कृष्णागुरु आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह पर बोले सर्बानंद
छात्रों को डॉक्टरेट, स्नातकोत्तर डिग्री और शैक्षणिक उपाधियां प्रदान की गईंस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 23 December 2025 01:08:41 PM
गुवाहाटी। केंद्रीय बंदरगाह जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने छात्रों से गुणवत्तापूर्ण आधुनिक शिक्षा केसाथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करने का आग्रह करते हुए कहा हैकि भारत में अमृतकाल में एक विकसित आत्मनिर्भर और मूल्य आधारित देश के निर्माण केलिए ऐसा संतुलित दृष्टिकोण जरूरी है। सर्बानंद सोनोवाल असम के बरपेटा जिले के ना-सत्रा में आयोजित कृष्णागुरु आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि भारत एक युवा प्रधान राष्ट्र है और देश के भविष्य को आकार देने की जिम्मेदारी काफी हदतक छात्रों पर है। उन्होंने कहाकि शिक्षा केवल डिग्री और तकनीकी दक्षता तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें आंतरिक शक्ति, नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारी का भी पोषण होना चाहिए। सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि गुणवत्तापूर्ण आधुनिक शिक्षा केसाथ छात्र आध्यात्मिक ज्ञान से भी प्रबुद्ध हों, तभी हम एक सशक्त समाज और विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं।
सर्बानंद सोनोवाल ने अपने जीवन के अनुभवों को याद करते हुए कहाकि उन्होंने परमगुरु कृष्णगुरु से अमूल्य शिक्षाएं प्राप्त की हैं। उन्होंने कहाकि उन्होंने अपने जीवन में जो भी जनसेवा की है, वह अपने गुरु को याद करके ही की है, मानवता, करुणा, प्रकृति केसाथ सामंजस्य और समाजसेवा के उनके उपदेश हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने कहाकि कृष्णागुरु आध्यात्मिक विश्वविद्यालय जैसे संस्थान आध्यात्मिकता और अकादमिक उत्कृष्टता का संयोजन करके समग्र शिक्षा की परिकल्पना को एक नया आयाम देते हैं। उन्होंने बतायाकि जब कृष्णागुरु सेवाश्रम की स्थापना हुई थी, तब ना-सत्रा क्षेत्र बाढ़ग्रस्त और पिछड़ा हुआ था और वहां एक सशक्त सभ्यता केंद्र का निर्माण करना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहाकि आज वह परिकल्पना एक ऐसे संस्थान के रूपमें विकसित हुई है, जो समाज में प्रकाश और मूल्यों का प्रसार करता है। छात्रों से अधिक जिम्मेदारी उठाने का आह्वान करते हुए सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि ऐसे संस्थानों से स्नातक होने वाले छात्रों को अपने चरित्र, आचरण और प्रतिबद्धता के माध्यम से अपने प्रशिक्षण को प्रतिबिंबित करना चाहिए, चाहे वे कहीं भी सेवा करें। उन्होंने छात्रों से आग्रह कियाकि वे इस अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दुनिया में समय का सदुपयोग करें और स्मार्ट कक्षाओं, स्मार्ट शिक्षकों और स्मार्ट शहरों के युग में अपने कौशल को निरंतर उन्नत करते रहें।
सर्बानंद सोनोवाल ने समग्र विकास केलिए योग के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में योग को शरीर, मन और आत्मा को सशक्त बनाने के साधन के रूपमें वैश्विक मान्यता मिली है। भारत की जनसांख्यिकीय श्रेष्ठता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहाकि जहां चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे कई देश बढ़ती उम्र की आबादी की चुनौती का सामना कर रहे हैं, वहीं भारत की युवा आबादी में देश को वैश्विक शक्ति में बदलने की क्षमता है। उन्होंने छात्रों से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी युवा केंद्रित पहलों का लाभ उठाने और उनमें योगदान देने का आह्वान किया। दीक्षांत समारोह में असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य मुख्य अतिथि थे। राज्यपाल ने सामाजिक और राष्ट्रीय सुधार में आध्यात्मिकता की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि आध्यात्मिकता मूल्यों और संस्कारों से संबंधित है, समाज और राष्ट्र का सुधार करने केलिए पहले स्वयं का सुधार करना आवश्यक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि स्नातक होने वाले छात्र इस सिद्धांत को आत्मसात करेंगे। राज्यपाल ने कहाकि ऐतिहासिक रूपसे भारत के शिक्षण संस्थान बौद्धिक और आध्यात्मिक चिंतन के वैश्विक केंद्र रहे हैं। औपचारिक पाठ्यक्रम से परे उन्होंने चरित्र निर्माण, नैतिक आचरण, करुणा और समग्र विकास पर बल दिया। उन्होंने कहाकि इस परंपरा को संरक्षित और पुनर्जीवित करना एक मजबूत और समृद्ध असम और भारत के निर्माण केलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने जतिन गोस्वामी के सम्मान की सराहना करते हुए कहाकि 93 वर्षीय महान गुरु की ऊर्जा और अनुशासन को देखना अत्यंत प्रेरणादायक था। उन्होंने कहाकि ऐसे व्यक्तित्व को सम्मानित करके न केवल व्यक्ति सम्मानित होता है, बल्कि संस्था भी सम्मानित होती है। प्रख्यात सतरिया नृत्य कलाकार और पद्मभूषण से सम्मानित जतिन गोस्वामी को भारतीय शास्त्रीय नृत्य, संस्कृति और आध्यात्मिक सौंदर्यशास्त्र में उनके आजीवन योगदान के सम्मान में मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया, जो असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन में गोस्वामी की भूमिका को स्वीकार करती हैं। उन्होंने सर्बानंद सोनोवाल के भाषण की भी प्रशंसा की और कहाकि यह पारंपरिक राजनीतिक बयानबाजी के बजाय सादगी, ज्ञान की गहराई और ईमानदारी को दर्शाता है। इस अवसर पर विभिन्न विषयों के छात्रों को डॉक्टरेट, स्नातकोत्तर डिग्री और शैक्षणिक योग्यताएं प्रदान की गईं। उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन केलिए स्वर्ण पदक दिए गए। दीक्षांत समारोह में आध्यात्मिक गुरु कृष्ण श्रीश्री प्रेमानंद प्रभु, भक्तिमाता और कृष्णगुरु फाउंडेशन ट्रस्ट की अध्यक्ष कुंतला पटवारी गोस्वामी, कुलपति प्रोफेसर मोहनचंद्र कलिता, वरिष्ठ शिक्षाविद, न्यासी, छात्र और उनके परिजन भी उपस्थित थे।