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अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया

द्वितीय सांकेतिक भाषा प्रतिस्पर्धा के विजेता पुरस्कृत

सांकेतिक भाषा बधिर लोगों के बीच संवाद का माध्यम

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Monday 23 September 2019 04:17:40 PM

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नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्था भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र ने आज सांकेतिक भाषा दिवस मनाया। कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और रतनलाल कटारिया मुख्य अतिथि के रूपमें शामिल हुए। थावरचंद गहलोत ने कहा कि भारत सरकार समस्त दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने सांकेतिक भाषा के 6 हजार शब्दों का शब्दकोश निकालने के लिए आईएसएलआरटीसी की सराहना की और आशा व्यक्त की कि 2020 तक 4 हजार अन्य नए सांकेतिक शब्द इस शब्दकोश में जोड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि सांकेतिक भाषाओं का प्राचीन इतिहास है और आजकल इन्हें आधुनिक तरीके से विकसित किया जा रहा है, इन सांकेतिक भाषाओं में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता लाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के कल्याण के लिए उनके मंत्रालय ने बहुत सी पहलें शुरु की हुई हैं।
गौरतलब है कि संयुक्तराष्ट्र ने 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस घोषित किया है। इस दिवस को 19 दिसंबर 2017 को संयुक्तराष्ट्र सभा ने औपचारिक स्वीकृति प्रदान की थी। इस वर्ष का विषय था-सांकेतिक भाषा-सबका अधिकार। सांकेतिक भाषा दिवस मनाने का उद्देश्य सांकेतिक भाषा के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देना तथा प्रत्येक व्यक्ति तक सांकेतिक भाषा की पहुंच उपलब्ध कराना है। इस अवसर पर कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि सांकेतिक भाषा बधिर लोगों के बीच संवाद का माध्यम है और तो और प्राचीनकाल में भी जब वाचिक भाषाओं का विकास नहीं हुआ था, लोग इन्हीं सांकेतिक भाषाओं के माध्यम से संचार करते थे। रतनलाल कटारिया ने कहा कि सांकेतिक भाषाएं बेहद समृद्ध भाषाएं हैं। उन्होंने कहा कि जब हम सांकेतिक भाषाओं की चर्चा करते हैं तो हम उन देशों की संस्कृति की बात करते हैं। उन्होंने बधिरों के लिए सराहनीय सेवाएं प्रदान करने के लिए आईएसएलआरटीसी की सराहना की।
कार्यक्रम के दौरान द्वितीय सांकेतिक भाषा प्रतिस्पर्धा-2019 के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए। इस प्रतिस्पर्धा के लिए दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पढ़ने वाले बधिर बच्चों से भारतीय सांकेतिक भाषा में चुटकुलों, कहानियों और निबंधों के संबंध में प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। इन प्रविष्टियों के माध्यम से छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और ज्ञान का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में आईएसएलआरटीसी के छात्रों और अध्यापकों ने आईसीएल में नाटक और गीत जैसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पेश कीं। इस मौके पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में सचिव शकुंतला डी गैमलिन, सचिव डॉ प्रबोध सेन तथा आईएसएलआरटीसी के निदेशक भी उपस्थित थे।

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