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आईआईएम के मैनेजर जड़ में जाकर समाधान खोजें-राष्ट्रपति

भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर का पहला दीक्षांत समारोह

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Monday 18 March 2013 10:13:42 AM

indian institute of management kashipur

काशीपुर/देहरादून। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) काशीपुर के प्रथम दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि देश के राजनैतिक और आर्थिक विकास के लिए यह आवश्यक है कि विकास का ढांचा ऐसा हो, जिससे देश के गरीब वर्ग को फायदा मिल सके, देश के समक्ष काफी चुनौतियां हैं, इनका सामना करने के लिए देश को जमीन से जुड़े नेताओं की जरूरत है, जिनकी प्राथमिकता लोगों की कठिनाईयों को समझकर उनका समाधान करना हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि यदि हम सब भारतीय मिलकर काम करें तो हम गरीबी, कुपोषण, भूख और बीमारी जैसी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने आईआईएम काशीपुर के छात्रों का आह्वान किया कि वह समस्याओं की जड़ में जाकर उनका समाधान खोजें। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात का पूरा विश्वास है कि यदि देश के सभी नागरिक अपना कार्य पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करेंगे तो भविष्य में भारत एक गतिशील और विकसित राष्ट्र बनेगा। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की आईआईएम काशीपुर प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में देश का अग्रणी संस्थान बनेगा। उन्हें आशा है कि इस प्रबंध संस्थान से पास आउट हुए यहां के स्नातक भविष्य में समाज के विभिन्न वर्गो के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में अपना योगदान करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज देश के उद्योगों को ऐसी रणनीति बनाने की आवश्यकता है, जिससे वह विश्व के उद्योगों के साथ मुकाबला कर सकें, इस कार्य में आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित प्रबंध संस्थानों की खास भूमिका होगी, मानव संसाधन विकास यदि तकनीक पर आधरित होगा तो उसके अच्छे परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि यह आईआईएम एक ऐसे औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित किया गया है, जिसके आसपास ग्रामीण क्षेत्र है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्नातकों को प्रबंधन की पढ़ाई के साथ ही इस क्षेत्र के लोगों की सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए भी कार्य करना चाहिए, छात्रों को इस क्षेत्र में कार्य कर रहे छोटे व्यवसाईयों एवं किसानों को अपने व्यवसाय, उपज को बढ़ाने के लिए नए तरीके सिखाने चाहिएं। उन्होंने आशा व्यक्त की, कि सामाजिक एवं आर्थिक विकास के ध्येय को लेते हुए संस्थान के छात्र कुशल मैनेजर बनेंगे और अपने संस्थान को प्रगति के पथ पर अग्रसर करेंगे।
राष्ट्रपति ने भारतीय उद्योग को वैश्विक औद्योगिक विकास के मुकाबले उत्कृष्ट बनाने के लिए रणनीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए विशेष तौर से प्रशिक्षित मानव शक्ति की आवश्यकता है, देश के व्यापार की बढ़ोत्तरी के लिए प्रशिक्षित मानव शक्ति और प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट श्रेणी के व्यवसायिक लोगों की आवश्यकता है, इस समय देश में विशेष तौर पर ऐसे प्रशिक्षित व्यवसायिकों की कमी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रबंधन और वाणिज्य क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 2006-07 के 23 लाख की संख्या के बढ़कर 2011-12 में 34 लाख पहुंच गयी है, इन क्षेत्रों में स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों की भविष्य में और अधिक मांग होगी। राष्ट्रपति ने इस बात पर अफसोस किया कि विश्व के 200 उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों में भारत का कोई भी विश्वविद्यालय अथवा संस्थान शामिल नहीं है, इसके लिए हमारे विश्वविद्यालयों को कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है, ताकि उन्हें भी इस सूची में स्थान मिल सके। राष्ट्रपति ने कहा कि देश में शोध को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, इसके लिए शोध के क्षेत्र में विश्व के प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सम्मिलित शोध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, इससे देश के उद्योगों को खासा फायदा पहुंचेगा। उन्होंने आज यहां प्रथम बैच के पास आउट 37 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान कीं। इनमें से एक छात्र अंकित गर्ग को गोल्ड मैडल, पुलकित तलुजा को रजत व मयंक मिश्रा को चतुरमुखी प्रदर्शन हेतु पदक प्रदान किए गए।
कार्यक्रम में राज्यपाल डॉ अजीज कुरैशी, प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री जितिन प्रसाद के अलावा आईआईएम की गर्वनिंग बाडी के अध्यक्ष ध्रुव एम स्वामी, निदेशक आईआईएम डॉ गौतम सिन्हा, सांसद प्रदीप टम्टा, सांसद केसी सिंह बाबा, काबिना मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, मंत्री प्रसाद नैथानी, विधयक शैलेंद्र मोहन सिंघल एवं हरभजन सिंह चीमा, केजीसीसीआई अध्यक्ष विकास जिंदल, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा राकेश शर्मा सहित छात्र-छात्रों के अभिभावक व अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। इससे पूर्व उत्तराखंड आगमन पर प्रदेश के राज्यपाल डॉ अज़ीज़ कुरैशी एवं मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राष्ट्रपति का काशीपुर पहुंचने पर हेलीपेड पर स्वागत किया।

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