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भारत व नार्डिक देशों की शक्तियां अनोखीं-मोदी

'भारत की प्रतिभा और दक्षता के समृद्ध संसाधनों में सामंजस्य'

भारतीय व नार्डिक देशों के प्रधानमंत्रियों का शिखर सम्मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 18 April 2018 07:13:42 PM

summit of indian and swedish prime ministers

स्टॉकहोम/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डेनमॉर्क के प्रधानमंत्री लार्स लोक्के रैसमुस्सेन, फिनलैंड के प्रधानमंत्री जुहा सिपिला, आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्स्डोट्टिर, नार्वे की प्रधानमंत्री एरना सोलबर्ग और स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन ने भारतीय और स्वीडिश प्रधानमंत्रियों की मेजबानी में स्टॉकहोम में आयोजित शिखर सम्मेलन में भाग लिया। शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्रियों ने भारत और नार्डिक देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई और अपनी बातचीत में वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक प्रगति, नवोन्मेष और जलवायु परिवर्तन से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान केंद्रित किया। प्रधानमंत्रियों ने समावेशी विकास और स्थायी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूपमें मुक्त व्यापार के महत्व पर बल दिया। प्रधानमंत्रियों ने माना कि आपस में जुड़े हुए विश्व में नवाचारों और डिज़िटल बदलाव प्रगति को बढ़ावा देने वाले हैं और उन्होंने भारत एवं नार्डिक देशों के विकसित होते संबंधों पर बल दिया।
शिखर सम्मेलन में विश्व में नवाचारों में नार्डिक देशों की नेतृत्वकारी भूमिका पर जोर दिया गया। नवाचारों के लिए नार्डिक देशों के दृष्टिकोण, जोकि सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र एवं अकादमिक जगत के बीच सशक्त सहयोग की विशेषता पर आधारित हैं, की चर्चा की और भारत की प्रतिभा और दक्षता के समृद्ध संसाधनों के साथ सामंजस्य की पहचान की। शिखर सम्मेलन में समृद्धि और स्थायी विकास हासिल करने के महत्व पर बल दिया गया। प्रदूषण रहित तकनीकों, समुद्र पर आधारित समाधानों, पत्तनों के आधुनिकीकरण, खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य, जीवन-विज्ञान और कृषि क्षेत्र में नार्डिक समाधानों की चर्चा की गई। सम्मेलन में नार्डिक स्थायी नगर विकास परियोजना, जोकि भारत सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना की मदद के लिए लक्षित है, का स्वागत किया गया। प्रधानमंत्रियों ने माना कि भारत और नार्डिक देशों की अनोखी शक्तियां व्यापार और निवेश के विविधीकरण और परस्पर लाभकारी सहयोग के लिए प्रचुर अवसर उपलब्ध कराती हैं। वार्ता के दौरान समृद्धि और विकास के लिए नियमों पर आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली और स्वतंत्र एवं समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यापार के महत्व पर बल दिया गया।
नार्डिक देशों और भारत दोनों के ही लिए व्यापार को सरल बनाने वाली प्रक्रियाओं पर प्राथमिकता के तौरपर बल दिया गया। प्रधानमंत्रियों ने माना कि आतंकवाद और हिंसक अतिवाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने मानव अधिकारों, लोकतंत्र, कानून के राज और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के पालन के प्रति प्रतिबद्धता जैसी उनकी साझा मान्यताओं के आधार पर वैश्विक सुरक्षा, जिसमें साइबर सिक्योरिटी भी शामिल है, पर चर्चा की। उन्होंने अप्रसार और निर्यात प्रतिबंध की भी चर्चा की। नार्डिक देशों ने परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह में शामिल होने के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया और शीघ्र ही किसी सकारात्मक परिणाम की प्राप्ति के लिए समूह के अंदर सकारात्मक ढंग से काम करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दोहराया। प्रधानमंत्रियों ने एक ऐसे संयुक्त राष्ट्र के विकास को सुनिश्चित करने के लिए, जोकि 2030 के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सदस्य देशों की मदद कर सके, संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के सुधार के प्रयासों के प्रति अपने समर्थन को दोहराया और संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने के उनके प्रस्तावों, जिसमें विकास, शांति अभियान, शांति स्थापित करना और संघर्ष को टालना भी शामिल है, का संज्ञान लिया।
नार्डिक देशों और भारत ने सुरक्षा परिषद के सुधार और इसके स्थायी और अस्थायी दोनों ही तरह के सदस्यों की संख्या के विस्तार की आवश्यकता को दोहराया, ताकि इसे 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप और अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण, उत्तरदायी, प्रभावी और सक्रिय बनाया जा सके। नार्डिक देश इस बात पर सहमत थे कि एक ऐसी नई सुरक्षा परिषद, जिसमें कि स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के सदस्यों का विस्तार हुआ हो, ऐसी सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत एक मजबूत दावेदार है। प्रधानमंत्रियों ने स्थायी विकास के 2030 के एजेंडे को लागू करने और पेरिस समझौते के महत्वाकांक्षी अनुपालन के लिए अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता को दोहराया। वे स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित प्रणालियों, अक्षय ऊर्जा और ईंधन, ऊर्जा की कुशलता को बढ़ाने और प्रदूषण रहित ऊर्जा के उत्पादन की तकनीकों के विकास के प्रयास जारी रखने पर भी सहमत हुए।
प्रधानमंत्रियों ने यह भी माना कि समावेशी विकास के लिए राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में महिलाओं की पूर्ण एवं अर्थपूर्ण भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है और वे महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात पर सहमत हुए कि एक मजबूत भागीदारी नवाचारों, आर्थिक विकास, स्थायी समाधानों और परस्पर लाभकारी व्यापार एवं निवेश के लिए सहायक साबित हो सकती है। शिखर सम्मेलन ने शिक्षा, संस्कृति, कामगारों के आवागमन और पर्यटन और ऐसे सभी क्षेत्रों, जिनमें भारत और नॉर्डिक देश संख्या और अभिरुचि दोनों में ही सतत वृद्धि देखते हैं, के जरिए लोगो के बीच घनिष्ठ संपर्कों के महत्व पर बल दिया।

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