद से भारत में पोलियो का कोई मामला सामने नहीं आया है और फरवरी 2012 से भारत को पोलियो महामारी वाले देशों की सूची से हटा दिया गया है, लेकिन पोलियो उन्‍मूलन का काम अभी पूरा नहीं हुआ है, क्‍योंकि पोलियो का खतरा अभी बना हुआ है, इसलिए इसे पूरी तरह समाप्‍त करने के लिए एएफपी के सभी मामलों की अच्‍छी तरह जांच के साथ पोलियो मामलों की पूरी तरह निगरानी की जाती है, जब तक प्रयोगशाला से पुष्टि न हो जाए, किसी भी एएफपी मामले को पोलियो का मामला नहीं कहा जा सकता।

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