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सूर्य जीवन व ऊर्जा का परमस्रोत-राष्ट्रपति

'देशभर में भारत सरकार की सभी के लिए सौर ऊर्जा पहल'

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सभा के आठवें सत्र का उद्घाटन

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Tuesday 28 October 2025 04:44:05 PM

inauguration of the 8th session of the international solar alliance assembly

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) सभा के आठवें सत्र के उद्घाटन पर कहा हैकि मेज़बान देश और आईएसए सभा के वर्तमान अध्यक्ष के रूपमें भारत को सदस्य देशों को एक साझा मंच पर लाने पर गर्व है। उन्होंने कहाकि आईएसए मानवता की उस साझा आकांक्षा का प्रतीक है, जिसमें सौर ऊर्जा को समावेशन, गरिमा और सामूहिक समृद्धि के स्रोत के रूपमें अपनाने की भावना निहित है। उन्होंने उल्लेख कियाकि प्राचीनकाल से ही भारत और दुनियाभर की सभ्यताएं सूर्य को जीवन व ऊर्जा के परमस्रोत के रूपमें पूजती हैं, आज सुबह छठ पूजा पर भारत के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया और अपने परिवारों की खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना की। राष्ट्रपति ने कहाकि कल उन्होंने भी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया, सूर्य सभीको जोड़ता है और जब इसे एक साझा संसाधन के रूपमें देखा जाता है तो यह वैश्विक भलाई केलिए एक अभूतपूर्व शक्ति बन जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है और भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने केलिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बतायाकि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना 2015 में हुई थी और इसका स्थापना सम्मेलन 2018 में नई दिल्ली में हुआ था। उन्होंने कहाकि सौर ऊर्जा एक प्राचीन सत्य की पुर्न खोज हैकि सूर्य ऊर्जा का सबसे लोकतांत्रिक स्रोत है, जो सभी केलिए सुलभ है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार की सभी केलिए सौर ऊर्जा पहल इसी अवधारणा पर आधारित है। उन्होंने कहाकि सौर ऊर्जा केवल सुविधा संपन्न लोगों की छतों तकही सीमित नहीं रहनी चाहिए, यह सबसे गरीब लोगों के घरों को रोशन करे और आजीविका चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति केलिए नए अवसर खोले। राष्ट्रपति ने कहाकि बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जाकरण ऊर्जा के उपयोग को लोकतांत्रिक बनाएगा, जिससे नागरिक एक स्वच्छ और अधिक समतापूर्ण ग्रह के निर्माण में सक्रिय भागीदार बन सकेंगे। उन्होंने कहाकि सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच समुदायों को सशक्त बनाती है, स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देती है और ऐसे अवसर खोलती है, जो बिजली की आपूर्ति से कहीं आगे तक फैले हुए हैं, इस प्रकार सौर ऊर्जा केवल बिजली उत्पादन के बारेमें नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और समावेशी विकास के बारेमें भी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि समावेशन का विचार भारत की विकास यात्रा को परिभाषित करता है, दूर-दराज के क्षेत्रों में घरों को रोशन करने के हमारे अनुभव से हमारी ये मान्यता पुष्ट होती हैकि ऊर्जा समानता, सामाजिक समानता की नींव है। उन्होंने जिक्र कियाकि आईएसए की 'सोलर फॉर शी' पहल नीतियों, वित्तपोषण और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक हस्तक्षेप से महिलाओं को सशक्त बनाने की स्वागत योग्य पहल है। राष्ट्रपति को खुशी हुईकि भारत और कई सदस्य देशों में महिलाएं सौर इंजीनियर, उद्यमी और प्रशिक्षक बन रही हैं, वे मिनी ग्रिड का रखरखाव कर रही हैं, सौर पंप चला रही हैं और अपने क्षेत्रों में रोशनी ला रही हैं। उन्होंने कहाकि उनका नेतृत्व यह सुनिश्चित करता हैकि सौर ऊर्जा न केवल कार्बन उत्सर्जन कम करे, बल्कि लैंगिक भेदभाव को भी दूर करे। राष्ट्रपति ने सदस्य देशों से बुनियादी ढांचे से परे सोचने और लोगो के जीवन पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने हितधारकों से कहाकि एक सामूहिक कार्ययोजना विकसित करें, जो सौर ऊर्जा को रोज़गार सृजन, महिला नेतृत्व, ग्रामीण आजीविका और डिजिटल समावेशन से जोड़े। उन्होंने कहाकि देश की प्रगति को केवल मेगावाट से नहीं मापा जाना चाहिए, बल्कि प्रकाशित जीवनों की संख्या, सशक्त परिवारों की संख्या और रूपांतरित हुए समुदायों की संख्या से मापा जाना चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में वैश्विक सौर सुविधा, लघु द्वीपीय विकासशील राज्य मंच, अफ्रीका के सौर मिनी-ग्रिड और उभरते डिजिटल नवाचार शामिल हैं। उन्होंने कहाकि अगला कदम गहन समावेशिता का हो, यह सुनिश्चित करते हुएकि इस सौर क्रांति में कोईभी महिला, कोईभी किसान, कोईभी गांव और कोई भी छोटा द्वीप पीछे न छूटे। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत आईएसए सदस्य देशों केसाथ मिलकर एक सौर ऊर्जा से संचालित विश्व बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है, एक ऐसा विश्व जिसमें सबसे छोटे द्वीप से लेकर सबसे बड़े महाद्वीप तक, हर क्षेत्र समृद्ध हो। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी विकास व नवीनतम और उन्नत प्रौद्योगिकीयों के साझा उपयोग पर भी ध्यान देना आवश्यक है, ताकि अधिकतम लाभ सुनिश्चित हो सकें। उन्होंने कहाकि जैसे-जैसे हम बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा प्रतिष्ठान का विस्तार कर रहे हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिएकि क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बना रहे, क्योंकि पर्यावरण संरक्षण ही हरित ऊर्जा की ओर अग्रसर होने का मूल कारण है। द्रौपदी मुर्मु ने ने कहाकि हमें न केवल अपने देशों केलिए, बल्कि पूरे विश्व केलिए और न केवल वर्तमान पीढ़ी केलिए, बल्कि भावी पीढ़ियों केलिए भी अधिक समर्पण केसाथ काम करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि इस सभा के विचार विमर्श और निर्णय, सौर ऊर्जा के उत्पादन में एक बड़ी उपलब्धि साबित होंगे, जो एक समावेशी और न्यायसंगत विश्व के निर्माण में योगदान देंगे।

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