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'विश्व न्यायसंगत व टिकाऊ शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध'

'भारतीय शैक्षिक इकोसिस्टम को विश्वभर में उच्चस्तरीय पहचान मिली'

शिक्षा मंत्री ने जी20 में शैक्षिक विचार-विमर्श के बारे में जानकारी दी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 12 September 2023 02:54:33 PM

dharmendra pradhan

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत के नेतृत्व में जी20 केतहत शैक्षिक प्राथमिकताओं के बारेमें मीडिया को जानकारी देते हुए कहा हैकि नई दिल्ली में जी20 देशों के नेताओं की घोषणा में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक गणना, तकनीक-सक्षम शिक्षा, आजीवन सीखने केलिए क्षमता निर्माण एवं कार्य आधारित भविष्य तथा सुदृढ़ीकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विचार-विमर्श को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने बतायाकि इसमें सहयोग के माध्यम से अनुसंधान एवं नवाचार ने शिक्षा की सहायता से एक न्यायसंगत एवं सतत भविष्य हेतु काम करने के उद्देश्य से वैश्विक संकल्प को नवीनीकृत किया है और इसके लिए एक रोडमैप भी प्रदान किया है। धर्मेंद्र प्रधान ने जी20 की ढांचागत व्यवस्था के अंतर्गत वैश्विक शिक्षा एजेंडे को बढ़ावा देने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व तथा उनके स्पष्ट आख्यान की सराहना की। उन्होंने कहाकि इसके परिणामस्वरूप भारत के शैक्षिक इकोसिस्टम को दुनियाभर में उच्चस्तर पर पहचान मिली है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख सिद्धांतों एवं प्राथमिकताओं को पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है।
शिक्षा मंत्री ने कहाकि घोषणा पत्र से डिजिटल परिवर्तन, जस्ट ग्रीन ट्रांजीशन और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के तीन पहचाने गए उत्प्रेरकों पर शिक्षा कार्यसमूह की प्राथमिकताओं के साथही सभी आवश्यक बातें प्रतिध्वनित होती हैं। उन्होंने कहाकि यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सहित निर्णय लेने वाले निर्माताओं के रूपमें महिलाओं की सार्थक भागीदारी बढ़ाने की प्रतिबद्धता में परिलक्षित होता है, इसमें शिक्षा सहित डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को विकसित करना और मिशन लाइफ को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना भी शामिल है। धर्मेंद्र प्रधान ने वैश्विक नेताओं की घोषणा में स्कूली भोजन कार्यक्रमों में सुलभ, मूल्य परक, सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन तथा स्वस्थ आहार का समर्थन करने की आवश्यकता पर जोर देने केलिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया, जो प्रधानमंत्री पोषण कार्यक्रम का उद्देश्य भी है। उन्होंने शिक्षा पर केंद्रित बिंदुओं का उल्लेख किया, जिन्हें नई दिल्ली में नेताओं के घोषणापत्र में शामिल किया गया है, इनमें हमारी शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तन लाने और 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए मानव पूंजी विकास का समर्थन करने में निवेश के महत्व को मान्यता दी गई है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केप्रति वचनबद्धता के हिस्से के रूपमें स्कूलों की भूमिका और सभी शिक्षार्थियों, विशेषकर कमजोर शिक्षार्थियों के नामांकन तथा उनके शिक्षण प्रबंधन को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इसके अंतर्गत वर्ष 2030 तक सभी शिक्षार्थियों को मूलभूत कौशल हासिल करने केलिए तत्काल एवं सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता की भी पुष्टि की गई है, जिससे ग्रेड 2 या 3 तक पढ़ने वाले और गणना करने में कमजोर बच्चों, विशेष रूपसे लड़कियों व दिव्यांग बच्चों का प्रतिशत कम हो सके। भारत के निपुण भारत कार्यक्रम का ही सार है। उभरते हुए रुझान, शिक्षा में डिजिटल व तकनीकी समाधानों के उपयोग में बदलते पैटर्न, किफायती एवं सुलभ शिक्षण संसाधनों को विकसित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी स्थिति तथा संस्थानों और शिक्षकों की क्षमता निर्माण की आवश्यकता को मान्यता दी गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित सभी उभरती प्रौद्योगिकियों केसाथ तालमेल बनाए रखने और शिक्षा में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है। हम स्वयं, दीक्षा और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से ऐसा ही कर रहे हैं।
जी20 नेताओं के घोषणापत्र में कौशल एवं क्षमता को बढ़ावा देने और कौशल उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करते हुए जीवनभर सीखने को आगे बढ़ाने के संकल्प पर जोर दिया गया है, जिसमें समावेशी विकास, सतत विकास तथा डिजिटल परिवर्तन के अनुरूप कौशल विकास केलिए एक एकीकृत ढांचे की आवश्यकता को मान्यता प्रदान की गई है। यह प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना विश्वविद्यालयों में कौशल केंद्रों और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से किया जा रहा है। जी20 नेताओं की घोषणा में दोहरे डिग्री कार्यक्रमों, छात्रों एवं संकाय की बढ़ी हुई गतिशीलता जैसी संयुक्त शैक्षणिक एवं अनुसंधान गतिविधियों के माध्यम से उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच अनुसंधान तथा नवाचार में सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व को भी स्वीकृति प्रदान की गई है। धर्मेंद्र प्रधान ने जी20 शिक्षा कार्यसमूह की बैठकों में आगे की अनुवर्ती कार्रवाई पर जानकारी देते हुए बतायाकि अनुसंधान सहयोग कई देशों केसाथ सक्रिय रूपसे किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि यह हमारी संयुक्त पहल जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिषद और एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज के बीच होने वाले समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के माध्यम से परिलक्षित हो रहा है।
समझौते का लक्ष्य इंडिया-यूएस ग्लोबल चैलेंजस इंस्टिट्यूट की स्थापना करना है। यह हमारे दोनों देशों के अग्रणी अनुसंधान एवं उच्च शिक्षण संस्थानों को एकसाथ लेकर आएगा। इसके अंतर्गत विज्ञान व प्रौद्योगिकी में नई सीमाओं को आगे बढ़ाने केलिए, विशेषकर जिसमें स्थायी ऊर्जा और कृषि, स्वास्थ्य एवं महामारी से निपटने की तैयारी, सेमीकेंडक्टर प्रौद्योगिकी तथा विनिर्माण, उन्नत सामग्री, दूरसंचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम विज्ञान में सहयोग शामिल है। उन्होंने बतायाकि हम कई नई उभरती बहु-संस्थागत सहयोगी शिक्षा साझेदारियां भी देख रहे हैं। इनमें मुख्य तौरपर न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी-टंडन और आईआईटी कानपुर एडवांस्ड रिसर्च सेंटर, बफेलो में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के जॉइंट रिसर्च सेंटर्स तथा आईआईटी दिल्ली, कानपुर, जोधपुर व बीएचयू केबीच, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों केलिए आईआईटी बॉम्बे शिकागो क्वांटम एक्सचेंज में शामिल हो रहा है और भारत-अमेरिका डिफेंस एक्सेलारेशन इकोसिस्टम की शुरुआत भी हो रही है। इसी तरह से हम कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, ताइवान, ब्रिटेन और अन्य देशों केसाथ विश्वविद्यालय स्तर के सहयोग की तलाश कर रहे हैं।
कौशल क्षेत्र में ध्यान दिए जानेवाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक भाग कौशल और योग्यता आवश्यकताओं के आधार पर व्यवसायों का एक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण तैयार करके सदस्य देशों केसाथ अंतर्राष्ट्रीय मानकों का प्रचालन है, जिससे बेहतर क्रॉस कंट्री तुलनीयता और योग्यता की पारस्परिक मान्यता प्राप्त होती है। इस प्रतिबद्धता में अच्छी तरह से प्रबंधित, नियमित व कौशल-आधारित प्रवासन मार्ग स्थापित करने की प्रतिज्ञा शामिल है, जो मूल एवं गंतव्य देशों को पारस्परिक रूपसे लाभांवित करती है। उन्होंने इन प्रयासों का सहयोग बढ़ाने के लक्ष्य के साथ वैश्विक कौशल अंतराल की पहचान करने और उन्हें संसाधित करने के उद्देश्य से नीतियों को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित किया। इनमें राष्ट्रीय सांख्यिकीय डेटा को सशक्त करना और जी20 देशों को शामिल करने हेतु नौकरियों के डेटाबेस केलिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन तथा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन कौशल का विस्तार करना शामिल था। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन तथा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन ने वैश्विक कौशल अंतराल की निगरानी और मापन केलिए 12 बुनियादी व 14 विस्तारित संकेतक प्रस्तावित किए हैं।
जी20 देशों ने इन संकेतकों पर सहमति भी व्यक्त की है। इसके अलावा ये अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन पर सहमत हुए संकेतकों के आधार पर जी20 देशों में वैश्विक कौशल अंतराल की निगरानी व मापन के उद्देश्य से हस्तक्षेप को लागू करने केलिए जिम्मेदार होंगे। धर्मेंद्र प्रधान ने इस तथ्य का उल्लेख भी कियाकि किस तरह से भारत की जी20 अध्यक्षता ने हमारी शैक्षिक प्राथमिकताओं, प्रासंगिक वास्तविकताओं एवं राष्ट्रीय आवश्यकता संबंधी गतिविधियों, एक गति आधारित वृद्धि और दीर्घकालिक प्रणालीगत नीति दृष्टि को प्रदर्शित करने केलिए एक मंच प्रदान किया है। उन्होंने कहाकि भारत और उसके जी20 भागीदार देशों ने सहयोग, ज्ञान साझाकरण एवं नवोन्मेषी दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर भविष्य की शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्रणालियों पर समन्वित कार्रवाई को आगे बढ़ाने केलिए वचनबद्धता व्यक्त की है।

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