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'हमारे किरदार भारतीय संस्कृति की खिड़की'

इफ्फी-54 में अभिनेत्री रानी मुखर्जी का दिलचस्प इन कंवर्सेशन

'अभिनेताओं को अपनी उम्र के अनुरूप भूमिकाएं करनी चाहिएं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 27 November 2023 02:10:33 PM

actress rani mukherjee's interesting conversation at iffi-54

पणजी। गोवा में 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में 'दमदार प्रस्‍तुति देना' विषय पर हिंदी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने दिलचस्प इन कंवर्सेशन सत्र में भाग लिया। गैलाट्टा प्लस के प्रधान संपादक और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म समीक्षक बरद्वाज रंगन की संचालित इस सहज चर्चा में रानी मुखर्जी के जीवन और शानदार करियर पर प्रकाश डाला गया। अपनी सिनेमाई यात्रा पर मंथन करते हुए रानी ने कहाकि उन्होंने हमेशा भारतीय महिलाओं को सशक्त किरदार के रूपमें चित्रित करने की कोशिश की है और भारत के बाहर फिल्मों और उनके किरदारों को हमारी भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्‍तुत करने वाली खिड़की के रूपमें देखा जाता है।
कला केलिए प्रतिबद्धता के महत्व पर जोर देते हुए रानी मुखर्जी ने कहाकि हमेशा मजबूत फिल्मों और भूमिकाओं केसाथ खड़े रहना महत्वपूर्ण है, हो सकता हैकि कभी-कभार उस समय दर्शकों की सराहना नहीं मिल पाए, लेकिन सिनेमा के इतिहास में ऐसी फिल्में और किरदार अपनी जगह बना लेंगे। रानी मुखर्जी ने एक अभिनेता का बहुमुखी प्रतिभा का धनी होने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने इसकी विस्तार से चर्चा करते हुए कहाकि यदि कोई अभिनेता बहुमुखी प्रतिभा का धनी है तो वह जीवन के विभिन्न पहलुओं को चित्रित कर सकता है। रानी ने कहाकि मैं अपने किरदार को जितना अधिक विविधतापूर्ण बना सकती हूं, यह दर्शकों और मेरे लिए उतना ही दिलचस्प होगा, किरदारों में यह विविधता भी मुझे अच्छे से अच्छा प्रदर्शन करने को प्रेरित करती है।
चरित्र चित्रण की जटिलताओं की पड़ताल करते हुए रानी मुखर्जी ने बतायाकि विशेष भूमिकाएं निभाने केलिए अक्सर अभिनेता वास्तविक जीवन के उसी तरह के लोगों से मिलते हैं, ताकि वे उस किरदार को सही ढंग से व्‍यक्‍त कर सकें, लेकिन यह जानना भी महत्वपूर्ण हैकि वे किन भावनाओं से गुजर रहे हैं, किसीभी फिल्मी दृश्य के पीछे की भावनाएं ही उस दृश्य को अलग बनाती हैं। उन्होंने कहाकि दर्शकों के दिल तक पहुंचने केलिए भावनाओं को चित्रित करना महत्वपूर्ण है। फिल्म उद्योग में आयु के आधार पर भेदभाव विषय पर रानी ने कहाकि अभिनेताओं को अपनी उम्र को स्वीकार करते हुए अपनी उम्र के अनुरूप भूमिकाएं करनी होंगी, ताकि दर्शक उन्हें उस भूमिका में स्‍वीकार कर सकें। उन्होंने कहाकि यद्यपि दर्शकों ने उन्हें फिल्म उद्योग में आयु के आधार पर भेदभाव और अन्य बाधाओं को तोड़ने में मदद की है, मैं तो आयु को ज्यादा महत्व नहीं देती, बल्कि अपने किरदार केसाथ न्याय करने की कोशिश करती हूं, यदि आप अपने किरदार की तरह ही दिखते हैं तो लोगों को उसपर भरोसा कराने की आधी लड़ाई तो आप उसी समय ही जीत लेते हैं।
रानी मुखर्जी ने अपनी फिल्मी जीवन यात्रा पर संतोष व्यक्त करते हुए कहाकि उन्हें अपने सिनेमाई जीवन में किसीभी किरदार को निभाने का कभी अफसोस नहीं हुआ, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह रहाकि मैं डेट क्लैश के कारण आमिर खान निर्मित उनकी प्रथम फिल्म 'लगान' का हिस्सा नहीं बन सकी। रानी मुखर्जी ने फिल्‍म कुछ कुछ होता है की 'टीना मल्होत्रा' से लेकर कभी अलविदा ना कहना की 'माया तलवार' और मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे की 'देबिका चटर्जी' तक अपने सैकड़ों खूबसूरत किरदारों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। अपने सबसे पसंदीदा किरदार के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि फिल्म 'ब्लैक' का किरदार उनके दिल के सबसे करीब है। उन्‍होंने कहाकि इस किरदार ने उन्हें बदलकर रख दिया और एक बेहतर इंसान बनने में मदद की। उन्होंने कहाकि ब्लैक में 'मिशेल मैकनेली' के किरदार ने मुझे प्रेरणा देने के साथ ही साथ चुनौती भी दी। 'मेहंदी' के किरदार ने भी मुझे सशक्त बनाया है।

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