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मराठा राजसी किले हुए यूनेस्को की धरोहर

राजसी किले असाधारण सैन्य दृष्टि और स्थापत्य कला

हिंदवी स्वराज के अमर आदर्श हैं मराठा राजसी किले

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 12 July 2025 01:34:49 PM

maratha royal forts become unesco heritage (file photo)

नई दिल्ली। भारत के मराठा राजसी किले को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया है। यूनेस्को की मान्यता प्राप्त करनेवाली भारत की यह 44वीं विश्व धरोहर बन गई है। यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र में यह उल्लेखनीय निर्णय हुआ, जिसमें यूनेस्को ने यह कहकर वर्ष 2024-25 का भारत का आधिकारिक नामांकन स्वीकार कियाकि यह वैश्विक सम्मान भारत की चिरस्थायी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान है, जो इसकी स्थापत्य प्रतिभा, क्षेत्रीय पहचान और ऐतिहासिक निरंतरता की विविध परंपराओं को प्रदर्शित करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की है और भारतवासियों को बधाई दी है। गौरतलब हैकि बारह किलों का 17वीं से 19वीं शताब्दी तक फैला यह असाधारण नेटवर्क मराठा साम्राज्य की रणनीतिक सैन्य दृष्टि और स्थापत्य कला की प्रतिभा को दर्शाता है।
मराठा राजसी किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का प्रस्ताव जनवरी 2024 में विश्व धरोहर समिति के विचारार्थ भेजा गया था। सलाहकार निकायों केसाथ कई तकनीकी बैठकों और स्थलों की समीक्षा केलिए आईसीओएमओएस मिशन के दौरे सहित अठारह महीने की कठोर प्रक्रिया केबाद विश्व धरोहर समिति के सदस्यों ने यूनेस्को मुख्यालय पेरिस में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया। महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों में फैले चयनित स्थलों में महाराष्ट्र में सलहेर, शिवनेरी, लोहगढ़, खंडेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग केसाथ तमिलनाडु में गिंगी किला प्रमुख हैं। शिवनेरी किला, लोहागढ़, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और गिंगी किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित हैं, जबकि सलहेर किला, राजगढ़, खंडेरी किला, प्रतापगढ़ पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय, महाराष्ट्र सरकार से संरक्षित हैं। तटीय चौकियों से लेकर पहाड़ी गढ़ों तक विविध भूभागों में स्थित ये किले भूगोल और रणनीतिक रक्षा योजना की परिष्कृत समझ को दर्शाते हैं। ये एक सुसंगठित सैन्य परिदृश्य का निर्माण करते हैं, जो भारत में दुर्ग निर्माण परंपराओं के नवाचार और क्षेत्रीय अनुकूलन को उजागर करता है।
राजसी किलों की भौगोलिक संरचना के अनुसार सलहेर, शिवनेरी, लोहागढ़, रायगढ़, राजगढ़ और जिंजी किले पहाड़ी इलाकों में हैं, इसलिए इन्हें पहाड़ी किला कहा जाता है। घने जंगलों में बसा प्रतापगढ़ एक पहाड़ी वन किले के रूपमें वर्गीकृत है। पठारी पहाड़ी पर पन्हाला एक पहाड़ी पठार किला है। तटरेखा के किनारे विजयदुर्ग एक उल्लेखनीय तटीय किला है, जबकि समुद्र से घिरे खंडेरी, सुवर्णदुर्ग और सिंधुदुर्ग को द्वीपीय किले के रूप में जाना जाता है। यह शिलालेख पेरिस, फ्रांस में विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र के दौरान अंकित किया गया, जो भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक स्वीकृति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। समिति की बैठक के दौरान 20 में से 18 सदस्य देशों ने इस महत्वपूर्ण स्थल को सूची में शामिल कराने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया। प्रस्ताव पर 59 मिनट तक चर्चा चली और 18 सदस्य देशों की सकारात्मक सिफारिशों केबाद सदस्य देशों, यूनेस्को, विश्व विरासत केंद्र और यूनेस्को के सलाहकार निकायों ने इस महत्वपूर्ण अवसर केलिए भारत के प्रतिनिधिमंडल को बधाई दी।
भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य को मानदंड (iv) और (vi) केतहत नामित किया गया था, जिसमें जीवंत सांस्कृतिक परंपरा केप्रति उनके असाधारण साक्ष्य, उनके स्थापत्य और तकनीकी महत्व तथा ऐतिहासिक घटनाओं और परंपराओं केसाथ उनके गहरे जुड़ाव को मान्यता दी गई थी। इन धरोहर स्थलों को यूनेस्को की सूचीमें शामिल करने का उद्देश्य 196 देशों में सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित संपत्तियों में पाए जाने वाले उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों पर आधारित साझा विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है। भारत अपनी ओर से 2021-25 तक विश्व धरोहर समिति का सदस्य बना। यह वैश्विक मान्यता, विश्व मंच पर भारत की विरासत को उजागर करने केलिए नए भारत के अथक प्रयासों का प्रमाण है। यह मान्यता इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और महाराष्ट्र सरकार के प्रयासों को रेखांकित करती है। नई दिल्ली में पिछले वर्ष विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में असम के चराईदेव के मोइदाम को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था।
विश्व धरोहर स्थलों की सर्वाधिक संख्या के मामले में भारत विश्व स्तरपर छठे स्थान पर तथा एशिया प्रशांत क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है, 196 देशों ने विश्व धरोहर सम्मेलन 1972 का समर्थन किया है। भारत के 62 स्थल विश्व धरोहर की अस्थायी सूची में भी हैं, जो भविष्य में किसीभी स्थल को विश्व धरोहर संपत्ति के रूपमें माने जाने केलिए एक अनिवार्य सीमा है। प्रत्येक वर्ष प्रत्येक राज्य पक्ष विश्व धरोहर सूची में शामिल करने केलिए विश्व धरोहर समिति के विचारार्थ केवल एक स्थल का प्रस्ताव कर सकता है। भारत सरकार की ओरसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देश में विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों की नोडल एजेंसी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के मराठा सैन्य परिदृश्यों को प्रतिष्ठित यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने पर अत्यधिक गर्व और खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहाकि अंकित विरासत में 12 राजसी किले शामिल हैं-11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में है। मराठा साम्राज्य के महत्व पर प्रधानमंत्री ने कहाकि जब हम गौरवशाली मराठा साम्राज्य की बात करते हैं तो हम इसे सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण पर जोर केसाथ जोड़ते हैं, महान शासक हमें किसी भी अन्याय के आगे झुकने से मना करने केलिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने नागरिकों से मराठा साम्राज्य के समृद्ध इतिहास के बारेमें जानने केलिए इन किलों का दौरा करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में रायगढ़ किले की अपनी यात्रा की यादें भी साझा कीं, जिसमें एक तस्वीर भी शामिल है, जिसमें उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहाकि हर भारतीय इस मान्यता से उत्साहित है। उन्होंने कहाकि जब हम गौरवशाली मराठा साम्राज्य की बात करते हैं तो हम इसे सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण से जोड़ते हैं। उन्होंने कहाकि भारत के महान मराठा शासक किसीभी अन्याय के आगे न झुकने के अपने साहस से हमें प्रेरित करते हैं। प्रधानमंत्री ने सभीका इन किलों को देखने और मराठा साम्राज्य के समृद्ध इतिहास के बारेमें जानने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि ये किले हिंदवी स्वराज के अमर आदर्श हैं, जो आजभी स्वधर्म, स्वसंस्कृति और स्वराज्य की प्रेरणा प्रदान करते हैं।

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