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Friday 25 July 2025 05:08:04 PM
कुरनूल (आंध्र प्रदेश)। भारत की रक्षा क्षमताएं बढ़ाते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल राष्ट्रीय मुक्त क्षेत्र रेंज (एनओएआर) परीक्षण रेंज में उन्नत यूएवी लॉन्च्ड प्रिसिज़न गाइडेड मिसाइल (यूएलपीजीएम-वी3) का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया है। यह मिसाइल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन का पहले विकसित और वितरित यूएलपीजीएम-वी2 मिसाइल का उन्नत संस्करण है। यूएलपीजीएम-वी3 एक विशिष्ट दोहरे चैनल सीकर से सुसज्जित है, जो विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों पर प्रहार कर सकती है। इसे समतल और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दागा जा सकता है। इसमें दिनरात की क्षमता और प्रक्षेपण के बाद लक्ष्य बिंदु अद्यतन केलिए दो तरफ़ा डेटा लिंक हैं। ये मिसाइल तीन मॉड्यूलर वारहेड विकल्पों-विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच (ईआरए) केसाथ रोल्ड होमोजीनियस आर्मर (आरएचए) से लैस आधुनिक बख्तरबंद वाहनों को नष्ट कर देने केलिए एंटी आर्मर, एंटी बंकर एप्लिकेशन केसाथ पेनेट्रेशन कम ब्लास्ट वारहेड और उच्च घातकता वाले प्री फ्रैगमेंटेशन वारहेड से सुसज्जित है।
यूएलपीजीएम-वी3 मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की प्रयोगशालाओं-अनुसंधान केंद्र इमारत, रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला, टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला, एकीकृत परीक्षण रेंज और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला ने संयुक्त रूपसे विकसित किया है। ये परीक्षण एंटी-आर्मर कॉन्फ़िगरेशन केलिए किए गए थे। परीक्षण के दौरान मिसाइल को एक यूएवी से छोड़ा गया, जिसे एक भारतीय स्टार्टअप न्यूस्पेस रिसर्च टेक्नोलॉजीज बेंगलुरु ने स्वदेशी रूपसे विकसित किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन कई अन्य भारतीय कंपनियों के लंबी दूरी और उच्च क्षमता वाले यूएवी केसाथ यूएलपीजीएम हथियारों के एकीकरण पर सक्रिय रूपसे काम कर रहा है। विकास सह उत्पादन साझेदार अदानी डिफेंस और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड हैदराबाद एवं 30 एमएसएमई, स्टार्टअप ने इस अनूठी परियोजना को सफल बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उन्नत यूएवी लॉन्च्ड प्रिसिज़न गाइडेड मिसाइल (यूएलपीजीएम-वी3) प्रणाली के विकास और सफल परीक्षणों केलिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और उद्योग भागीदारों, रक्षा उत्पादन कंपनियों (डीसीपीपी), एमएसएमई और स्टार्टअप्स को बधाई दी है। उन्होंने इस सफलता को इसबात का प्रमाण बताया हैकि भारतीय उद्योग अब महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों को अपनाने और उनका उत्पादन करने केलिए तैयार है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने भी यूएलपीजीएम-वी3 मिसाइल निर्माण और परीक्षण टीमों, डीसीपीपी एवं स्टार्टअप्स को बधाई दी है और कहा हैकि ऐसे हथियार का विकास समय की मांग है।