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बहराइच में काव्य गोष्ठी और पुस्तक परिचर्चा

अन्नकूट पर्व पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद का आयोजन

कवियों की ओजपूर्ण प्रस्तुतियों से गोष्ठी के श्रोता मंत्रमुग्ध हुए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 2 November 2022 03:12:30 PM

poetry seminar and book discussion in bahraich

बहराइच। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की बहराइच शाखा ने बहराइच के हमजापुरा में श्रीरामजानकी मंदिर में 27 अक्टूबर को अन्नकूट पर्व पर एक सरस काव्य गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया। साहित्य परिषद के प्रांतीय उपाध्यक्ष गुलाबचंद्र जायसवाल एवं जिलाध्यक्ष शिव कुमारसिंह रैकवार ने इसका संयोजन निर्देशन किया। किसान महाविद्यालय के हिंदी विभाग से जुड़े रहे वरिष्ठ साहित्यकार राधेश्याम पांडेय गोष्ठी में अध्यक्ष, साहित्य भूषण रामकरन मिश्र सैलानी मुख्य अतिथि और डॉ वेदमित्र शुक्ल एवं गुरुप्रसाद सिंह जायसवाल विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय में आंग्ल भाषा के प्रोफेसर डॉ वेदमित्र शुक्ल ने अपनी पुस्तक ‘एक समंदर गहरा भीतर’ की प्रति और साहित्य परिषद के महामंत्री रमेशचंद्र तिवारी ने अपनी पुस्तक ‘दी राइज आफ नमो एंड न्यू इंडिया’ की प्रति अखिल भारतीय साहित्य परिषद को भेंट की।
असम से आए ग़ज़लकार एवं समालोचक डॉ दिनेश त्रिपाठी शम्स ने गोष्ठी के मुख्यवक्ता के रूपमें डॉ वेदमित्र शुक्ल के कविता संग्रह ‘एक समंदर गहरा भीतर’ पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहाकि यह कविता संग्रह हिंदी सॉनेटों का संग्रह है, डॉ वेदमित्र शुक्ल ने यह सॉनेट संग्रह रचकर हिंदी कविता को और विस्तार दिया है। गोष्ठी में काव्यपाठ की शुरुआत अयोध्याप्रसाद नवीन ने वाणीवंदना से की, तदुपरांत कवि विनोद कुमार पांडेय ने एक व्यंग्य पढ़ा-राम काल्पनिक बने थे अब गीता भई जिहाद। अमर सिंह विसेन ने पढ़ा-राहमें यूं अकेला नहीं छोड़ना, मैं सुदामापुरी हूं और तुम द्वारिका। वीरेश पांडेय ने पढ़ा-तब एक शारदा वीणा ले अवतार जगत में लेती है, रसहीन विकर्षण भरे जगत को ध्वनि कंठा स्वर देती है। कवि आशुतोष ने पढ़ा-अंतस का तम मिट न सका तो दीप जलाने से क्या होगा, मिटी न दूरी जो हृदयों की ह्रदय लगाने से क्या होगा। डॉ दिनेश त्रिपाठी शम्स ने भाषणों में जिक्र मरहम का सदा, लेकिन हमारे देश का नेता हमें बस घाव ही देगा पढ़ा।
काव्य गोष्ठी एवं परिचर्चा कार्यक्रम में डॉ राधे श्याम पांडेय, कवि गुलाब जायसवाल, रमेश चंद्र तिवारी, डॉ वेदमित्र शुक्ल और विमलेश विमल की भावात्मक रचनाओं ने श्रोताओं के हृदय छुए। कवियों की ओजपूर्ण प्रस्तुतियों से गोष्ठी के श्रोता मंत्रमुग्ध हुए। साहित्य परिषद के संरक्षक विक्रम जायसवाल की ओरसे अन्नकूट पर्व पर भंडारे का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री मुकुटबिहारी वर्मा, सांसद अक्षयवरलाल गोंड अतिथि के रूपमें मौजूद थे। पंडित राकेश कुमार दुबे, कैलाशनाथ डालमिया, आयुष जायसवाल, बजरंग कुमार मिश्र, प्रेमकुमार जालान, रामगोपाल चौधरी आदि की संगोष्ठी में सहभागिता उल्लेखनीय है।

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