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वर्षाकाल में संक्रमण परेशानियों से सावधान!

बारिश में चेहरे और बालों की कुशलता से करें देखभाल

वर्षाकाल में संक्रमण से सावधानी ही अकलमंदी

Saturday 7 July 2018 06:36:42 PM

डॉ नरेश अरोड़ा

डॉ नरेश अरोड़ा

face in rain, care

भारत में वर्षाकाल अपने चरम पर है। कहीं घनघोर घटाएं हैं और कहीं कम और कहीं ज्यादा गरजते बरसते बादल हैं। इसबार कश्मीर से कन्याकुमारी तक मेघ बड़े मेहरबान हैं। साहित्य में मेघों और सौंदर्य की बड़ी दोस्ती मिलती है। हर किसी के लिए बारिश में भीगने का मज़ा ही कुछ और होता है। बारिश के पानी में छप-छप उछलकूद करते बच्चे और सभी उम्र के स्‍त्री-पुरुष वर्षाकाल के उन्माद का आनंद लेते हैं। बारिश का मौसम यदि सुंदर सुहाना सावन लाता है तो अपने साथ असहनीय धूप का चढ़ता-गिरता तापमान, भयानक बाढ़ और खासतौर से जहरीले कीटजनित संक्रमण भी लाता है, जिनसे हम बेखबर होते हैं और जिनका मनुष्य और प्रत्येक प्राणिमात्र के शरीर की त्वचा पर, फल सब्जियों, खेती-बाड़ी तक पर दृश्य और अदृश्य दुष्प्रभाव देखा जाता है। वर्षाकाल में सभी की जीवनशैली बदल सी जाती है, अधिकांश स्‍त्री-पुरुषों का खुले में नियमित व्यायाम और भ्रमण बाधित हो जाता है। शरीर पर अनचाहे विकारों को देखकर और महसूस करके हम डॉक्टर के पास भागते हैं और उनका उपचार कराते हैं। यदि शुरू में ही सावधानी बरती जाए तो हम ऐसे विकारों से दूर रह सकते हैं और अपने शरीर को सदाबहार बनाए रख सकते हैं।
यद्यपि यह कड़वा सच है कि इससे जागरुक होते हुए भी वर्षाकाल की दुश्वारियों से अलग रहना कोई आसान नहीं है। मनुष्य की जीवन और कार्यशैली ही ऐसी है कि उसे घनघोर बारिश में भी घर से बाहर निकलना होता है। करीब तीन दशक पहले तक बारिश में भीगना उतना जोखिमभरा नहीं था, लेकिन इस समय आसमान जहरीली रसायनिक गैसों से घिरा है और वह जब बारिश के साथ मनुष्य के शरीर और उसके खुले खानपान पर गिरता है तो वह कुछ न कुछ अनिष्ट तो करता ही है। आज हम वर्षाकाल की ऐसी घातक बीमारियों का सामना कर रहे हैं, जो पहले नहीं देखी जाती थीं। वर्षाकाल में हमारा सिर चेहरा और शरीर विभिन्न प्रकार के दागधब्बों फोड़ेफुंसियों, खुजली, रैशेज और एलर्जी से घिर जाता है। बारिश के साथ 35 से 45 डिग्री तापमान की गर्मी और उससे भी अत्यधिक नमी के कारण पसीना लगातार टपकता है, हमारे चेहरे से सीबम निकलने लगता है और साथ ही सूरज की गर्मी इस स्थिति को और भी बिगाड़ देती है। इससे सन टैन, जलन और यहां तककि त्वचा में नमी की कमी हो जाती है, गैस्ट्रिक एसिडिटी और बारिश के मौसम में होने वाली स्वास्थ्य की बड़ी परेशानियों में से एक अपच की बीमारी हमारी त्वचा को स्किन डिसऑर्डर के लिए और अधिक सक्रिय बना देती है।
हमारा शरीर हर दिन गर्मी और मौसम के अन्य परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया करता है, आपने खुद में और औरों में भी इस पर गौर किया होगा। हमारा शरीर हमेशा अधिक तापमान के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता, खासकर यदि हम दिन में लगातार नमी बनाए रखने की जरूरत को लेकर सतर्क नहीं रहते हैं। नमी और गर्मी मिलकर हमारे शरीर से सबसे महत्वपूर्ण कार्य वाष्पीकरण होने से रोक देती है, यह शरीर को ठंडा रखने की व्यवस्था होती है। त्वचा के जरिए यदि वाष्पीकरण नहीं हो रहा है तो हमारे शरीर का आंतरिक तापमान बढ़ जाता है और उससे हमारे शरीर में पीड़ादायक बदलाव होते हैं, जैसे-चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल दानों के साथ त्वचा पर खुजली होना। जब व्यक्ति खड़ा हो रहा होता है तो मस्तिष्क तक में रक्त संचार में कमी होने पर सिनोकाप यानी बेहोशी और अचेतना होती है।
आयुर्वेद के अनुसार गर्मी का मौसम ‘पित्त दोष’ का होता है, जोकि अग्नि तत्व से संबंधित है। यह मेटाबालिज़्म और शरीर में होने वाले परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार होता है, इसमें पाचन भी शामिल है। कई सारी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पित्त दोष से संबंधित हैं जैसे-सीने में जलन, शरीर का अत्यधिक तापमान, पसीना निकलना, त्वचा की परेशानियां, त्वचा पर रैशेज हो जाना, कांटेदार फुंसियां और एक्ने, पेट में अत्यधिक एसिडिटी हो जाना, पेप्टिक अल्सर, रूखे बाल, असहजता और गुस्सा। उच्च नमी के साथ 30 डिग्री से अधिक तापमान के साथ यदि मूड स्विंग है तो आराम करने की जरूरत है और साथ ही साथ तनाव संबंधी डिसआर्डर से बचने की भी जरूरत है नहीं तो यह चेहरे, बालों और शरीर में अत्यंत परेशानी खड़ी कर सकता है। एसिडिटी और अपच चेहरे के पीची स्तर से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो अधिक एलर्जी, टैनिंग और चेहरे की चमक को खत्म करने का काम करता है। तरल पदार्थों, फलों के रस, सलाद और उच्च रेशे वाले खाद्य पदार्थों के जरिए चेहरे और शरीर को पुनः नमी प्रदान की जा सकती है, इससे चेहरे की चमक को दोबारा वापस लाने में मदद मिलती है।
बारिश के मौसम में चेहरे पर चमत्कारी असर डालने के लिए यहां कुछ काम्बिनेशन दिए जा रहे हैं जो ये हैं-अरोमाथैरेपी के जरिए त्वचा और शरीर को डी-टैन करना। डेड सी साल्ट 1/2 टीस्पून, 1/2 टीस्पून ब्राउन शुगर, 1/2 टीस्पून उबटन और 1 टीस्पून शिया बटर के साथ इसका पेस्ट तैयार कर लें, इसमें 10 बूंद नींबू का रस और 2-4 बूंद नेरोली आयल की मिलाएं। इस पेस्ट को हल्के हाथों से 5-10 मिनट तक अच्छी तरह से चेहरे और शरीर पर रगड़ना चाहिए और उसके बाद 5 मिनट के लिए छोड़ देना चाहिए। अच्छी तरह से धोकर एसपीएफ 10-20 सस्क्रीन लगाएं। इस प्रक्रिया को हर हफ्ते दोहराएं और फिर देखें तीन बार लगाने पर इसका जादुई असर।
एंटी पिंपल फेशियल
तैलीय और चिपचिपी त्वचा के लिए मिंट फेशियल जैल से चेहरे की सफाई करें और 8-10 मिनट के लिए हाई फ्रीक्वेंसी ओजोन ट्रीटमेंट दें। एंटी ऐस आयल की 2-4 बूंदों के साथ चेहरे पर भाप लें, कोल्ड कम्प्रेशन लें, 10-15 मिनट के लिए टी ट्री फेशियल जैल लगाएं और फिर पोछ लें। नीम और पुदीने का फेस पैक लगाएं और पूरी तरह सूख जाने के बाद धो लें, फिर स्किन टोनर लगाएं। ध्यान दें कि मुंहासे वाली त्वचा को उंगलियों से ना छुएं, इसे इंफेक्शन और ज्यादा बढ़ सकता है। तला-भुना खाना, जंक फूड खासकर कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रिज का पानी और मीठा खाने से बचें। सलाद और साबुत फलों को खाने में शामिल करना चाहिए, जितना अधिक संभव हो पानी पिएं। घरेलू उत्पाद में पुदीनायुक्त फेशियल जैल या नीम और तुलसी फेस वाश, दिन में दो बार लगाएं। स्किन टोनर, नीम और पुदीने का फेस पैक हर दूसरे दिन लगाएं, जबतक कि पूरी तरह सूख ना जाए। चेहरे की भाप के लिए टी ट्री आयल लें।
बालों का झड़ना
बालों का झड़ना और बालों की चमक, बालों में रूसी, सूखी, खुजलीदार स्कैल्प। बालों और स्कैल्प की समस्याओं के लिए गर्मियों और बारिश के मौसम में की जाने वाली अरोमाथैरेपी में रोज़मैरी आयल 1 बूंद, बेसिल आयल 1 बूंद, टी ट्री आयल 1 बूंद और पचैली आयल की 1 बूंद को 1 टीस्पून बादाम के तेल या फिर एक्स्ट्रा वर्जिन आलिव आयल के साथ मिलाकर स्कैल्प पर हर दूसरी रात को हल्के हाथों से 10-15 मिनट के लिए लगाएं। अगले दिन लैवेंडर शैम्पू के साथ सिर को धो लें। पीएच 5.5 हेयर कंडीशनर या हेयर स्पा क्रीम लगाएं। समय पूर्व बालों के झड़ने, रूसी और रसायनिक रूप से उपचारित और क्षतिग्रस्त दोमुंहे बालों के लिए बालों को शैम्पू से अच्छी तरह से धोएं। करीब 10-15 मिनट के लिए हाई फ्रीक्वेंसी ओजोन ट्रीटमेंट लें। हेयर स्पा आयल लगाएं और एक्यूप्रेशर पाइंट पर हल्के हाथों से दबाव डालें। स्कैल्प पर 5 मिनट के लिए भाप लें, बालों की जड़ों में हेयर वाइटलाइजिंग लगाएं यानी त्रिफला पावडर और हीना पावडर के दो-दो चम्मच मिलाकर गुनगुने पानी में मिलाएं और 20 मिनट के लिये छोड़ दें। इसके 30-45 मिनट के बाद बालों को हेयर स्पा शैम्पू से धो लें, हेयर स्पा क्रीम लगाएं और गर्म तौलिए से लपेटें। इसकी जगह पर हूड स्टीमर के नीचे 5 मिनट के लिए बैठें। स्पा क्रीम को धो लें और बालों की अच्छी तरह से स्टाइलिंग करें।
प्रोटीन से भरपूर भोजन, खासतौर से अंकुरित अनाज और सलाद का सेवन करें। घरेलू देखभाल में रात में लगाने के लिए एंटी डैंडर्फ हेयर आयल, आयली बालों के लिए लैवेंडर और रूखे बालों के लिए जोजोबा आयल लगाएं और सुबह बालों को धो लें। शैम्पू के बाद हेयर कंडीशनर या हेयर स्पा क्रीम लगायें। 5-10 मिनट के बाद दोबारा धो लें। पैरों की देखभाल भी एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसका संबंध सुंदरता से है। बारिश के मौसम में पैरों के तलुओं का इंफेक्‍शन हमेशा से ही चिंता का विषय रहा है, इसमें विशेष प्रकार के पैडीक्योर की जरूरत होती है। एक टीस्पून डेड सी साल्ट और दो बूंद बेसिल आयल को पैडीक्योर टब में डालें और पैरों को 10-15 मिनट के लिये डुबोकर रखें। इससे हमेशा ही फंगल डिसआर्डर से उबरने में मदद मिलती है। पैरों के पूरी तरह सूख जाने के बाद मोजे पहनना और पाउडर लगाना ना भूलें। शरीर को सभी प्रकार के बाहरी संक्रमण से बचाने के ये अनुभूत प्रयोग हैं, जो आपके शरीर को सुंदर स्वस्‍थ और सुडौल बनाए रखने में आपकी सहायता कर सकते हैं। (डॉ नरेश अरोड़ा चेस अरोमाथैरेपी कास्मैटिक्स के संस्थापक हैं)।

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