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कोविद को स्‍वाजीलैंड का सर्वोच्‍च सम्‍मान

राष्‍ट्रपति एवं स्‍वाजीलैंड नरेश की वैश्विक मुद्दों पर चर्चा

'भारत लुबूयेन क्षेत्र में विकसित करेगा सिंचाई प्रणाली'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 11 April 2018 02:21:58 PM

ramnath kovid receiving the order of lion from his majesty mswati iii

लोबाम्बा/ नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविद इन दिनों दक्षिण अफ्रीकी देशों की आधिकारिक यात्रा पर हैं, इसीके तहत वे स्‍वाजीलैंड पहुंचे, जहां किंग मिस्‍वाती III ने अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डे पर स्‍वाजीलैंड के प्रधानमंत्री और गणमान्‍य व्‍यक्तियों के साथ उनकी अगवानी की। रामनाथ कोविद स्‍वाजीलैंड के नरेश से मिले और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर सीधी बातचीत की। स्‍वाजीलैंड के नरेश ने राष्‍ट्रपति को ऑर्डर ऑफ द लॉयन प्रदान किया, यह स्‍वाजीलैंड का सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान है, जो किसी गैर नागरिक को दिया जाता है। राष्‍ट्रपति ने स्‍वाजीलैंड के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया और घोषणा की कि यहां जल्‍द ही एक भारतीय दूतावास खोला जाएगा। राष्‍ट्रपति और स्‍वाजीलैंड के नरेश की उपस्थिति में भारत और स्‍वाजीलैंड ने स्‍वास्‍थ्य के क्षेत्र में सहयोग तथा सरकारी और राजनयिक पासपोर्ट पर यात्रा करने वालों के लिए वीज़ा में छूट संबंधी दो समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए। रामनाथ कोविद के सम्‍मान में स्‍वाजीलैंड के नरेश ने रात्रिभोज भी दिया।
राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविद ने इस अवसर पर स्वाजीलैंड की संसद को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हम डिज़िटल और हाईपर कनेक्‍टेड दुनिया में रह रहे हैं, जो सांसदों के समक्ष अपरिमित चुनौतियां खड़ी करती हैं। उन्होंने कहा कि नौकरियों और अर्थव्‍यवस्‍था से जुड़े स्‍थानीय और रोजमर्रा के मुद्दे अन्‍य स्‍थानों पर विकास से प्रभावित होते हैं, चाहे वे विश्‍व स्‍तरपर खाद्य मूल्‍य, जलवायु परिवर्तन अथवा विभिन्‍न प्रकार के सुरक्षा संबंधी खतरे क्‍यों न हों। उन्होंने कहा कि वैश्विकरण और प्रौद्योगिकी के प्रभाव और लोगों की अपेक्षाओं ने सार्वजनिक नीति में नए आयाम जोड़ दिए हैं, ऐसे समय पर व्‍यवस्‍था में अधिक जागरुकता और सुझबूझ की आवश्‍यकता है, लेकिन अवसर चुनौतियों के साथ आते हैं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हमें बहस और चर्चाओं में लोगों की अधिक भागीदारी देखने को मिलती है, जिससे प्रमुख मुद्दों पर सांसदों को तत्‍काल जानकारी मिल जाती है।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि सात दशक में भारत ने जबर्दस्‍त संस्‍थागत संसदीय लोकतंत्र विकसित किया है और हमें स्‍वाजीलैंड के साथ इस अनुभव को बांटने में खुशी हो रही है। उन्होंने स्‍वाजीलैंड में संसद की नई इमारत के निर्माण के लिए भारत की ओर से रियायती दरों पर आर्थिक प्रबंध की पेशकश की। राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत का विकास मितव्‍ययी और कम खर्चीले नवोन्‍मेष पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हमारी प्रौद्योगिकी और संस्‍थागत मॉडल स्‍वाजीलैंड में उत्‍पादन के खर्च को कम करने में मदद कर सकता है, हम स्‍वाजीलैंड और समूचे अफ्रीकी महाद्वीप के साथ अपनी विशेषज्ञता और अनुभव साझा करने के इच्‍छुक हैं, इसके लिए हम स्‍थानीय क्षमता निर्माण, मिलकर चलने और अपने अफ्रीकी भाईयों-बहनों के साथ साझेदारी कायम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों के आधुनिकीकरण के बावजूद कृषि अभी भी दोनों देशों की अधिकांश आबादी के लिए मुख्‍य सहारा है और उन्‍हें खुशी हुई है कि भारत स्‍वाजीलैंड के किसानों के साथ अपने कुछ अनुभवों को बांट चुका है, जिससे उन्‍हें मक्‍के की उत्‍पादकता कई गुना बढ़ाने में मदद मिली है।
रामनाथ कोविद ने घोषणा की कि भारत स्‍वाजीलैंड में कृषि संबंधी उत्‍कृष्‍टता केंद्र स्‍थापित करने की प्रक्रिया को सरल बनाएगा, भारत लुबूयेन क्षेत्र में सिंचाई प्रणाली विकसित करेगा। राष्‍ट्रपति के अनुसार दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे महत्‍वपूर्ण चुनौतियों में से एक है। उन्‍होंने कहा कि स्‍वाजीलैंड ने अल नीनो जैसी आपदा का मुकाबला किया है, जिसके कारण यहां दो वर्ष सूखा पड़ा। उन्होंने स्‍वाजीलैंड राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी की सहायता के लिए एक मिलियन अमरीकी डॉलर और खाद्यान्‍न की भी पेशकश की। राष्‍ट्रपति ने एक कार्यक्रम में रॉयल सांइस एंड टेक्‍नोलॉजी पार्क का उद्घाटन किया, यह पार्क भारत की सहायता से विकसित किया गया है, उन्‍हें आईटी शिक्षा और क्षमता निर्माण तथा आईटी सक्षम सेवाओं के लिए एक स्‍थान के रूपमें टेक्‍नोलॉजी पार्क के बारे में एक प्रस्‍तुति दी गई। गौरतलब है कि स्‍वाजीलैंड दक्षिण अफ्रीका में एक सम्प्रभु और पूर्ण राजतंत्र देश है। स्‍वाजीलैंड का मुख्य स्थानीय व्यापारिक साझेदार दक्षिण अफ्रीका है। स्‍वाजीलैंड की मुद्रा, लीलांगिनी, दक्षिण अफ्रीका की मुद्रा रैंड के अनुसार आंकी जाती है। इसके प्रमुख गैर अफ्रीकी व्यापारिक साझेदार संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ हैं। यहां रोज़गार का अधिकांश भाग कृषि एवं विनिर्माण क्षेत्रों से आता है।

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