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'स्वाधीनता और साहित्य' विषय पर व्याख्यान

साहित्य मनुष्य की संवेदना को विकसित करता है-नंदकिशोर

माधव हाड़ा को स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र नंदवाना सम्मान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 13 February 2020 01:51:47 PM

lecture on 'freedom and saahity'

चित्तौड़गढ़। कवि और चिंतक नंदकिशोर आचार्य ने 'स्वाधीनता और साहित्य' विषय पर व्याख्यान देते ‌हुए कहा है कि मनुष्य केवल तर्क से नहीं संवेदना से भी चलता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के खास विचार में अवमूल्यन करना साहित्य की कला को नष्ट करना है। नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि साहित्य की आवश्यकता इसलिए बनी रहेगी कि वह मनुष्य की संवेदना को विकसित करता है। संभावना संस्थान के 'स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र नंदवाना स्मृति सम्मान' समारोह में नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि राष्ट्रवादियों, राज्यवादियों के पास अनेक तर्क हैं, लेकिन सिर्फ तर्क से काम नहीं चलता, तर्क के आधार पर कुछ सिद्ध नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे संवेदनशीलता उत्पन्न हो जाए यह जरूरी नहीं।
नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि साहित्य न्याय संवेदना पैदा करता है। उन्होंने कहा कि न्याय के बिना कोई समाज समाज नहीं बनता, साथ ही कानूनी न्याय हमेशा संवेदनात्मक न्याय नहीं हो सकता, न्याय का संवेदन बेहद आवश्यक है, क्योंकि इसी से समाज का वास्तविक निर्माण सम्भव है। नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि अपने पूर्वग्रहों को साहित्य पर थोपे जाने से रोकें, यही साहित्य की स्वाधीनता है। उन्होंने कहा कि समानता, बंधुत्व और स्वतंत्रता बड़े सामाजिक मूल्य हैं, जिन्हें बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संवेदनात्मक सत्याग्रह के लिए साहित्य हो, सत्य और न्याय समानार्थी हैं, इसलिए साहित्य संवेदनात्मक सत्याग्रह करे यह आकांक्षा होनी चाहिए। नंदकिशोर आचार्य ने सुप्रसिद्ध आलोचक माधव हाड़ा को उनकी चर्चित कृति 'पचरंग चोला पहर सखी री' के लिए पहला 'स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र नंदवाना स्मृति सम्मान' प्रदान किया। उन्होंने माधव हाड़ा को प्रशस्तिपत्र और ग्यारह हजार रुपये भेंट किए। माधव हाड़ा ने सम्मान को स्वीकार करते हुए कहा कि मीरा की कार्यस्थली चित्तौड़ में यह सम्मान मिलना गौरव की बात है, क्योंकि मीरा के प्रसंग में मेड़ता से अधिक चित्तौड़ का स्मरण होता है।
आलोचक माधव हाड़ा ने मीरा पर लिखी अपनी सम्मानित कृति के संबंध में कहा कि उन्होंने कोशिश की है रूढ़ि और रूपक का सहारा लिए बिना अपनी बात कहें, प्रचारित तथ्यों से अलग लोक, आख्यान और परम्परा में जो तथ्य हैं, उनका महत्व भी समझा जाए। माधव हाड़ा ने स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र नंदवाना को नमन करते हुए कहा कि गांधीवादी जीवनशैली और सामाजिक सक्रियता के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय है। कार्यक्रम में संभावना संस्थान के अध्यक्ष डॉ केसी शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। आकाशवाणी के अधिकारी लक्ष्मण व्यास ने प्रशस्ति वाचन किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ कनक जैन ने अतिथियों का परिचय दिया। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ सत्यनारायण व्यास, मुन्नालाल डाकोत, नंदकिशोर निर्झर, गीतकार रमेश शर्मा, अब्दुल जब्बार, डॉ राजेंद्र सिंघवी, विजन कालेज की निदेशक साधना मंडलोई, गुरविंदर सिंह, जेपी दशोरा, सीएआईएम सेठिया, सत्यनारायण नंदवाना, संतोष शर्मा, जितेंद्र त्रिपाठी, गोपाललाल जाट, सुनीता व्यास, साहित्य प्रेमी, पत्रकार, विद्यार्थी और शोधार्थी भी उपस्थित थे। स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र नंदवाना के दोहित्र और दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य डॉ पल्लव ने आभार व्यक्त किया।

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