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देश में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान-नाईक

हिंदी-उर्दू के समाचार पत्र अवधनामा का 15वां स्थापना दिवस

विभिन्न विधाओं में कार्यरत महानुभाव भी हुए सम्मानित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 3 September 2018 02:56:24 PM

governor ram naik honors waqar-e-awadh award

लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि देश को जोड़ने और भाषाओं के सम्मान में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है। हिंदी-उर्दू समाचार पत्र अवधनामा के 15वें स्थापना दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने समाचार पत्र और पत्रकारिता पर अपने प्रेरणाप्रद विचार व्यक्त किए। राज्यपाल राम नाईक ने अवधनामा को 15 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई दी और कहा कि 15 साल के सफर का अपना महत्व होता है। उन्होंने कहा कि अवधनामा धीरे-धीरे अपनी युवावस्था की ओर बढ़ रहा है और हिंदी और उर्दू में समाचार पत्र का प्रकाशन करके दोनों भाषाओं को और करीब लाने का काम कर रहा है। राम नाईक ने कहा कि देश के संविधान में उल्लिखित सभी भाषाएं देश की अपनी भाषाएं हैं, सभी भाषाओं को प्रगति करने का अवसर मिलना चाहिए, वह बात और है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है और सभी भाषाओं की बड़ी बहन है। उन्होंने कहा कि हिंदी के बाद सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा उर्दू है। उन्होंने कहा कि भाषाएं एक-दूसरे से जोड़ती हैं, हिंदी और उर्दू दोनों आपस में बहनें हैं।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि भारत की यह विशेषता है कि यहां विभिन्न धर्मों के लोग मिलजुलकर त्यौहार मनाते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे त्यौहार एक-दूसरे से जोड़ते हैं, उसी तरह मिलकर सर्वसमाज को भी एक सूत्र में बांधना होगा। राज्यपाल ने उल्लेख किया कि 1857 और 1947 के संग्राम की पृष्ठभूमि में कुछ लोग संघर्ष करते थे तो कुछ लोग पत्रकारिता के माध्यम से जनजागरण करते थे। उन्होंने कहा कि लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने ‘केसरी’ और ‘द मराठा’ के माध्यम से स्वतंत्रता अभियान चलाया और इसी प्रकार महात्मा गांधी के साथ-साथ अन्य हिंदी और उर्दू के पत्रकारों ने इसी भूमिका में काम किया। उन्होंने कहा कि अपनी बात को लोगों तक ले जाने तथा अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करना पत्रकारिता का ध्येय होना चाहिए, ज्ञानवर्धन और प्रेरणा देने वाली बात पत्रकारिता के महत्व को और बढ़ाती है। राम नाईक ने कहा कि देशवासियों को जोड़ने में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है।
महिला कल्याण एवं पर्यटन मंत्री प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी ने इस अवसर पर कहा कि उर्दू भाषा हिंदी में इतनी घुल-मिल गई है कि उन्हें कोई अलग नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि सम्मान समारोह के माध्यम से अवधनामा ने हर क्षेत्र के लोगों को जोड़ा है तथा महिलाओं को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया है। इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष विधानसभा रामगोविंद चौधरी, मौलाना सईदुर्रहमान आज़मी, मौलाना हमीदुल हसन ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन अवधनामा के प्रमुख वकार रिज़वी ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर शारिब रूदौलवी ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अब्बास रज़ा नैय्यर ने किया।
राज्यपाल राम नाईक ने डॉ इक़्तदार हुसैन फारूक़ी, विलायत जाफ़री, प्रोफेसर अब्बास अली मेहदी, डॉ रोशन तक़ी, प्रोफेसर वसीम अख्तर, डॉ कौसर उस्मान, डॉ असर अब्बास, सुनीता झिंगरन, हैदर नवाब जाफ़री, लामार्टिनियर के छात्र सैय्यद मोहम्मद अयान रिज़वी को ‘वकार-ए-अवध’ अवार्ड से सम्मानित किया है। राज्यपाल ने इस अवसर पर मनकामेश्वर मंदिर लखनऊ की महंत देव्या गिरी, डॉ हसन रज़ा, रूबीना जावेद, सैय्यद मुजाहिद हुसैन रिज़वी, हाजी जावेद हुसैन, नुसरत हुसैन लाला, रियाज़ अहमद, शाज़िया इमदाद आब्दी, डॉ मालविका हरिओम, अनुपमा सिंह, मुजना जफ़र, एसएन लाल, मिर्ज़ा फुरकान बेग, असम जमील, अनिल कन्नौजिया, इरशाद सिद्दीकी और आसिफ हुसैन को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

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