राष्ट्रपति द्रौपदी से मिले भारतीय रक्षा लेखा सेवा के प्रोबेशनर्स
'राष्ट्र के प्रति सेवा, उत्तरदायित्व और समर्पण की यात्रा शुरु'स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 24 December 2025 04:19:30 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भारतीय रक्षा लेखा सेवा के वर्ष 2024 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने आज राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। राष्ट्रपति ने भारतीय रक्षा लेखा सेवा में चयन पर प्रोबेशनर्स को हार्दिक बधाई दी और उनसे कहाकि यह उपलब्धि उनके लिए न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि राष्ट्र केप्रति उनकी सेवा, उत्तरदायित्व और समर्पण की अनुकरणीय एवं ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है। राष्ट्रपति ने प्रोबेशनर्स से कहाकि उन्होंने एक ऐसी सेवा में प्रवेश किया है, जो भारत की रक्षा तैयारियों को ज्यादा से ज्यादा मजबूत और समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि रक्षा लेखा सेवा अधिकारी भारतीय सशस्त्र बलों और संबद्ध संगठनों के वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बजट बनाने और लेखांकन से लेकर लेखापरीक्षा, भुगतान, वित्तीय परामर्श और रक्षा व्यय में पारदर्शिता सुनिश्चित करने तक उनकी भूमिका का सीधा प्रभाव परिचालन तत्परता और रक्षा अवसंरचना के विकास पर पड़ता है। राष्ट्रपति ने उन्हें सलाह दीकि रक्षा सेवाओं के प्रधान लेखा और वित्तीय प्राधिकारी के रूपमें उनसे अपेक्षा की जाती हैकि वे हमारे सशस्त्र बलों के सामने आनेवाली विशिष्ट चुनौतियों, कठिनाइयों और परिचालन वास्तविकताओं को भली-भांति समझें। राष्ट्रपति ने कहाकि हम तीव्र परिवर्तन के दौर में रह रहे हैं, बदलता भू-राजनीतिक वातावरण और उभरती सुरक्षा चुनौतियां त्वरित, अधिक कुशल और सटीक निर्णय लेने की मांग करती हैं, साथही व्यावसायिक प्रक्रियाएं अधिक जटिल और प्रौद्योगिकी संचालित होती जा रही हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि रक्षा लेखा विभाग को निरंतर अनुकूलन, नवाचार और आधुनिकीकरण करना चाहिए। उन्होंने कहाकि स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करके, स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करके और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देकर भारत सरकार के महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' को सक्रिय रूपसे समर्थन देने की भी तत्काल आवश्यकता है। भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारी भी एक आत्मनिर्भर और मज़बूत रक्षा इकोसिस्टम के निर्माण में योगदान दे सकते हैं। राष्ट्रपति ने आईडीएएस के अधिकारियों से आजीवन सीखने, जिज्ञासु बने रहने और आत्मविश्वास केसाथ बदलाव को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने उन्हें यहभी स्मरण करायाकि सेवा का वास्तविक मापदंड पद या मान्यता में नहीं, बल्कि संस्थानों के प्रभावी संचालन और नागरिकों के कल्याण में उनके सतत योगदान में निहित होता है।