स्वतंत्र आवाज़
word map

हड्डियां मजबूत रखने का आयुर्वेद में उपाय!

विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस 2025 पर आयुष का वृहद विश्लेषण

ऑस्टियोपोरोसिस मुख्य रूप से वात दोष की 'खामोश बीमारी'-आचार्य

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 19 October 2025 06:29:20 PM

strong bones (file photo)

नई दिल्ली। आयुष मंत्रालय की केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) के महानिदेशक प्रोफेसर रविनारायण आचार्य ने कहा हैकि ऑस्टियोपोरोसिस रोग दुनियाभर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य को तेजीसे प्रभावित कर रहा है। आयुर्वेद के अनुसार ऑस्टियोपोरोसिस मुख्य रूपसे वात दोष के बिगड़ने से जुड़ा है, जो हड्डियों की मज़बूती को कमज़ोर करता है और हड्डियों के घनत्व को कम करता है। विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस-2025 पर ऑस्टियोपोरोसिस से निपटने केलिए शीघ्र निवारक देखभाल और जीवनशैली में सुधार की अत्यंत आवश्यकता पर बल देते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कहा हैकि यह एक धीरे-धीरे होनेवाली किंतु प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है, इसलिए हड्डियों के स्वास्थ्य के बारेमें जागरुकता बढ़ाना और यह बताना जरूरी हैकि ऑस्टियोपोरोसिस जैसी स्थितियों केलिए स्थायी, निवारक और पुनर्स्थापनात्मक समाधान आयुर्वेद में है। विशेषज्ञ चिकित्सक ऑस्टियोपोरोसिस रोग को हड्डियों की एक असामान्य स्थिति मानते हैं, जो हड्डियों को कमज़ोर बना देता है और उनके टूटने की संभावना बढ़ जाती है, यह हड्डियों की मज़बूती और घनत्व में कमी के कारण समय केसाथ धीरे-धीरे विकसित होता है और इसे अक्सर ‘खामोश बीमारी’ कहा जाता है, क्योंकि आमतौर पर फ्रैक्चर होने तक इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते।
ऑस्टियोपोरोसिस रोग के कई मामलों में पहला संकेत हड्डी का फ्रैक्चर होता है, अक्सर कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में जिससे दर्द, मुद्रा में बदलाव जैसे झुकना (काइफोसिस) और चोट केबाद धीमी रिकवरी हो सकती है। यह शास्त्रीय समझ आधुनिक वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि केसाथ उल्लेखनीय रूपसे मेल खाती है, ऑस्टियोपोरोसिस को हड्डियों के विखनिजीकरण और उम्र से संबंधित हार्मोनल परिवर्तनों से जोड़ती है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। प्रोफेसर रविनारायण आचार्य ने कहाकि ऑस्टियोपोरोसिस एक बढ़ती हुई सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है, लेकिन आयुर्वेद के निवारक और पुनर्स्थापनात्मक ज्ञान के माध्यम से इसका प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सकता है। प्रोफेसर रविनारायण आचार्य ने कहाकि ऑस्टियोपोरोसिस की शास्त्रीय अवधारणा हड्डियों की कमज़ोरी की आधुनिक समझ से बहुत मिलती-जुलती है। आयुर्वेद में शीघ्र हस्तक्षेप, संतुलित आहार और अनुकूल जीवनशैली पर बल दिया जाता है, जो मज़बूत हड्डियों और स्वस्थ उम्र बढ़ने का एक स्वाभाविक मार्ग प्रदान करता है।
प्रोफेसर रविनारायण आचार्य ने बतायाकि केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद ने ऑस्टियोपोरोसिस के प्रबंधन में लाक्षा गुग्गुलु और प्रवाल पिष्टी जैसे आयुर्वेदिक योगों को मान्य करने और हड्डि‍यों मांसपेशि‍यों से संबंधि‍त रोग विकारों में आयुर्वेदिक हस्तक्षेपों की भूमिका पर ठोस प्रमाण प्रस्तुत करने केलिए वैज्ञानिक अध्ययन किए हैं। आयुर्वेद हड्डियों को मज़बूत बनाने, संतुलन बहाल करने और क्षय को रोकने केलिए एक व्यापक प्रबंधन दृष्टिकोण प्रदान करता है। सीसीआरएएस प्रमुख उपायों पर प्रकाश डालता है जैसे-रसायन चिकित्सा (कायाकल्प)योगों को शीघ्र अपनाने से कंकाल प्रणाली मजबूत होती है और उम्र से संबंधित गिरावट में देरी होती है। स्नेहन (चिकित्सीय मालिश) से महानारायण तेल, दशमूल तेल, चंदना बाला लक्षादि तेल जैसे औषधीय तेलों का उपयोग गहरे ऊतकों को पोषण देकर हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। हर्बल फॉर्मूलेशन में लक्षा गुग्गुलु, महा योगराज गुग्गुलु, प्रवला पिष्टी और मुक्ता शुक्ति भस्म जैसी शास्त्रीय आयुर्वेदिक तैयारी पारंपरिक रूपसे हड्डियों की मजबूती को बढ़ावा देने और उपचार में सहायता केलिए उपयोग की जाती है।
वात को शांत करने वाले आहार और जीवनशैली से कुलत्थी (घोड़ा चना), शुंठी (अदरक), रसोना (लहसुन), मुनगा (हरा चना) और कुष्मांडा (ऐश लौकी) जैसे खाद्य पदार्थों केसाथ अनार, आम और अंगूर जैसे फलों को शामिल करने से हड्डियों का घनत्व और जीवन शक्ति बनाए रखने में मदद मिलती है। योग और मध्यम व्यायाम भी जरूरी है, जो विशिष्ट आसन लचीलापन बढ़ाते हैं, हड्डियों और जोड़ों में रक्त संचार में सुधार करते हैं और अकड़न को रोकते हैं। इस विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस 2025 पर आयुष मंत्रालय नागरिकों विशेषकर वृद्धजनों और रजोनिवृत्ति केबाद की महिलाओं से आयुर्वेदिक निवारक उपायों, संतुलित पोषण और हल्की शारीरिक गतिविधियों को अपनाने का आग्रह करता है। इन समग्र प्रथाओं को दैनिक जीवन में अपनाकर व्यक्ति अपनी हड्डियों को मज़बूत बना सकते हैं, फ्रैक्चर के जोखिम को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ, अधिक सक्रिय वृद्धावस्था प्रक्रिया सुनिश्चित कर सकते हैं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]