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'आज़ादी में जिलों की भूमिका' पर डिजिटल प्रदर्शनी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने एलबीएसएनएए में किया उद्घाटन

डिजिटल इंटरेक्टिव पैनल और अभिलेखागार की दुर्लभ तस्वीरें प्रदर्शित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 1 July 2022 06:26:32 PM

digital exhibition on 'role of districts in freedom'

मसूरी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिष्ठित लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में आजादी के अमृत महोत्सव के तत्वावधान में 'स्वतंत्रता संग्राम में जिलों की भूमिका' पर डिजिटल प्रदर्शनी और सेमिनार का उद्घाटन किया, जिसमें लगभग 400 प्रशिक्षु अधिकारियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में प्रशिक्षु अधिकारियों को अपनी तैनाती वाले जिलों से संबंधित कहानियों का योगदान करने केलिए प्रोत्साहित किया गया। डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपोजिटरी जिले में 'सूक्ष्म स्तर' पर भारत की कहानियों को खोजने और उनका दस्तावेजीकरण करने का प्रयास है। इसे स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के अनुसार श्रेणियों व्यक्ति-व्यक्तित्व, घटना-कार्यक्रम, जीवित-परंपराएं, कलारूप और छिपे हुए खजाने में बांटा गया है।
उत्तराखंड सरकार में संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने इस अवसर पर कहाकि स्थानीय इतिहास अक्सर कहानियों, उपाख्यानों और लुप्त होती स्मृतियों के रूपमें हमारे अंदर निवास करता है और जब हम उन्हें समय रहते प्रलेखित करने का प्रयास नहीं करते, वे अक्सर हमेशा केलिए लुप्त हो जाती हैं। गोविंद मोहन ने आईआईटी में जेल की उन कोठरियों के बारेमें बात की, जहां स्वतंत्रता सेनानी संतोष कुमार मित्रा और तारकेश्वर सेन गुप्ता शहीद हुए थे। उन्होंने पुणे में पैदा हुई एक अज्ञात प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी गोदावरी पारुलेकर (तब गोखले) के बारेमें बात की, जिसने सत्याग्रहों में भाग लिया और इसके लिए उन्हें वर्ष 1932 में जेल भेजा गया। वह सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की पहली महिला सदस्य थीं। उन्होंने यहभी बतायाकि पूर्वी पश्चिम खासी हिल्स जिले में नोंगखलाव (स्थानीय ग्राम प्रधान) के सरदार मेघालय ब्रेवहार्ट और उनके साहसी अनुयायियों के कारनामों को संरक्षित करने के प्रयास कर रहे हैं। इन वीरों ने क्रेम तिरोट यानी तिरोत सिंह गुफाओं से सशस्त्र रूपसे कहीं बेहतर अंग्रेजों को लगभग पांच साल तक अपने क्षेत्र में घुसने नहीं दिया।
संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा कार्यक्रम पर भी प्रकाश डाला, जिसमें घरों और कार्यस्थलों पर तिरंगा फहराया जाएगा। उन्होंने कहाकि इस पहल के पीछे यह तर्क हैकि हमें देश-प्रेम की भावना को बढ़ावा देना है, देश को तिरंगे की आन, बान और शान का जश्न मनाना है और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत@2047 की दिशा में सामूहिक रूपसे काम करके राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है। उन्होंने सभी से डिजिटल माध्यम से https://digitaltribute.in/ पर राष्ट्र केलिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीरों को श्रद्धांजलि देने का अनुरोध किया। स्वतंत्रता संग्राम में जिलों की भूमिका पर 5 मिनट का एक वीडियो भी दिखाया गया, ताकि प्रशिक्षु अधिकारियों को इस बारेमें जागरुक किया जा सके और वे इसमें योगदान करें। संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से ये कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। एलबीएसएनएए मसूरी में यह प्रदर्शनी जनता केलिए 3 जुलाई 2022 तक खुली रहेगी, इसमें डिजिटल इंटरेक्टिव पैनल और अभिलेखागार से प्राप्त दुर्लभ तस्वीरें विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। इस अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल और लालबहादुर शास्त्री की आवक्ष प्रतिमाओं पर श्रद्धांजलि अर्पित करके उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।

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