स्वतंत्र आवाज़
word map

'भारत को नई प्रतिरक्षा रणनीति की जरूरत'

सीडीएस जनरल अनिल चौहान का नई स्वदेशी तकनीक पर जोर

नई दिल्ली में स्वदेशीकरण पर कार्यशाला व प्रदर्शनी का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 17 July 2025 01:39:11 PM

inauguration of workshop and exhibition on indigenisation in delhi

नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा हैकि पाकिस्तान की नापाक साजिशों को ऑपरेशन सिंदूर से कड़ा जवाब देते हुए भारतीय सेना ने स्वदेशी मानवरहित हवाई वाहनों और मानवरहित विमानरोधी रक्षा प्रणालियों की परिचालन प्रभावशीलता और रणनीतिक क्षमता को प्रदर्शित किया है। उन्‍होंने कहाकि आयातित विशिष्ट तकनीकों पर निर्भरता भारत की दीर्घकालिक तैयारी को कमज़ोर करती है, मापनीयता को सीमित करती है और निरंतर अभियानों में कमज़ोरियां उत्‍पन्‍न करती है। इसलिए भारत को पूर्ण रूपसे स्वदेशीकरण और संसाधन उपाय क्षमता को हासिल करने की रणनीतिक आवश्‍यकता है। जनरल अनिल चौहान ने यह बात नई दिल्ली में मानेकशॉ सेंटर में यूएवी और सी-यूएएस में महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण पर एक कार्यशाला और प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर कही।
जनरल अनिल चौहान ने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर से यह पता चलता हैकि हमारे भूभाग और अभियानों के अनुरूप स्वदेशी रूपसे विकसित काउंटर-यूएएस प्रणालियां कितनी आवश्‍यक हैं। उन्‍होंने कहाकि आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं केलिए विदेशी तकनीकों पर निर्भरता नहीं होनी चाहिए, जबकि उन्हें देश में ही डिज़ाइन, निर्मित और नवाचार किया जा सकता है, ताकि हम अपनी गोपनीयता की रक्षा के साथ-साथ लागत को कम करने के अलावा ऐसी प्रतिरक्षा पहलें जारी रख सकें। युद्ध के बदलते स्वरूप का उल्‍लेख करते हुए जनरल अनिल चौहान ने कहाकि ड्रोन युद्धक्षेत्र में क्रांति ला रहा है और इसके लिए नए सिद्धांतों, क्षमताओं और संसाधन उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने ड्रोन को अत्यधिक विध्वंसकारी बताते हुए सैन्य योजनाकारों से पारंपरिक सोच से आगे बढ़कर कार्य करने का आग्रह किया। जनरल चौहान ने रडार, सेंसर, जैमर और निर्देशित ऊर्जा हथियारों को एकीकृत करने वाले एक व्यापक काउंटर-यूएएस ग्रिड की आवश्यकता पर भी विस्तार से जानकारी दी।
सीडीएस ने कहाकि ऐसे नेटवर्क को विशेष रूपसे संघर्ष वाले निचले हवाई क्षेत्रों में मज़बूत कमान और नियंत्रण प्रणालियों एवं अंतर-एजेंसी समन्वय द्वारा समर्थित होना चाहिए। रक्षा नवाचार में तत्काल सुधार का आह्वान करते हुए जनरल अनिल चौहान ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का यह प्रस्ताव रखाकि अगली पीढ़ी की मानवरहित प्रणालियों केलिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास निवेश में वृद्धि, मॉड्यूलर, उन्‍नत और कुशल प्रणाली से युक्‍त प्रारूप, स्टार्टअप्स और डीआरडीओ केलिए समर्पित परीक्षण केंद्रों का निर्माण, स्टील्थ यूएवी और एमयूएम-टी (मानव-मानव रहित समूहों) में वृद्धि, समूह ड्रोन, ड्रोन वाहक, एआई एकीकरण और निर्देशित ऊर्जा हथियारों केलिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण आवश्यक है। कार्यशाला और प्रदर्शनी का आयोजन एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय ने संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र के सहयोग से किया था और यह अगली पीढ़ी की युद्ध तकनीकों में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी पहल है। चर्चा विदेशी उपकरण निर्माताओं पर निर्भरता कम करने और महत्वपूर्ण यूएवी उप-घटकों में आत्मनिर्भरता केलिए एक प्रारूप तैयार करने के रणनीतिक लक्ष्य पर केंद्रित थी। प्रतिभागियों में सशस्त्र बलों, डीआरडीओ, शिक्षा जगत, उद्योग और नीतिगत क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हुए।
एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कार्यशाला के मुख्य निष्कर्षों का सारांश प्रस्तुत करते हुए रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहाकि कार्यशाला से प्राप्‍त गहन दृष्टिकोण एक रणनीतिक नीति दस्तावेज़ में उपयोगी सिद्ध होगी, जिसका उद्देश्य यूएवी और काउंटर-यूएएस प्रौद्योगिकियों में स्वदेशीकरण प्रयासों को गति देना है। उन्होंने कहाकि यह पहल भविष्य के संघर्ष परिदृश्यों में परिचालन श्रेष्ठता सुनिश्चित करते हुए उन्नत, अनुकूल और सुरक्षित सैन्य प्रौद्योगिकियों के लिए वैश्विक केंद्र बनने के भारत के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को परिपुष्ट करती है। कार्यशाला में तकनीकी सत्र, लाइव प्रदर्शन और एक उद्योग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिससे हितधारकों को वार्तालाप, ज्ञान का आदान-प्रदान और उभरते स्वदेशी समाधानों को प्रदर्शित करने का अवसर मिला।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]