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रायसेन में जननायक बिरसा मुंडा की जयंती

'बहुजन समाज के लिए संघर्ष के प्रतीक हैं बिरसा मुंडा'

लक्ष्य टीम को देशव्यापी बनाने का संकल्प लिया गया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 17 November 2018 04:07:16 PM

jananayak birsa munda kee jayantee

रायसेन। भारतीय समन्वय संगठन 'लक्ष्य' की रायसेन टीम ने संघर्ष के प्रतीक महाजननायक बिरसा मुंडा की मध्य प्रदेश के जनपद रायसेन की अवंतिका कालोनी में जयंती मनाकर उनके अविस्मरणीय संघर्ष को याद किया। 'लक्ष्य' टीम के यूथ कमांडर अखिलेश गौतम ने महाजननायक बिरसा मुंडा के आदिवासियों के लिए संघर्ष की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि वो बहुजन समाज के लिए संघर्ष के प्रतीक हैं। उन्होंने लक्ष्य के यूथ कमांडरों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें अपने मान-सम्मान के जीवन के लिए उनसे संघर्ष करने की प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने बहुजन समाज के युवाओं का आह्वान किया कि वो बहुजन समाज के शोषण एवं अत्याचारों के खिलाफ आगे आएं और उनका डटकर मुकाबला करें।
लक्ष्य कमांडर अखिलेश गौतम ने कहा कि जिस समाज के लोग संघर्ष करते हैं, वही समाज शेर की ज़िंदगी जीता है और जिस समाज के लोग संघर्ष करने से दूर भागते हैं, उस समाज के लोग डरपोक होते हैं और उनका आए दिन शोषण होता है एवं वह समाज अंधकार में जीने को मजबूर होता जाता है। उन्होंने खेद प्रकट किया कि बहुजन समाज के जो लोग सरकार में अच्छे पदों पर हैं और आर्थिक रूपसे मज़बूत भी हो गए हैं, वो लोग भी अपने समाज के कल्याण के लिए संघर्ष के नाम से डरते हैं और बहुजन समाज के शोषण और अत्याचार पर मूक बने रहते हैं। उन्होंने बहुजन जागरुकता में लक्ष्य की महिला टीम की अनुकरणीय भूमिका पर भी विस्तार से प्रकाश डाला और महिला टीम पर गर्व व्यक्त किया। इस अवसर पर लक्ष्य यूथ कमांडर जसवंत सिंह, सनी तिलचोरिया और देवेंद्र चौधरी ने भी अपने विचार प्रकट किए एवं बहुजन समाज के उत्‍थान के लिए लक्ष्य को देशव्यापी बनाने का संकल्प लिया।
बिरसा मुंडा का जन्म आदिवासी परिवार में 15 नवम्बर 1875 को छोटा नागपुर पठार में रांची के उलीहातू गांव में हुआ था। अंग्रेजी शासनकाल में बिरसा मुंडा को 1895 में आदिवासी लोगों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था और दो साल की सजा हुई थी। सफेद झंडा बिरसा राज का प्रतीक था। बिरसा मुंडा ने 1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूपमें सभी आदिवासियों को एकत्रकर अंग्रेजों से लगान माफी के लिए आंदोलन किया और उन्हें गिरफ़्तार कर हजारीबाग केंद्रीय कारागार में निरुद्ध कर दिया गया। बिरसा मुंडा और उनके समर्थकों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने से अपने कदम पीछे नहीं हटाए और ऐसा संघर्ष किया कि अंग्रेज हिल गए और अपने जीवनकाल में उन्होंने एक महापुरुष का दर्जा पाया। बिरसा मुंडा को झारखंड में धरती बाबा नाम से भी पुकारा और पूजा जाता है। बिरसा मुंडा इस प्रकार बहुजन समाज के लिए भी सम्मानित और आदर्श माने जाते हैं।

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