विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक
हिंदी भाषा ही नहीं, भारत की सांस्कृतिक पहचान है-डॉ जितेंद्र सिंहस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 29 October 2025 01:24:27 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी मंत्रालयों और विभागों में हिंदी का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए, क्योंकि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान का एक उभरता हुआ प्रतीक भी है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि दक्षिण भारत के कर्मचारी तेजी से हिंदी का उपयोग बढ़ा रहे हैं, जो इस बातका प्रमाण हैकि हिंदी अब संचार की एक अखिल भारतीय भाषा के रूपमें उभर रही है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार में हिंदी की उपस्थिति को सशक्त बनाने केलिए इसे आधुनिक प्रौद्योगिकी केसाथ एकीकृत करना समय की आवश्यकता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि एआई संचालित अनुवाद उपकरणों के उपयोग से हिंदी सामग्री के प्रसार, अनुवाद और व्याख्या की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप वैज्ञानिक ज्ञान अब अधिक सार्थक व सुलभ रूपमें व्यापक जनसमूह तक पहुंच रहा है। केंद्रीय राज्यमंत्री ने इस बात पर बल दियाकि सभी मंत्रालयों की वेबसाइटें हिंदी में भी समान रूपसे सुलभ होनी चाहिएं, ताकि नागरिकों को अपनी मातृभाषा में वैज्ञानिक एवं तकनीकी जानकारी सहज उपलब्ध हो सके। उन्होंने घोषणा कीकि हिंदी के प्रचार-प्रसार और प्रयोग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मंत्रालय सम्मानित तथा पुरस्कृत करेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने भाषाई विविधता के महत्व का उल्लेख करते हुए कहाकि क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण, संवर्धन और प्रोत्साहन भी हिंदी के प्रसार जितना ही आवश्यक है। उन्होंने कहाकि भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में देशके विविध भाषाई परिदृश्य की सशक्त ध्वनि प्रतिबिंबित होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि हिंदी और क्षेत्रीय भाषाएं मिलकर नवाचार, संचार तथा राष्ट्र निर्माण केलिए एक प्रभावशाली एवं समावेशी माध्यम बन सकती हैं।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने बतायाकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) कर्मचारियों केलिए हिंदी आधारित उपकरणों और संसाधनों का विकास एवं उपलब्धता सुनिश्चित कर रहा है, जिससे वैज्ञानिक संचार के क्षेत्रमें हिंदी की भूमिका पहले से अधिक सशक्त हो रही है। उन्होंने कहाकि सभी मंत्रालयों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कार्यकुशलता को और सुदृढ़ करने केलिए सरकारी कार्यप्रणाली में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए। बैठक में समिति के सदस्यों ने सुझाव दियाकि विभागीय गतिविधियों में हिंदी के प्रयोग को और व्यापक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने प्रस्ताव रखाकि वैज्ञानिक एवं तकनीकी सामग्री का हिंदी में अधिकाधिक प्रसार किया जाए, जिससे जनसामान्य केलिए इसकी सुगमता बढ़ाई जा सके। सदस्यों ने हिंदी सामग्री के प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के अधिकतम उपयोग तथा हिंदी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने की भी सिफारिश की। बैठक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ राजेश एस गोखले, एएनआरएफ के सीईओ डॉ शिवकुमार कल्याणरमन और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।