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विश्व में बढ़ते अलगाव पर उपराष्ट्रपति चिंतित

'सामूहिक प्रयास ही वैश्विक चुनौतियों को हल करने की कुंजी'

वेंकैया नायडू का पनामा शहर में छात्रों व राजदूतों से विमर्श

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Saturday 12 May 2018 01:39:47 PM

vice president m. venkaiah naidu

पनामा शहर/ नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विश्व में बढ़ते अलगाव पर चिंता व्यक्त करते हुए ग़रीबी तथा असमानता जैसी बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयास तेज़ करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि एक नई विश्व व्यवस्था बने, जिसके तहत देश के प्राचीन ज्ञान और मूल्यों पर आधारित कार्य हों, जो सौहार्दपूर्ण अस्तित्व और सार्वजनिक हित में हों। उन्होंने ‘इन सर्च ऑफ ए मोर रिप्रेजेंटेटिव एंड रेलिवेंट वर्ल्ड ऑर्डर’ विषय पर पनामा शहर के छात्रों और विभिन्न देशों से आए राजदूतों से बात करते हुए वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत का दृष्टिकोण रखा।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति तथा ज्ञान के विस्तार ने साइबर सुरक्षा, आतंकवाद, परमाणु और रासायनिक आदि जैसी कई चुनौतियों को जन्म दिया है, जिससे मानव अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। समकालीन मुद्दों पर उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, भेदभाव, शोषण, हिंसा और बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन दुनियाभर में सामाजिक ताने-बाने को खत्म कर रहा है, शोषण की धारणा और स्थापित शासनप्रणाली की विफलता अशांति, गुस्से, विद्रोह और चरमपंथ जैसी बुराईयों की वजह है। उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी हम इन मुद्दों पर प्रभावी ढंग से बात करेंगे, उतनी ही बेहतर सामूहिकता चित्रित कर पाएंगे। प्राचीन भारतीय ऋषि और वेदों का उद्धरण देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमेशा प्रकृति के साथ शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व में विश्वास करता है और इन मूल सिद्धांतों में ही सामूहिक प्रयासों के जरिए वर्तमान वैश्विक चुनौतियों को हल करने की कुंजी है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि विश्व व्यवस्था में हम चाहते हैं कि सत्ता और जिम्मेदारियां साझा की जाएं, विचारों और बात रखने का सम्मान किया जाए तथा सम्पति व पृथ्वी के संसाधन साझा किए जाएं। उन्होंने कहा कि किसी भी देश या देशों के समूह को वैश्विक निर्णय लेने के लिए प्रभावित या नियंत्रित नहीं करना चाहिए और प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर अधिक प्रतिनिधिक निर्णय लेने के लिए संयुक्तराष्ट्र प्रणाली में तत्काल सुधार करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत राष्ट्रीय हितों के लिए संतुलित प्रयास चाहता है, जो नई और बेहतर विश्व व्यवस्था का गठन करेगा। इस अवसर पर भारत सरकार की प्रमुख पहलों और तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था की सराहना भी हुई।

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