स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 20 June 2022 03:46:58 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा हैकि साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न अंग है और नरेंद्र मोदी सरकार इसे सशक्त बनाने केलिए हर सम्भव प्रयास कर रही है। सम्मेलन का विषय था-'साइबर अपराध से आज़ादी-आज़ादी का अमृत महोत्सव'। गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव से लेकर देश की आज़ादी की शताब्दी तकके 25 साल के कालखंड को अमृतकाल कहा है, इस दौरान हर क्षेत्र में देश को दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने केलिए कई मंत्रालयों और विभागों ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं एवं कार्यक्रम बनाए हैं। उन्होंने निर्देश देते हुए कहाकि इसके लिए हमारे सामने क्या चुनौतियां हैं, इनपर विचार करने का समय है और ये करने केबाद 25 साल का एक कार्यक्रम हर विभाग, मंत्रालय बनाए। उन्होंने कहाकि 130 करोड़ लोगों का संकल्पबल ही भारत को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने का ज़रिया बन सकता है। अमित शाह ने कहाकि इस युग में साइबर सुरक्षा के बिना भारत के विकास की कल्पना करना संभव नहीं है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इनीशिएटिव सेही आज भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, अगर हम साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं करते हैं तो हमारी यही ताक़त हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी, इसीलिए डिजिटल रिवॉल्यूशन के ज़माने में साइबर सुरक्षा की चुनौतियां और उनके समाधान को ढूंढने और हर व्यक्ति तक साइबर सुरक्षा की जानकारी पहुंचाने केलिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। अमित शाह ने कहाकि अगर विगत 200 साल का दुनिया के रिवॉल्यूशन का एनालिसिस करें तो स्टीम इंजिन से इसकी शुरूआत हुई, फिर इलेक्ट्रिकल एनर्जी से इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तक आए और अब डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहे हैं। अगर भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो साइबर सुरक्षित भारत का निर्माण करना होगा। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री का विज़न हैकि हर भारतीय को तकनीक और इंटरनेट के जरिए अपने आपको सशक्त करना चाहिए, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के कारण सशक्तिकरण होने केसाथ-साथ सकारात्मक परिवर्तन भी लोगों के जीवन में आया है।
गृहमंत्री ने कहाकि साइबर सुरक्षित भारत की कल्पना में सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है जनजागरुकता, क्योंकि जागरुकता के बिना इसका उपयोग नहीं हो सकता, इसीलिए जनजागरुकता, जनहितकारी, तकनीक की चुनौतियों के समाधान ढूंढने का जनहित में प्रयास और अंततोगत्वा जनकल्याण। गृहमंत्री ने कहाकि आज सरकार से मिलने वाला फ़ायदा डीबीटी के माध्यम से सीधे जनता के बैंक ख़ातों में पहुंचता है, वर्ष 2014 से पहले हम इसकी कल्पना ही नहीं कर सकते थे, क्योंकि करोड़ों लोग ऐसे थे, जिनके परिवारों में बैंक खाते ही नहीं थे, इन 8 साल में देश में एक भी परिवार ऐसा नहीं है, जिसके पास बैंक खाता नहीं है और उनके पास सरकारी योजनाओं का फ़ायदा ऑनलाइन पहुंचता है। उन्होंने कहाकि 13 करोड़ किसानों के खातों में 6000 रूपए सालाना पहुंच जाते हैं, ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि तो है, लेकिन साथ-साथ एक बहुत बड़ी चुनौती भी है, साइबर फ़्रॉड और कई प्रकार के साइबर अटैक से देश को सुरक्षित करना हमारे सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है। अमित शाह ने कहाकि साइबर सुरक्षा को देश के पिछड़े से पिछड़े इलाक़े से लेकर हर हिस्से तक पहुंचाने का हमें प्रयास करना चाहिए।
अमित शाह ने कहाकि इस कार्यक्रम से साइबर स्वच्छता, साइबर अपराधों की रोकथाम केलिए उपाय, अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल को लोकप्रिय बनाना, साइबर वित्तीय अपराध रिपोर्टिंग हेल्पलाइन नंबर को लोकप्रिय बनाना जैसे अनेक क़दमों से लोगों में जागरुकता लाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहाकि साइबर स्पेस का दुरूपयोग कोई नई बात नहीं है, मालवेयर अटैक, फ़िशिंग, क्रिटिकल इन्फ़्रास्ट्रक्चर पर हमले, डेटा की चोरी या ऑनलाइन धोखाधड़ी हो, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी जैसी कई चुनौतियां आज हमारे सामने हैं। गृहमंत्री ने कहाकि वर्ष 2012 में 3377 साइबर क्राइम रिपोर्ट किए गए थे और 2020 में रिपोर्टिंग की संख्या 50 हज़ार तक पहुंची है, वर्ष 2020 में हरदिन 136 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए, प्रति एक लाख जनसंख्या पर साइबर अपराधों की संख्या में भी चार वर्ष में 270 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वर्ष 2016 में यह 1 थी और 2020 में यह बढ़कर 3.7 हो गई, ये बताता हैकि ये वृद्धि आने वाले समय में कितनी बड़ी चुनौती बनने वाली है।
गृहमंत्री ने कहाकि साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल तीन साल पहले लॉंच किया गया था, जिसपर अबतक अलग-अलग प्रकार की 11 लाख से ज़्यादा शिक़ायतें दर्ज की जा चुकी हैं, सोशल मीडिया क्राइम की भी दो लाख से ज़्यादा शिक़ायतें दर्ज की जा चुकी हैं, ये मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाली है, क्योंकि भारत में आज 80 करोड़ भारतीयों की ऑनलाइन मौजूदगी है और 2025 तक इस संख्या में लगभग 231 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान है। गृहमंत्री ने कहाकि 8 साल में हमारे प्रति जीबी डेटा की लागत में लगभग 96 प्रतिशत की कमी आई है, जिसके और कम होने की उम्मीद है, क्योंकि जैसे-जैसे डेटा सस्ता होगा, उपयोगकर्ता और बढ़ेंगे। अमित शाह ने कहाकि सिर्फ प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 45 करोड़ नए अकाउंट खोले गए हैं और 32 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड 8 साल में वितरित किए गए हैं। उन्होंने कहाकि यह 32 करोड़ लोग कभीभी डेबिट या क्रेडिट कार्ड की दुनिया में नहीं थे और चाहे इनके ट्रांजैक्शन छोटे हों, लेकिन इनकी ऑनलाइन उपस्थिति यही बताती हैकि हमारा कारोबार कितना बढ़ रहा है।
गृहमंत्री ने कहाकि वित्तीय वर्ष 2022 में यूपीआई पर लेनदेन एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है और पूरा विश्व अचंभित हैकि सिर्फ यूपीआई पर लेनदेन एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। उन्होंने कहाकि दुनिया में डिजिटल भुगतान में हम प्रथम स्थान पर है, वर्ष 2021 में कुल वैश्विक डिजिटल भुगतान का 40 प्रतिशत भारत में हुआ है, जो हमारा आकार बताता है, भीम-यूपीआई अब केवल भारतीय ऐप नहीं रह गई है, बल्कि ग्लोबल बन चुकी है, सिंगापुर, यूएई, भूटान, नेपाल और अब फ्रांस में भी यूपीआई और भीम ऐप स्वीकार कर लिया गया है। गृहमंत्री ने कहाकि जनधन, आधार और मोबाइल के माध्यम से हमने डीबीटी को सुनिश्चित किया है, लगभग 52 मंत्रालयों की 300 से ज्यादा योजनाएं डीबीटी को कवर करती हैं और अबतक सात साल में 23 लाख करोड़ रूपए की राशि सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने का काम केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है, इससे लगभग दो लाख करोड़ रूपए की बचत भी हुई है।
अमित शाह ने कहाकि भारतनेट भी बहुत तेज़ीसे विकसित हो रहा है, 5.75 लाख किलोमीटर लंबी फाइबर केबल बिछा दी गई है और 8 साल में 1,80,000 गांवों को इससे जोड़ने का काम किया गया है, जो 8 साल पहले 10,000 से भी कम थी। गृहमंत्री ने कहाकि हम सबके सामने चुनौती कितनी बड़ी होने वाली है, हमें इसका संज्ञान होना चाहिए।लेकिन भारत सरकार का गृह मंत्रालय भी लगातार बहुत चौकन्ने तरीके से साइबर फ्रॉड की रोकथाम केलिए भी पूरी तरह जागरुक है और तेजीसे आगे बढ़ रहा है। अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2017 में गृह मंत्रालय में साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग बनाया गया और वहां से साइबर सुरक्षा की दिशा में बहुत सारे कदम उठाए गए। गृहमंत्री ने कहाकि I4C और सीआईएस डिवीजन के तहत सात स्तंभों में साइबर अपराधओं की रोकथाम केलिए काम चल रहा है-राष्ट्रीय साइबर अपराध थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल, राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र, राष्ट्रीय साइबर अपराध अनुसंधान और नवाचार केंद्र, जॉइंट साइबरक्राइम कोऑर्डिनेशन, राष्ट्रीय साइबर अपराध इकोसिस्टम प्रबंधन यूनिट और राष्ट्रीय साइबर अपराध फॉरेंसिक प्रयोगशाला।
गृहमंत्री ने कहाकि कैपेसिटी बिल्डिंग केलिए भी I4C ने काफ़ी काम किया है, CyTrain पोर्टल के ज़रिए देशभर के पुलिसबलों के 16000 से ज्यादा अफ़सरों का इस पोर्टल पर प्रशिक्षण हो चुका है और 6000 लोगों को सर्टिफिकेट दिए जा चुके हैं। साइबर अपराध फॉरेंसिक जांच में भी राष्ट्रीय साइबर अपराध फॉरेंसिक प्रयोगशाला के साथ-साथ नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी में भी अनुसंधान का काम चल रहा है। गृहमंत्री ने कहाकि देश और दुनिया में कहीं पर भी साइबर फ्रॉड या साइबर अटैक का नए प्रकार का हमला होता है तो नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी इसका संज्ञान लेकर और इसपर शोध करके इससे बचाव और सुरक्षा की प्रणाली विकसित करने केलिए काम कर रही है। गृहमंत्री ने कहाकि साइबर सुरक्षा एक प्रकार से राष्ट्रीय सुरक्षा केसाथ भी जुड़ी है, जो हमारे देश को सुरक्षित देखना नहीं चाहते, वह अनेक प्रकार के साइबर अटैक का प्रयोजन भी करते हैं। गृहमंत्री ने कहाकि कुछ देशों ने तो इसके लिए साइबर आर्मी भी बनाई हुई है, मगर भारत सरकार का गृह मंत्रालय इससे निपटने केलिए पूरी तरह से चौकन्ना है और हर कदम पर इसकी रोकथाम केलिए हम अपने आपको अपग्रेड भी कर रहे हैं।
गृहमंत्री ने कहाकि साइबर फ्रॉड के कई नए आयाम आनेवाले दिनों में देखने में आएंगे, साइबर स्पेस सुरक्षा के संदर्भ में भी हमें कई तैयारियां करनी होंगी, नागरिकों की प्राइवेसी के प्रश्न हमारे सामने उपस्थित हो चुके हैं, क्रिटिकल इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी के संदर्भ में हमें और अधिक सतर्कता बरतनी होगी। उन्होंने कहाकि डेटा और इंफॉर्मेशन यह दोनों आने वाले दिनों में बहुत बड़ी आर्थिक ताकत बनने वाली है, इसीलिए डेटा और इंफॉर्मेशन की सुरक्षा केलिए भी हमें ख़ुद को तैयार करना होगा। गृहमंत्री ने कहाकि यह जो आजादी के अमृत महोत्सव का एक नए प्रकार का इनीशिएटिव संस्कृति मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने लिया है और विश्वास हैकि जब देश आजादी की शताब्दी मना रहा होगा, तब न सिर्फ़ साइबर सुरक्षा की दृष्टि से देश सुरक्षित होगा, बल्कि दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित साइबर एटमॉस्फेयर अगर दुनिया में कहीं पर भी होगा तो हमारे भारत में होगा। कार्यक्रम में केंद्रीय गृह सचिव, गृह मंत्रालय और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।