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महिला सशक्तिकरण पर लीलावती पुरस्कार

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लैंगिक समानता पर जोर-शिक्षा मंत्री

'बालिकाओं के समग्र विकास केलिए सरकार की कई योजनाएं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 12 April 2021 05:43:48 PM

education minister distributed award on women empowerment

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रतिभागियों को एआईसीटीई लीलावती पुरस्कार-2020 प्रदान किए हैं। शिक्षा मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहां 'नारी तू नारायणी' हमारे लोकाचार और संस्कृति का अभिन्न अंग है और नरेंद्र मोदी सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में लड़कियों और महिलाओं के समग्र विकास के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हुई हैं, जिनमें सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बटाओ-बेटी पढ़ाओ योजना प्रमुख हैं। रमेश पोखरियाल ने बताया कि सरकार ने उड़ान योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य स्कूल स्तरपर कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाली लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाना है।
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा कि हमने महिलाओं के लिए तकनीकी शिक्षा को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करने के लिए प्रगति योजना शुरू की है। रमेश पोखरियाल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने लैंगिक समानता पर बहुत जोर दिया है और विद्यार्थियों को महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की पहलों में भाग लेना चाहिए। उन्होंने लीलावती पुरस्कारों की स्थापना के लिए एआईसीटीई की पहल का स्वागत किया और कहा कि इस तरह के अभिनव कदम लड़कियों को उच्चशिक्षा हासिल करने के लिए बहुत प्रेरित करेंगे, यह पहल महिलाओं के लिए शिक्षा और नवाचार में समानता का मार्ग प्रशस्त करेगी। एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि राष्ट्र में नारीत्व को सशक्त बनाने के लिए इस साल का लीलावती पुरस्कार प्रदान करते हुए एआईसीटीई को हर्ष हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत महिलाओं का सम्मान करने और नारीत्व की महिमा का गुणगान करने वाले देश के रूपमें जाना जाता है और इस तरह की पहलों से एआईसीटीई भी महिलाओं को सशक्त बनाने में अपना योगदान दे रहा है।
महिला सशक्तिकरण थीम पर एआईसीटीई ने कुल 456 प्रविष्टियों में से प्रतिभागियों को चुना, जिन्होंने 6 उपविषयों में प्रतिस्पर्धा की, जिसमें महिला स्वास्थ्य, आत्मरक्षा, स्वच्छता, साक्षरता, महिला उद्यमिता और कानूनी जागरुकता शामिल हैं। प्रारंभिक प्रविष्टियों का विश्लेषण करने के बाद प्रत्येक उपविषय के तहत शीर्ष 10 प्रविष्टियों को प्रजेंटेशन के लिए प्रोफेसर सुषमा यादव कुलपति बीपीएस महिला विश्वविद्यालय खानपुर कला हरियाणा और डॉ विनीता एस सहाय निदेशक आईआईएम बोधगया की अध्यक्षता वाली दो कमेटियों के समक्ष आमंत्रित किया गया था। महिला उद्यमिता उपविषय में सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी तमिलनाडु से एसडब्लूईएटी (सोना महिला उद्यमिता और प्रशिक्षण) ने पुरस्कार प्राप्त किया। डिजिटल साक्षरता उपविषय के तहत भारतीय विद्यापीठ ने प्रतियोगिता पुरस्कार प्राप्त किया। इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट पुणे ने साक्षरता उपविषय के तहत पुरस्कार प्राप्त किया।
महिला स्वास्थ्य उपविषय में वालचंद तकनीकी संस्थान महाराष्ट्र से डब्लूआईटी महिला स्वास्थ्य गठबंधन ने पुरस्कार प्राप्त किया। कानूनी जागरुकता उपविषय में थियागराजर पॉलिटेक्निक कॉलेज की रेडिएंट सीथा ने पुरस्कार प्राप्त किया। आत्मरक्षा उपविषय में तमिलनाडु के सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से परित्राणास ने पुरस्कार प्राप्त किया। डिजिटल साक्षरता उपविषय के तहत पुरस्कार जीतने वाली भारतीय विद्यापीठ ने कहा कि भारत में 2014 के बाद हुई इंटरनेट क्रांति ने राष्ट्र में महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस मौके पर वक्ताओं ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वर्ष 2014 के बाद भारत में इंटरनेट क्रांति हुई और इसने देश की महिलाओं को बढ़ने में मदद की है, क्योंकि जानकारी उनकी उंगलियों पर उपलब्ध है। हालांकि अब भी देश में कई महिलाएं हैं, जिनके पास पर्याप्त डिजिटल साक्षरता नहीं है और हमें उन्हें भी समाज में आगे लाकर उन्हें अवसरों से रू-ब-रू कराना चाहिए।

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