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यशवंत वर्मा केस न्यायिक छल-उपराष्ट्रपति

'न्यायपालिका न्यायिक प्रणाली पर छाए प्रदूषण को शीघ्र दूर करे'

उपराष्ट्रपति ने किया वकील विजय हंसारिया की पुस्तक का विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 20 May 2025 04:49:18 PM

vice president releases book of lawyer vijay hansaria

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के यहां नकदी बरामदगी मामले का पुन: जिक्र करते हुए सवाल किया हैकि लोग बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैंकि इस वित्तीय लेनदेन का सिरा कहां तक है, इस पैसे का स्रोत क्या है, इसका उद्देश्य क्या है, क्या इससे न्यायिक प्रणाली प्रदूषित हुई और कौन हैं सबसे बड़े अपराधी? उपराष्ट्रपति ने इस मामले की प्राथमिकी दर्ज होने में देरी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहाकि वर्ष 1991 में आए के वीरास्वामी फैसले पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है, यह एक न्यायिक छल है। उन्होंने कहाकि 3 सदस्यीय समिति का कोई संवैधानिक आधार या कानूनी औचित्य नहीं है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भारत मंडपम नई दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया की संपादित पुस्तक ‘द कॉन्स्टिट्यूशन वी अडॉप्टेड (विद आर्टवर्क्स)’ के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि लोकतंत्र के अस्तित्व एवं उसके विकास केलिए एक मजबूत न्यायिक प्रणाली बहुत जरूरी है और यदि किसी घटना के कारण यह प्रणाली कुछ हदतक भी संदिग्ध हो जाती है तो यह हमारा परमदायित्व हैकि हम उस संदेह को यथाशीघ्र दूर करें। उपराष्ट्रपति ने कहाकि इस अभेद्य आवरण की उत्पत्ति 1991 में के वीरस्वामी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से हुई। उपराष्ट्रपति ने कहाकि आमतौर पर इसका इस्तेमाल विधायिका केलिए किया जाता है, क्या मैं सही हूं? दंड से मुक्ति का मचान खड़ा किया गया है, जवाबदेही और पारदर्शिता के सभी कवच को बेअसर कर दिया गया है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि हम एक कटु सच्चाई का सामना कर रहे हैं, लुटियन दिल्ली में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर के लोगों ने नोट और नकदी जला दी, जिस मामले में आजतक कोई प्राथमिकी भी दर्ज नहीं हुई। उन्होंने कहाकि हमारे देश में कानून का शासन है, आपराधिक न्याय प्रणाली है और जो विधायन से जुड़ा है तो एक पल केलिए भी देरी करने का कोई मौका नहीं हो सकता, क्योंकि वह कानून का आदेश है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि किसी व्यक्ति को नीचा दिखाने या किसी संस्था को गिराने का सबसे पक्का तरीका है, उसे छानबीन से दूर रखना, उसे जांच से दूर रखना, इसलिए अगर हमें यह सुनिश्चित करना हैकि लोकतंत्र फले-फूले तो यह अपरिहार्य हैकि हम हर संस्था और व्यक्ति को जवाबदेह बनाएं, जो कानून के अनुसार काम करें।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि पहले ही दो महीने बीत चुके हैं और विश्वसनीयता का ऐसा हर उल्लंघन आम आदमी को प्रभावित करता है, उन लोगों को प्रभावित करता है जो कानून और योग्यता में विश्वास करते हैं। जगदीप धनखड़ ने कहाकि सर्वोच्च न्यायालय का आदर्श वाक्य-यतो धर्मः ततो जयः यानी जहां धर्म है, वहां विजय है, सत्यमेव जयते। उपराष्ट्रपति ने कहाकि न्यायाधीश के यहां नकदी बरामदगी के मामले में सत्य की जीत होनी ही चाहिए, क्योंकि परिदृश्य वास्तव में ऐसा है और केवल पूर्ण सत्य सामने आए। जगदीप धनखड़ ने कहाकि देशमें हर कोई अब यही सोच रहा हैकि कहीं इसपर लीपापोती तो नहीं कर दी जाएगी, समय केसाथ यह मामला धुंधला तो नहीं पड़ जाएगा और वे वास्तव में चिंतित हैं। उन्होंने कहाकि आपराधिक न्याय प्रणाली क्यों वैसे संचालित नहीं हुई, जैसाकि उसे हर आम व्यक्ति के मामले में किया जाना चाहिए? उन्होंने कहाकि उन्मुक्ति का कवच केवल तबतक है, जबतक वे पद पर हैं और इसलिए उस संस्था का अभिन्न हिस्सा होने के नाते जिसने यह परिभाषित किया हैकि हम आज क्या हैं और जो यह परिभाषित करता हैकि हमारा लोकतंत्र आज क्या है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि दुनियाभर में जांच कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है और उसका न्यायिक निर्णय न्यायपालिका का अधिकार क्षेत्र है। उन्होंने कहाकि मैं राज्यसभा के सभापति के रूपमें न्यायाधीश को हटाने केलिए देशमें जो परिदृश्य है, उसका विश्लेषण करने केबाद आश्चर्यचकित हूं।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि जब अपेक्षित संख्या में सांसद न्यायाधीश को हटाने केलिए प्रस्ताव लेकर आएं तो समिति का गठन वैध रूपसे केवल लोकसभाध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति, जैसाभी मामला हो के द्वारा ही किया जा सकता है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि अब जरा सोचिएकि दो उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों ने कितना श्रम किया होगा, एक उच्च न्यायालय के कवरेज क्षेत्र में, दो राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेश है। उन्होंने कहाकि वे एक ऐसी जांच में संलग्न हैं, जिसका कोई संवैधानिक आधार या कानूनी औचित्य नहीं है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैकि यह अप्रासंगिक होगा। उन्होंने कहाकि जांच रिपोर्ट प्रशासनिक पक्ष पर अदालत द्वारा विकसित तंत्र केतहत किसी कोभी भेजी जा सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि क्या देश में हम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक कार्य की कीमत पर इतना समय निवेश करने का जोखिम उठा सकते हैं? उन्होंने कहाकि उच्च न्यायालय के न्यायिक कार्य में आश्चर्य हुआकि जांच करते समय या तथाकथित अनुसंधान के दौरान तीन न्यायाधीशों वाली समिति ने लोगों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए। उन्होंने कहाकि यह एक गंभीर मुद्दा है, ऐसा कैसे किया जा सकता है? उन्होंने कहाकि हमें कानून के शासन का पालन करने वाले उच्चतम एवं अनुकरणीय मानक स्थापित करने होंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि न्यायपालिका की रक्षा करने की आवश्यकता है, हमें यह सुनिश्चित करना होगाकि हमारे न्यायाधीशों को कमजोर न पड़ने दिया जाए, क्योंकि वे निडर होकर निर्णय लेते हैं, वे सबसे कठिन काम करते हैं, वे कार्यपालिका में बैठे शक्तिशाली लोगों से निपटते हैं, वे उद्योग जगत के शक्तिशाली लोगों से निपटते हैं, वे उन शक्तिशाली लोगों से निपटते हैं, जिनके पास बहुत अधिक आर्थिक ताकत और संस्थागत अधिकार हैं, इसलिए हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जब न्यायपालिका की स्वतंत्रता को न पचा पाने वाली ताकतों के घातक इरादे से न्यायाधीशों को चुनौती देने की बात आती है तो हमें न्यायाधीशों को अभेद्यता प्रदान करनी होगी, लेकिन इसके लिए एक ऐसे आंतरिक विनियामक तंत्र की आवश्यकता है, जो पारदर्शी, जवाबदेह एवं त्वरित हो और जिसे सहकर्मी को लेकर चिंता न हो। उन्होंने कहाकि हम सभी इसके शिकार हैं उदाहरण केलिए संसद में विशेषाधिकार का उल्लंघन उन्हीं लोगों द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो साथ बैठते हैं, लेकिन हमें निष्ठुर होना चाहिए। उन्होंने कहाकि मैं न्यायपालिका के एक सिपाही के रूपमें विचार व्यक्त कर रहा हूं, मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन न्यायपालिका में बिताया है और मैं कभी नहीं सोच सकताकि मैं कुछ ऐसा करूंगा, जिससे न्यायपालिका की गरिमा को थोड़ा भी ठेस पहुंचे।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि जांच से जुड़े लोगों द्वारा तेजीसे जांच की जानी चाहिए, वैज्ञानिक सामग्री का उपयोग करना चाहिए। अग्रिम पंक्ति के लोग विशेष रूपसे जानते हैंकि बहुत सी चीजें नहीं हो रही हैं और हर कोई इसे जानता हैकि कई प्रतिष्ठाएं धूमिल पड़ गई हैं। जगदीप धनखड़ ने कहाकि लोगों को लगता हैकि व्यवस्था को वास्तव में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है, एकबार जब दोषियों को सजा मिल जाएगी तो इसकी छवि बदल जाएगी। उन्होंने कहाकि एक पल केलिए भी मैं किसी को दोषी नहीं बता रहा हूं, जबतक कुछ साबित नहीं हो जाता, तबतक हर कोई निर्दोष है। प्रोटोकॉल के बारेमें भारत के मुख्य न्यायाधीश की हाल की टिप्पणियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहाकि वे वास्तव में देश के मुख्य न्यायाधीश के आभारी हैंकि उन्होंने नौकरशाही में लोगों का ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित किया हैकि प्रोटोकॉल का पालन मौलिक है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि उन्होंने प्रोटोकॉल से शुरुआत की, लेकिन लगातार मुद्दे उठाए हैं, क्योंकि एक मजबूत स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली नागरिकों केलिए और लोकतंत्र के अस्तित्व केलिए सबसे सुरक्षित गारंटी है।

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