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यूपी में भू-गर्भ जल संरक्षण के लिए कानून

प्रस्तावित विधेयक सुझावों के लिए इंटरनेट पर

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मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता-chief secretary atul kumar gupta

लखनऊ। मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता ने राज्य मुख्यालय पर मीडिया को बताया है कि भूजल संसाधनों के संरक्षण, सुरक्षा, प्रबन्ध, नियोजन एवं विनियमन के लिए राज्य सरकार ने एक अधिनियम बनाने का निश्चय किया है। व्यापक विचार-विमर्श के बाद प्रस्तावित अधिनियम को जनमानस के सुझाव और प्रतिक्रियाएं प्राप्त करने के लिए भूगर्भ जल विभाग, उप्र की वेबसाइट (http://gwd.up.nic.in) पर इसे प्रदर्शित किया गया है। भूजल अधिनियम के प्रस्तावित प्राविधानों पर जनमानस की प्रतिक्रिया एवं सुझाव 45 दिन में अर्थात विलम्बतम 5 जुलाई 2010 तक आमंत्रित किए गए हैं। सुझाव एवं प्रतिक्रियाएं up.gwd@rediffmail.com पर ईमेल या निदेशक भूगर्भ विभाग उप्र, इन्दिरा भवन, नवां तल, अशोक मार्ग, लखनऊ के पते पर भी प्रेषित की जा सकती हैं।
मुख्य सचिव ने दावा किया है कि प्रस्तावित अधिनियम, राज्य में भूगर्भ जल के सुरक्षा एवं विकास के प्रबन्धन, नियन्त्रण एवं विनियमन के उद्देश्य से तैयार किया गया है। प्रदेश में विगत वर्षों में भूगर्भ जल के अनियन्त्रित एवं तेजी से हो रहे दोहन के फलस्वरूप कई क्षेत्रों में भूगर्भ जल स्तर में गिरावट दिखाई दी है, जो भूजल उपलब्धता की दृष्टि से चिन्ताजनक स्थिति है और राज्य के कई भागों, शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में भूजल के जलाशयों में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए भूगर्भ जल का दोहन आवश्यक है, किन्तु इसके साथ-साथ इस बहुमूल्य संसाधन की सुरक्षा एवं परिरक्षण के लिए उसका प्रबन्ध, नियन्त्रण एवं विनियमन, विशेषकर संकटग्रस्त क्षेत्र में किया जाना समय की मांग भी है। वर्तमान में प्रदेश में 138 विकास खण्ड संकटग्रस्त की श्रेणी में हैं और यदि इस बहुमूल्य संसाधन की सुरक्षा एवं प्रबन्धन के लिए पर्याप्त एवं प्रभावी कदम नहीं उठाये गये तो शीघ्र ही अधिकांश विकास खण्ड संकटग्रस्त की श्रेणी में होंगे, जिससे प्रदेश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और जल संबंधी अधिकांश क्रियाकलाप बन्द हो जाएंगे और जो क्रियाकलाप होंगे भी तो वे अधिक खर्चीले होंगे।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक को नाम एवं विस्तार और परिभाषाओं, भूजल प्राधिकरण के गठन इसके कृत्य अधिकार शक्तियों, भूजल सम्भरण और विविध जिसमें दण्ड इत्यादि के प्राविधान हैं, चार अध्यायों में विभाजित किया गया है। प्रस्तावित एक्ट सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में लागू होगा और यह सरकार की निर्धारित तिथि से लागू होगा। विधेयक में गैर नोटीफाइड, सेमी क्रिटिकल, अतिदोहित एवं क्रिटिकल क्षेत्रों के लिए अलग-अलग प्राविधान हैं।
नॉन नोटीफाइड शहरी क्षेत्र में 0.5 हार्स पावर तक के प्रयुक्त करने वाले भूजल उपभोक्ता पर कोई नियन्त्रण फिलहाल नहीं होगा, 0.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट स्थापित करने के लिए रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा और भूजल दोहन सीमा प्रत्येक शहरी क्षेत्र के लिए बल्क यूजर के लिए निर्धारित सीमा तक होगी।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज अनिवार्य होगा, 0.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना होगा। शहरी क्षेत्र के बल्क यूजर को निर्धारित मात्रा में आरडब्लूएच/आर (रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज) करना होगा और भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक करने का प्रतिबन्ध होगा।
बल्क यूजर से भूजल दोहन के लिए फीस लेने का भी प्राविधान है और इसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह निर्धारित फीस देकर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण वर्ष में दो बार कराए।

नॉन नोटीफाइड ग्रामीण क्षेत्र में फिलहाल 7.5 हार्स पावर तक के पम्पसेट प्रयुक्त/स्थापित करने वाले भूजल उपभोक्ताओं पर कोई प्रतिबन्ध/नियन्त्रण लागू नहीं होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट स्थापित करने के लिए वाटर यूजर एसोशिएशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा और भूजल का दोहन प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र के लिए बल्क यूजर के लिए निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना होगा।
ग्रामीण क्षेत्र के बल्क यूजर को निर्धारित मात्रा में आरडब्लूएच/आर करना होगा और भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। बल्क यूजर से भूजल दोहन के लिए फीस लेने का भी प्राविधान है और इसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार कराएंगे।
नोटीफाइड एरिया (सेमी क्रिटिकल एरिया लेवेल-1) शहरी क्षेत्र में 0.5 हार्स पावर तक के पम्प सेट स्थापित करने के लिए रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोशिएशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा। आरडब्लूएच/आर अनिवार्य होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से स्थापित किये जा सकेंगे और ऐसे मामलों में निर्धारित सीमा तक आरडब्लूएच/आर अनिवार्य होगा। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना अनिवार्य होगा।
शहरी क्षेत्र के बल्क यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही नये नलकूप/कूप निर्मित करा सकेंगे। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। आर डब्लूएच/आर अनिवार्य होगा और इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण की निर्धारित होगी।
बल्क यूजर से फीस लेने का भी प्राविधान है और उसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार निरीक्षण कराएंगे।
नोटीफाइड ग्रामीण क्षेत्र में 7.5 हार्स पावर तक के पम्पसेट स्थापित करने के लिए वाटर यूजर एसोशिएशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा। आरडब्लूएच/आर अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही स्थापित किये जा सकेंगे। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही होगा और ऐसे मामलों में निर्धारित सीमा तक आरडब्लूएच/आर अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना अनिवार्य होगा।
बल्क यूजर सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही नलकूप/कूप निर्मित करा सकेंगे और उनके लिए आरडब्लूएच/आर अनिवार्य होगा और इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण से निर्धारित होगी। बल्क यूजर निर्धारित सीमा तक ही भूजल दोहन कर सकेंगे। बल्क यूजर के लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर कराएंगे।
अतिदोहित/क्रिटिकल एरिया (लेविल-2 एवं 3) क्षेत्रों में नये कूपों/नलकूपों का निर्माण पूर्णतः प्रतिबन्धित किया गया है, यद्यपि कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर्स को छोड़कर शेष सभी यूजर्स को मानव आवश्यकता/पेय जल के लिए वाटर सप्लाई के लिए नलकूप/कूप के निर्माण की अनुमति पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर की देख-रेख में होगी।
भूजल के सभी वर्तमान एवं नये उपभोक्ताओं को पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर की देख रेख में आरडब्लूएच/आर तकनीकी अपनाना अनिवार्य होगा और आरडब्लूएच/आर की न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। भूजल उपभोक्ता को आरडब्लू एच/आर स्ट्रक्चर पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण भी पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर करना होगा। बल्क यूजर के लिए भूजल दोहन की सीमा भी निर्धारित होगी।
कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर के लिए नान नोटीफाइड एवं सेमी क्रिटिकल (लेविल-1) क्षेत्र में नलकूप/कूप बनाने के लिए ऐसे यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर को आवेदन करेंगे और पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के निर्देशन एवं देख-रेख में ही कूप/नलकूप का निर्माण कराएंगे। भूजल दोहन की सीमा प्राधिकरण से निर्धारित होगी।
ऐसे उपभोक्ताओं को आरडब्लूएच/आर विधियां अपनाना अनिवार्य होगा और इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण से निर्धारित होगी। इनके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्टेक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर कराएंगे। इस श्रेणी के भूजल उपभोक्तओं से प्राधिकरण/राज्य सरकार द्वारा भूजल दोहन के लिए फीस भी ली जा सकेगी।
अतिदोहत/क्रिटिकल (लेविल-2 एवं 3) में कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर को नये नलकूप/कूप स्थापित करने की अनुमति नहीं होगी। वर्तमान उपभोक्ताओं को आरडब्लूएच/आर विधियां अपनाना अनिवार्य होगा और इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। ऐसे क्षेत्रों में यह भी आवश्यक होगा कि कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार करायें। इस अधिनियम में भूजल सम्भरण एवं वर्षा जल संचयन के लिए भी व्यापक प्राविधान किये गये हैं। इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त आर के शर्मा, प्रमुख सचिव लघु सिंचाई, सुशील कुमार और अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

U.P. Ground Water Conservation, Protection & Development-(Proposed Draft Bill)

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