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महिलाओं में उद्यम संस्कृति को बढ़ावा-कोविद

'फिक्की की भारतीय व्यवसाय और समाज में बड़ी भूमिका'

राष्ट्रपति ‌का फिक्की महिला संगठन के सत्र में संबोधन

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Thursday 5 April 2018 06:13:28 PM

president ramnath kovid addressing the annual session of ficci ladies organisation

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने आज नई दिल्ली में फिक्की महिला संगठन के 34वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा है कि महिलाएं कार्यस्थल और घर पर विविध तरीकों से काम करके हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं, लेकिन जब यह बात व्यवसाय और वाणिज्य पर आती है तो यह खेदजनक है कि महिलाओं को उनका बकाया नहीं दिया जाता। राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाएं हमारे देश का आधा हिस्सा हैं और हमें ऐसी स्थितियां बनाने की जरूरत हैं, जहां हमारी अधिक से अधिक बेटियों और बहनों की गिनती श्रम बल में हो। उन्होंने कहा कि हमें घर पर, समाज में और कार्यस्थल पर उनके लिए उपयुक्त, उत्साहवर्धक और सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करनी होंगी, ताकि कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत बढ़ सके।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि यदि अधिक महिलाएं श्रम बल का हिस्सा बनेंगी तो घरेलू आमदनी और देश की विकास दर दोनों में तेजी आएगी, हम अधिक समृद्ध राष्ट्र बनेंगे, समाज में और अधिक समानता आएगी। राष्ट्रपति ने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि समाज के निचले तबके की हमारी बहनों और बेटियों को भी उद्यमिता से अवगत कराया जाए और उन्हें स्टार्टअप से जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि सरकार की यहां भूमिका है, लेकिन साथ ही नागरिक समाज और व्यवसाय और फिक्‍की महिला जैसे संगठनों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने सामान्य नागरिकों खासतौर से महिलाओं के बीच उद्यम संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं, उसने महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के बीच उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए अप्रैल 2016 में स्टैंडअप इंडिया पहल की शुरूआत की, करीब 45 हजार ऋण मुख्यतः वास्तविक स्वामियों के बीच वितरित किए, 39 हजार ऋण महिलाओं को दिए, मुद्रा योजना के अंतर्गत इन तीन वित्तीय वर्ष में करीब 117 मिलियन ऋणों को मंजूरी दी और इनमें से 88 मिलियन ऋण महिला उद्यमियों को दिए। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि दिसंबर 2017 में मुद्रा योजना में एनपीए की संख्या मंजूर किए गए ऋणों के 8 प्रतिशत से भी कम थी।
रामनाथ कोविद ने कहा कि विशुद्ध व्यवसाय विफल हो सकता है, लेकिन जब जानबूझकर और आपराधिक तरीके से बैंक ऋण का भुगतान नहीं किया जाता है तो हमारे परिवारों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है, निर्दोष नागरिक परेशानी में पड़ जाते हैं और अंततः ईमानदार करदाता को इसका बोझ उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह सराहनीय है कि हमारे देश के निचले स्तर पर छोटे गांवों और परंपरागत रूपसे शोषितों और वंचित समुदायों में मुद्रा उद्यमियों ने अपने ऋणों का भुगतान किया है। राष्ट्रपति ने फिक्की महिला संगठन के सदस्यों से आग्रह किया कि वह देखें की किस प्रकार इन व्यवसायों को बड़े पैमाने पर महिलाएं चलाती हैं, वे किस प्रकार विक्रेता, सहायक, आपूर्तिकर्ता, वितरक अथवा किसी अन्य रूपमें इन स्टार्टअप का हिस्सा बन सकती हैं। उन्होंने कहा कि हमारे कॉरपोरेट क्षेत्र को महिलाओं के अनुकूल और लिंग संवेदनशील आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने की दिशा में कदम उठाने चाहिएं, ताकि हमारी अर्थव्यवस्था में महिलाओं को सिर्फ शामिल करने के बजाय उन्हें अधिकार सम्पन्न बनाया जा सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह भारत के लिए विशाल अवसरों का क्षण है, यदि हमारे संस्थान और हमारा समाज कानून के अनुसार और न्याय की भावना के प्रति सच्‍चा हो, हम प्रत्येक भारतीय महिला की उसकी सामर्थ्‍य पहचाने में मदद कर सकते हैं, हम एक विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस पर असहमति हो सकती है, लेकिन अन्य व्यक्तियों की प्रतिष्ठा का सम्मान होना चाहिए, प्रतिष्ठा और शिष्टता, आदेश और कानून का शासन, निष्पक्षता और न्याय, उद्यमिता और आकांक्षा हमें इन सभी को हासिल करना होगा, हम सोच-विचार करके किसी एक को नहीं चुन सकते। राष्ट्रपति ने कहा कि यहां प्रत्येक की भूमिका है, फिक्की महिला संगठन का प्रत्येक सदस्य एक व्यक्ति है, यह संगठन एक संस्थान के रूपमें भारतीय व्यवसाय और भारतीय समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है।

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