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गर्भपात कानून में होगा इसी सत्र में संशोधन

संशोधन कानून में महिला की प्रत्येक सुरक्षा का ध्यान

गर्भपात कराने के मामलों की होगी कड़ी निगरानी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 29 January 2020 05:31:19 PM

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्‍सा गर्भपात अधिनियम-1971 में संशोधन करने के लिए चिकित्‍सा गर्भपात (एमटीपी) (संशोधन) विधेयक-2020 को मंज़ूरी दे दी है। इस विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन की महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं-गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए एक चिकित्सक की राय लेने की जरूरत और गर्भावस्था के 20 से 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए दो चिकित्सकों की राय लेना जरूरी होगा। विशेष तरह की महिलाओं के गर्भपात के लिए गर्भावस्था की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह करना है, जिन्हें एमटीपी नियमों में संशोधन के जरिए परिभाषित किया जाएगा और इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित और अन्य असुरक्षित महिलाएं जैसे दिव्यांग महिलाएं, नाबालिग भी शामिल होंगी।
मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच में पाई गई शारीरिक भ्रूण संबंधी विषमताओं के मामले में गर्भावस्था की ऊपरी अवस्‍था लागू नहीं होगी। मेडिकल बोर्ड के संगठक, कार्य और अन्य विवरण कानून के नियमों के तहत निर्धारित किए जाएंगे। जिस महिला का गर्भपात कराया जाना है, उसका नाम और अन्य जानकारियां उस वक्त कानून के तहत निर्धारित किसी खास व्यक्ति के अलावा किसी और के सामने प्रकट नहीं किया जाएगा। महिलाओं के लिए उपचारात्मक, सुजनन, मानवीय या सामाजिक आधार पर सुरक्षित और वैध गर्भपात सेवाओं का विस्तार करने के लिए यह चिकित्‍सा गर्भपात (संशोधन) विधेयक-2020 लाया जा रहा है। प्रस्तावित संशोधन में कुछ उप-धाराओं का स्थानापन्न करना, मौजूदा गर्भपात कानून-1971 में निश्चित शर्तों के साथ गर्भपात के लिए गर्भावस्था की सीमा बढ़ाने के उद्देश्य से कुछ धाराओं के तहत नए अनुच्छेद जोड़ना और सुरक्षित गर्भपात की सेवा एवं गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता किए बग़ैर कड़ी शर्तों के साथ समग्र गर्भपात देखभाल को पहले से और अधिक सख़्ती से लागू करना शामिल है।
गर्भपात कानून महिलाओं की सुरक्षा और सेहत की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। सरकार का कहना है कि इससे बहुत महिलाओं को लाभ मिलेगा। हाल के दिनों में अदालतों में कई याचिकाएं दी गईं, जिनमें भ्रूण संबंधि विषमताओं या महिलाओं के साथ यौन हिंसा की वजह से गर्भधारण के आधार पर मौजूदा स्वीकृत सीमा से अधिक गर्भावस्था की अवधि पर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी गई। जिन महिलाओं का गर्भपात जरूरी है, उनके लिए गर्भावस्था की अवधि में प्रस्तावित बढ़ोतरी उनके आत्मसम्मान, स्वायत्तता, गोपनीयता और इंसाफ को सुनिश्चित करेगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात सेवाएं उपलब्ध कराने और चिकित्सा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास को ध्यान में रखते हुए विभिन्न हितधारकों और मंत्रालयों के साथ वृहद विचार-विमर्श के बाद गर्भपात कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है।

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