राज्यपाल ने उमाशंकर सिंह पर सीईसी को पुनः पत्र लिखा
विधानसभा चुनाव सामने और असमंजस की स्थितिस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 18 December 2016 12:28:15 AM
लखनऊ। देश के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ नसीम जैदी के यहां बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से विधायक उमाशंकर सिंह की सदस्यता का प्रकरण अभी भी लंबित है और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पुनः पत्र लिखकर उनसे कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रस्तावित चुनाव के दृष्टिगत इस प्रकरण पर शीघ्र निर्णय लेकर उन्हें भी अवगत कराया जाए, जिससे कि वे संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत विधायक की सदस्यता के संबंध में अंतिम निर्णय ले सकें। राज्यपाल ने अपने पत्र में इस प्रकरण में उच्च न्यायालय इलाहाबाद के 28 मई 2016 को चुनाव आयोग को शीघ्र निर्णय लेने के आदेश का भी हवाला दिया है।
राज्यपाल राम नाईक ने पत्र में कहा है कि निर्णय करने में अनावश्यक विलंब के कारण मीडिया और आम जनता में निर्वाचन आयोग के प्रति गलत संदेश जा रहा है। राज्यपाल ने इससे पूर्व 9 अगस्त 2016 को विधायक की सदस्यता के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र प्रेषित किया था, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने 1 सितंबर 2016 को पत्र से अवगत कराया था कि प्रकरण की जांच पूर्ण होने पर आयोग शीघ्र उन्हें अपने अभिमत से अवगत कराएगा। राज्यपाल ने 16 सितम्बर 2016 को इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त से दूरभाष पर वार्ता भी की थी, जिस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रकरण पर शीघ्र निर्णय लेने की बात कही थी, तत्पश्चात राज्यपाल ने 5 नवम्बर 2016 को इस संबंध में स्मरण पत्र भी भेजा था, मगर इस प्रकरण का अभी तक निस्तारण नहीं हुआ है, जबकि विधानसभा चुनाव सामने हैं।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा विधानसभा का सामान्य निर्वाचन मार्च 2012 में हुआ था और निर्वाचन आयोग ने चुने गए विधायकों को 6 मार्च 2012 को निर्वाचित घोषित किया था। जैसा कि प्रकरण है कि निर्वाचित विधायक उमाशंकर सिंह वर्ष 2009 से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य करते आ रहे थे। उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने इस संबंध में प्राप्त शिकायत सरकारी कॉंट्रेक्ट लेने के आरोप में विधायक उमाशंकर सिंह को दोषी पाते हुये मुख्यमंत्री को अपनी जांच रिपोर्ट प्रेषित की थी, जिसे मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को भेज दिया था। राज्यपाल ने यह प्रकरण, भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली को उसके अभिमत के लिये संदर्भित कर दिया था। भारत निर्वाचन आयोग से 3 जनवरी 2015 को अभिमत मिलने के बाद उमाशंकर सिंह ने राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये समय दिये जाने का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार करते हुये राज्यपाल ने 16 जनवरी 2015 को उनसे भेंट कर उनका पक्ष सुना।
तत्पश्चात राज्यपाल ने आरोपों को सही पाते हुये उमाशंकर सिंह को विधायक निर्वाचित होने की तिथि 6 मार्च 2012 से विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। राज्यपाल के निर्णय के विरूद्ध अयोग्य घोषित विधायक उमाशंकर सिंह ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वाद दायर किया था, जिस पर 28 मई 2016 को निर्णय देते हुये न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग प्रकरण में स्वयं जांचकर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराए और उसके पश्चात राज्यपाल प्रकरण में संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें। इस प्रकरण में शीघ्रता से निर्णय करने के बारे में राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग को गत 14 दिसंबर को फिर पत्र लिखा है, ताकि वे इस पर निर्णय ले सकें।