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Tuesday 8 October 2019 12:40:25 PM
जिनेवा। भारत सरकार में कपड़ा मंत्री स्मृति ज़ुबिन इरानी ने कहा है कि भारत अफ्रीका के साथ विशेषकर कपास के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्मृति ज़ुबिन इरानी ने जिनेवा में विश्व कपास दिवस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि विकासशील देशों में कपास लाखों छोटे व सीमांत किसानों की आजीविका का स्रोत है। उन्होंने अफ्रीका के लिए कपास प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम के दूसरे चरण की घोषणा की, दूसरा चरण पांच वर्ष का होगा, कार्यक्रम के कवरेज को विस्तार दिया जाएगा और इनमें पांच और देश माली, घाना, टोगो, जाम्बिया और तंजानिया को शामिल किया जाएगा।
कपड़ा मंत्री ने कहा कि कपास की खेती तथा घरेलू सूती वस्त्र उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभ हैं, देश में 80 लाख छोटे और सीमांत किसान कपास की खेती से जुड़े हैं। स्मृति इरानी ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व कपास दिवस नवोन्मेषी पहलों की शुरूआत करने में सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि कपास प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम में शामिल होने वाले देशों की संख्या 11 हो गई है, इनमें सी-4 बेनिन, बुर्किना फासो, चाड और माली भी शामिल हैं। कपड़ा मंत्री ने कहा कि भारत ने अफ्रीका के किसानों, वैज्ञानिक, सरकारी अधिकारियों और उद्योगजगत के प्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया है। गौरतलब है कि भारत ने 2012 से 2018 तक कपास प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम संचालित किया था, जिसमें छह अफ्रीकी देश बेनिन, बुर्किना फासो, चाड, मालावी, नाइजीरिया और युगांडा शामिल थे।
स्मृति इरानी ने कहा कि इस प्रकार कपास के कृषि और वस्त्र आयामों को मजबूत बनाया गया है, कपास संबंधी अवसंरचनाओं का भी निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व के सबसे बड़े कपास उत्पादक और उपभोक्ता देशों में शामिल है, भारत विश्व कपास दिवस को समर्थन प्रदान करता है, यह कपास के महत्व की पहचान करने का अवसर है। स्मृति इरानी ने कहा कि विश्व कपास दिवस के लिए महात्मा गांधी को आइकन के रूपमें चुना जाना सर्वथा उपयुक्त है। इस अवसर पर भारत की ओर से डब्ल्यूटीओ को महात्मा गांधी के चरखे की प्रतिकृति भेंटस्वरूप प्रदान की गई। भारत के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बुनकर पिट्टा रामुलु ने चरखे पर अपनी कला का प्रदर्शन किया।