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'आधुनिकता अपनाएं किंतु संस्कृति को भी संजोएं'

उपराष्‍ट्रपति वेंकैया नायडु का आईटी वारंगल नगर में संबोधन

'नवाचार आज भारत देश की एक तात्‍कालिक आवश्‍यकता'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 8 October 2018 06:35:08 PM

venkaiah naidu addressing the diamond jubilee celebrations nit

वारंगल नगर (तेलंगाना)। उपराष्‍ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कहा है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का परिणाम अंतत: जनजीवन की बेहतरी के रूपमें सामने आना चाहिए। वेंकैया नायडु ने आज राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान वारंगल तेलंगाना के हीरक जयंती समारोह में यह बात कही। वारंगल नगर से अपना गहरा लगाव व्‍यक्‍त करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि यहां की एक बेजोड़ विशेषता है और वो ये है कि यह एक स्‍मार्ट सिटी होने के साथ-साथ एक विरासत नगर भी है। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि वारंगल की कहानी हम सभी के लिए एक उदाहरण के रूपमें काम करेगी, जिसकी थीम है कि आधुनिकता को अपनाओ, किंतु उन सभी अच्‍छे गुणों को संजोकर रखो, जो कुछ हमारी प्राचीन संस्‍कृति और परंपराओं ने हमें दिए हैं। उन्‍होंने एनआईटी वारंगल को भारत के सर्वश्रेष्‍ठ प्रौद्योगिकी संस्‍थानों में शामिल होने पर बधाई दी और एनआईटी द्वारा प्रौद्योगिकीय और वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने की दिशा में कई नए कदमों के लिए सराहना की।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने जोर देकर कहा कि एनआईटी जैसे प्रौद्योगिकीय संस्‍थानों को नवाचार पर व्‍यापक तौर पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि नवाचार को एक ऐसे मंत्र के रूपमें होना चाहिए जो संस्‍थान को आगे ले जाएं। उन्‍होंने कहा कि नवाचार अब भारत जैसे एक देश के लिए विलासिता नहीं है, बल्कि एक तात्‍कालिक आवश्‍यकता है। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2025 तक भारत विश्‍व के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्‍ता बाज़ार के रूपमें उभरकर एक 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा कि पूरा विश्‍व भारत की ओर देख रहा है, भारत के विकास की गाथा ने विश्‍व को आश्‍चर्यचकित कर दिया है और बड़ी संख्‍या में विदेशी कारोबारी भारत में निवेश करने के इच्‍छुक हैं। उन्‍होंने सावधान किया कि भारत के सतत विकास के लिए हमें नवाचार की ओर ही आगे बढ़ना होगा। उन्‍होंने कहा कि भारत अब अविकसित नहीं रह सकता।
उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि आज का नवाचार आगामी 20 वर्ष को ध्‍यान में रखते हुए होना चाहिए, यह नवाचार स्‍वच्‍छ और हरित होना चाहिए। वारंगल के स्‍मार्ट सिटी दर्जे की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि एक स्‍मार्ट सिटी रहने लायक, आरामदायक और खुशनुमा स्‍थान होना चाहिए तथा कार्यालयों से लेकर हितधारकों और सुविधाओं में से प्रत्‍येक को ‘स्‍मार्ट’ होना चाहिए। उन्‍होंने नगर योजनाकारों और नागरिक प्राधिकरणों से मांग की कि स्‍मार्ट सिटियों में ऐतिहासिक इमारतों, जल प्रवाह प्रणालियों और विरासत स्‍थलों जैसी देशी वास्‍तुकला संरचनाओं को संरक्षित करने के उपाय करने चाहिएं। उन्‍होंने कहा कि जरूरतमंद लोगों के लिए सस्‍ते घरों के निर्माण के लिए गुंजाइश रखी जाए। उन्‍होंने बुनियादी आवश्‍यकताओं की बढ़ती मांग को ध्‍यान में रखते हुए रहने लायक, पर्यावरण अनुकूल शहरी स्‍थानों के सृजन की जरूरत पर जोर दिया।
उपराष्‍ट्रपति ने गर्व व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि भारत को हमेशा से इसके मितव्‍ययी नवाचार के लिए जाना जाता है, नवाचार से भ्रष्‍टाचार से मुकाबला करने और सब्सिडियों की चोरी रोकने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि हमारे समय की सबसे विकट समस्‍याओं के कारगर और प्रभावी समाधान नवाचार से ही संभव होते हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत विश्‍व के स्‍वागत के लिए तैयार है, हमें अपनी प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने पर ध्‍यान देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि हमें शासन के ऑनलाइन संचालन के लिए ऐसा नवाचार अपनाना होगा, ताकि हम सेवाओं की उपलब्‍धता के लिए लंबी कतारें न हो। उपराष्‍ट्रपति ने एनआईटी जैसे महाविद्यालयों की जरूरतों के बारे में भी चर्चा करते हुए कहा कि उद्योग जगत के साथ पूर्व-छात्रों से भी इन्‍हें जुड़ा रहना चाहिए। उन्‍होंने एनआईटी, वारंगल परिसर में एक आधुनिक कन्‍वेंशन सेंटर के निर्माण के लिए एक साथ आने को लेकर सक्रिय पूर्व छात्रों की सराहना की।
वेंकैया नायडु ने कहा कि बढ़ते भौतिकवाद के वर्तमान युग में शिक्षा द्वारा सशक्‍त मूल्‍यों और नैतिकताओं में सन्निहित एक समाज के निर्माण के लिए आधारशिला स्‍थापित होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि छात्रों को सहनशीलता, सहानुभूति, सरलता, ईमानदारी और उदारता के मूल्‍यों को आत्‍मसात करना चाहिए। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि एनआईटी जैसे अग्रणी संस्‍थाओं से निकलने वाले इंजीनियरों को अपनी जानकारी और क्षमताओं का इस्‍तेमाल विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, स्‍वास्‍थ्‍य, परिवहन और शिक्षा से संबंधित समस्‍याओं के समाधान और लोगों के जीवन स्‍तर में सुधार लाने के लिए करना चाहिए। इस अवसर पर एनआईटी वारंगल के निदेशक प्रोफेसर रामना राव, अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध और पूर्व छात्र मामले के डीन प्रोफेसर केवी जयकुमार, कुलसचिव गोवर्धन राव, डीन, संकाय सदस्‍य और एनआईटी की विभिन्‍न शाखाओं के छात्र उपस्थित थे। 

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