राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त व 26 जनवरी की तरह शानदार परेड मार्च झांकियां
प्रधानमंत्री की सरदार पटेल को समर्पित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर श्रद्धांजलिस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 31 October 2025 04:32:05 PM
केवड़िया (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर आज केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर जाकर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रीय एकता दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि सरदार पटेल की 150वीं जयंती एक ऐतिहासिक अवसर है और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदारजी को समर्पित एक भव्य स्मारक है, जो भारत की एकता को लेकर उनकी संकल्पना का सशक्त प्रतीक है। उन्होंने कहाकि विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा के रूपमें यह हमारे राष्ट्रीय गौरव और सरदार पटेल के सपनों को साकार करने के सामूहिक संकल्प की प्रेरणाशक्ति भी है। प्रधानमंत्री ने सरदारजी को श्रद्धांजलिस्वरूप एक विशेष सिक्का और डाक टिकट जारी किया। एकतानगर की सुबह को दिव्य और मनोरम दृश्य को विस्मयकारी बताते हुए उन्होंने कहाकि राष्ट्र एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण का साक्षी बन रहा है, राष्ट्रव्यापी एकता दौड़ और करोड़ों भारतीयों की उत्साहपूर्ण भागीदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि सरदार पटेल का मानना थाकि इतिहास लिखने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, बल्कि इतिहास रचने के प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने कहाकि यह दृढ़ विश्वास सरदार पटेल की जीवनगाथा में स्पष्ट दिखाई देता है, उनकी नीतियों और निर्णयों ने एक ऐतिहासिक अध्याय लिखा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने याद दिलायाकि कैसे सरदार पटेल ने भारत की स्वतंत्रता केबाद 550 से अधिक रियासतों के एकीकरण के असंभव से लगने वाले कार्य को पूराकर दिखाया, 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' का विचार सरदार पटेल केलिए सर्वोपरि था। नरेंद्र मोदी ने कहाकि यही कारण हैकि सरदार पटेल की जयंती स्वाभाविक रूपसे राष्ट्रीय एकता का एक भव्य उत्सव बन गई, जिस प्रकार 140 करोड़ भारतीय 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं, उसी प्रकार एकता दिवस का महत्व भी अब उसी स्तरपर पहुंच गया है। उन्होंने इस मौके पर एकता की शपथ दिलाई और राष्ट्र की एकता को मजबूत करने वाले कार्यों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। उन्होंने जिक्र कियाकि एकतानगर में ही एकता मॉल और एकता गार्डन एकतासूत्र को मजबूत करने वाले प्रतीक हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हर नागरिक को ऐसे हर काम से बचना चाहिए, जो देश की एकता को कमज़ोर करता हो, हर भारतीय केलिए एकता दिवस का मूल संदेश यही है। उन्होंने इस बातपर खेद व्यक्त कियाकि सरदार पटेल के निधन केबाद के वर्षों में आनेवाली सरकारों ने राष्ट्रीय संप्रभुता केप्रति उतनी गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कश्मीर में हुई गलतियों, पूर्वोत्तर की चुनौतियों और देशभर में नक्सल माओवादी आतंकवाद के प्रसार को भारत की संप्रभुता केलिए सीधा ख़तरा बताया। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरदार पटेल की नीतियों का पालन करने के बजाय उस दौर की सरकारों ने एक रीढ़विहीन दृष्टिकोण अपनाया, जिसका परिणाम देश को हिंसा और रक्तपात के रूपमें भुगतना पड़ा है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजकी युवा पीढ़ी में से बहुतों को शायद यह पता न होकि सरदार पटेल कश्मीर के पूर्ण एकीकरण की इच्छा रखते थे, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने कई रियासतों का सफलतापूर्वक विलय कराया था, हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनकी इस इच्छा को पूरा नहीं होने दिया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि कश्मीर को एक अलग संविधान और एक अलग प्रतीक से विभाजित कर दिया गया था, कश्मीर पर तत्कालीन सत्तारूढ़ दल की गलती ने देश को दशकों तक अशांति में डुबोए रखा, उनकी कमजोर नीतियों के कारण कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में चला गया और पाकिस्तान ने आतंकवाद बढ़ावा दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि कश्मीर और संपूर्ण देश ने इन गलतियों की भारी कीमत चुकाई है, तत्कालीन सरकार आतंकवाद के आगे झुकी रही। सरदार पटेल के विजन को भुला देने केलिए मौजूदा विपक्षी दल की आलोचना करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि उनकी पार्टी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहाकि 2014 केबाद राष्ट्र ने एकबार फिर सरदार पटेल से प्रेरित दृढ़ संकल्प देखा है, जहां कश्मीर अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से मुक्त हो चुका है और पूरी तरह से मुख्यधारा में शामिल हो गया है। उन्होंने कहाकि पाकिस्तान और आतंकवाद के आकाओं कोभी अब भारत की असली ताकत का एहसास हो गया है, ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखा हैकि अगर कोई भारत को चुनौती देने की हिम्मत करता है तो देश दुश्मन की ज़मीन पर हमला करके जवाब देता है। उन्होंने कहाकि भारत की प्रतिक्रिया हमेशा मज़बूत और निर्णायक रही है, यह भारत के दुश्मनों को एक संदेश है, यह लौहपुरुष सरदार पटेल का भारत है और यह अपनी सुरक्षा व सम्मान से कभी समझौता नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री ने याद दिलायाकि 2014 से पहले देश में हालात ऐसे थेकि नक्सल-माओवादी समूह भारत के मध्य से ही अपना शासन चलाते थे, इन इलाकों में भारत का संविधान लागू नहीं था और पुलिस व प्रशासनिक व्यवस्थाएं काम नहीं कर पाती थीं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि नक्सली खुलेआम हुक्म चलाते थे, सड़क निर्माण में बाधा डालते थे, स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों पर बमबारी करते थे, जबकि प्रशासन उनके सामने बेबस नज़र आता था। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उनकी सरकार ने नक्सल-माओवादी आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक अभियान चलाया, शहरी इलाकों में रहनेवाले नक्सल समर्थकों, शहरी नक्सलियों को भी दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने कहाकि वैचारिक लड़ाई जीती गई और नक्सलियों के गढ़ों में सीधा टकराव किया गया, इसके परिणाम अब पूरे देश के सामने हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि 2014 से पहले देश के लगभग 125 जिले माओवादी आतंकवाद से प्रभावित थे, आज यह संख्या घटकर केवल 11 रह गई है और केवल तीन जिले ही गंभीर नक्सल प्रभाव का सामना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को आश्वासन दियाकि सरकार तबतक नहीं रुकेगी, जबतक भारत नक्सल-माओवादी खतरों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो जाता। प्रधानमंत्री ने कहाकि देश की एकता और आंतरिक सुरक्षा घुसपैठियों के कारण गंभीर ख़तरे में है, दशकों से विदेशी घुसपैठिए देश में घुस आए हैं, नागरिकों के संसाधनों पर कब्ज़ा कर रहे हैं, जनसांख्यिकीय संतुलन बिगाड़ रहे हैं और राष्ट्रीय एकता को ख़तरे में डाल रहे हैं। उन्होंने पिछली सरकारों की इस गंभीर मुद्दे पर आंखें मूंद लेने केलिए आलोचना की और उनपर वोट बैंक की राजनीति केलिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया। नरेंद्र मोदी ने इस चुनौती से निपटने केलिए लालकिले से जनसांख्यिकी मिशन की घोषणा को याद किया और कहाकि कुछ लोग राष्ट्रीय कल्याण पर निजी हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये लोग घुसपैठियों को अधिकार दिलाने केलिए राजनीतिक लड़ाई में लगे हुए हैं और राष्ट्रीय विघटन के परिणामों केप्रति उदासीन हैं। उन्होंने चेतावनी दीकि अगर राष्ट्र की सुरक्षा और पहचान ख़तरे में पड़ी तो हर नागरिक ख़तरे में होगा, इसलिए भारत में रह रहे प्रत्येक घुसपैठिये को बाहर निकालने के अपने संकल्प की पुनः पुष्टि करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र में मतभेद स्वीकार्य हैं, लेकिन व्यक्तिगत मतभेद नहीं होने चाहिएं। उन्होंने चिंता व्यक्त कीकि आज़ादी केबाद जिन लोगों को राष्ट्र का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई उन्होंने 'हम भारत के लोग' की भावना को कमज़ोर करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहाकि भिन्न विचारधाराओं वाले व्यक्तियों और संगठनों को बदनाम किया गया और राजनीतिक अस्पृश्यता को संस्थागत रूप दे दिया गया। उन्होंने बतायाकि पिछली सरकारों ने सरदार पटेल की तरह बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर को उनके जीवनकाल में और उनके निधन केबाद भी हाशिए पर रखा। प्रधानमंत्री ने कहाकि पिछली सरकारों ने डॉ राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं केप्रति भी यही रवैया अपनाया। इसवर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष का उल्लेख करते हुए नरेंद्र मोदी ने संगठन पर हुए विभिन्न हमलों और षड्यंत्रों का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि एक पार्टी और एक परिवार के बाहर हर व्यक्ति और विचार को अलग-थलग करने का जानबूझकर प्रयास किया गया। उन्होंने कहाकि देश को उस राजनीतिक अस्पृश्यता को समाप्त करने पर गर्व है, जिसने कभी देश को विभाजित किया था। प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल के सम्मान में स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी के निर्माण और बाबासाहेब अंबेडकर को समर्पित पंचतीर्थ की स्थापना का ज़िक्र किया। उन्होंने याद दिलायाकि दिल्ली में बाबासाहेब के निवास और महापरिनिर्वाण स्थल को पिछली सरकारों के शासनकाल में उपेक्षा का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब इसे एक ऐतिहासिक स्मारक में बदल दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने बतायाकि पिछली सरकार के कार्यकाल में केवल एक पूर्व प्रधानमंत्री को समर्पित संग्रहालय था, इसके विपरीत हमारी सरकार ने सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को सम्मान देने केलिए प्रधानमंत्रियों का संग्रहालय बनाया है। उन्होंने कहाकि कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न से सम्मानित किया गया है और यहां तककि प्रणब मुखर्जी, जिन्होंने अपना पूरा जीवन वर्तमान विपक्षी दल में बिताया कोभी भारतरत्न से सम्मानित किया गया है। मुलायम सिंह यादव जैसे विरोधी विचारधाराओं के नेताओं को भी पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री ने कहाकि ये निर्णय राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने और राष्ट्रीय एकता की भावना को मज़बूत करने के इरादे से लिए गए। उन्होंने कहाकि वर्तमान विपक्षी दल को न केवल अंग्रेजों से सत्ता और पार्टी संरचना विरासत में मिली है, बल्कि उन्होंने उनकी अधीनता की मानसिकता को भी आत्मसातकर लिया है। यह देखते हुएकि कुछही दिन में राष्ट्र राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष का जश्न मनाएगा, उन्होंने याद दिलायाकि 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया तो वंदे मातरम प्रत्येक भारतीय के प्रतिरोध की सामूहिक आवाज़ और एकता एकजुटता का प्रतीक था। प्रधानमंत्री ने कहाकि जो काम अंग्रेज नहीं कर सके, वह पिछली सरकार ने अंततः कर दिखाया धार्मिक आधार पर वंदे मातरम के एक अंश को हटा दिया, जिससे समाज विभाजित हो गया और औपनिवेशिक एजेंडे को बढ़ावा मिला। प्रधानमंत्री ने आलोचना करते हुए कहाकि यदि उन्होंने वह गंभीर गलती न की होती तो आज भारत की छवि बहुत अलग होती। नरेंद्र मोदी ने कहाकि तत्कालीन सत्ताधारियों की मानसिकता के कारण देश दशकों तक औपनिवेशिक प्रतीकों को ढोता रहा, हमारी सरकार के सत्ता में आने केबाद ही भारतीय नौसेना के ध्वज से औपनिवेशिक शासन का प्रतीक चिह्न हटाया गया, राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बलिदान स्थल अंडमान में सेलुलर जेल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा मोरारजी देसाई की सरकार के कार्यकाल में ही दे दिया गया था। उन्होंने बतायाकि हालतक अंडमान के कई द्वीपों के नाम ब्रिटिश हस्तियों के नाम पर थे, अब इनका नाम बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सम्मान में कर दिया गया है और कई द्वीपों का नाम परमवीरचक्र विजेताओं के नाम पर रखा गया है, इंडिया गेट दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र की प्रतिमा स्थापित की गई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि राष्ट्र केलिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को भी उचित सम्मान नहीं दिया गया है, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की स्थापनाकर उनकी स्मृतियों को अमर कर दिया है। उन्होंने कहाकि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए राष्ट्रीय एकता को तोड़ने वाली हर साजिश को विफल करना है और देश राष्ट्रीय एकता के हर मोर्चे पर सक्रिय रूपसे काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत की एकता के चार आधारभूत स्तंभों को रेखांकित किया। सरदार पटेल के शब्दों को याद करते हुएकि उन्हें सबसे ज़्यादा खुशी राष्ट्र की सेवा करने में मिलती है, प्रधानमंत्री ने भी इसी भावना को दोहराया और प्रत्येक नागरिक से इसी भावना को अपनाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहाकि एकजुट होकर राष्ट्र 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के संकल्प को मज़बूत करेगा और एक विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगा।
राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में मुख्य आकर्षणों में बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी की टुकड़ियां, रामपुर हाउंड्स और मुधोल हाउंड्स जैसे विशेष रूपसे भारतीय नस्ल के कुत्तों से युक्त बीएसएफ का मार्चिंग दस्ता, गुजरात पुलिस का घुड़सवार दस्ता, असम पुलिस का मोटरसाइकिल डेयरडेविल शो और बीएसएफ का ऊंट दस्ता, ऊंट सवार बैंड प्रमुख थे। परेड में सीआरपीएफ के पांच शौर्य चक्र विजेताओं और बीएसएफ के सोलह वीरता पदक विजेताओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने झारखंड में नक्सलविरोधी अभियानों और जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में असाधारण साहस का परिचय दिया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीएसएफ कर्मियों की वीरता केलिए उन्हें भी सम्मानित किया गया। एनएसजी, एनडीआरएफ, गुजरात, जम्मू कश्मीर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मणिपुर, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और पुडुचेरी की झांकियां राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में ‘अनेकता में एकता’ की झलक और आकर्षण का प्रतिबिंब थीं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाते हुए भारत के शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किए गए।