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'भारतीय रक्षा उपकरणों की वैश्विक मांग बढ़ी'

रक्षा लेखा विभाग के नियंत्रक सम्मेलन-2025 में रक्षामंत्री का संबोधन

ऑपरेशन सिंदूर में सेना के शौर्य व स्वदेशी रक्षा उपकरणों ने मान बढ़ाया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 7 July 2025 05:16:44 PM

controllers' conference of defence accounts department

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा लेखा विभाग की मेजबानी में आज से 9 जुलाई तक डॉ एसके कोठारी ऑडिटोरियम डीआरडीओ भवन नई दिल्ली में आयोजित नियंत्रक सम्मेलन-2025 को संबोधित किया। रक्षामंत्री ने सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता और वित्तीय चपलता को मजबूत करने में विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने जो शौर्य दिखाया है और घरेलू रक्षा उपकरणों की जो क्षमता दिखाई है, उसके बाद हमारे स्वदेशी उत्पादों की वैश्विक मांग औरभी बढ़ी है। उन्होंने कहाकि दुनिया भारत के रक्षा क्षेत्र को नए सम्मान केसाथ देख रही है और चेतायाकि वित्तीय प्रक्रियाओं में एकभी देरी या त्रुटि सीधे परिचालन तैयारियों को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी केसाथ तालमेल बिठाते हुए रक्षा लेखा विभाग का 'नियंत्रक' से 'सुविधाकर्ता' के रूपमें विकसित होने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि हम लोगों की कोशिश हैकि बड़े इंजन भी भारत में ही बनाना प्रारंभ करें।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्रमें जारी परिवर्तनों का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया, जिनके मार्गदर्शन में देश आत्मनिर्भरता की ओर तेजीसे बढ़ रहा है और रक्षा नियोजन, वित्त व नवाचार में संरचनात्मक सुधार हुआ है। उन्होंने कहाकि हम जो रक्षा उपकरण पहले आयात करते थे, उनमें से अधिकांश अब भारत में ही बनाए जा रहे हैं, हमारे सुधार उच्चतम स्तरपर दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता की स्पष्टता के कारण सफल होरहे हैं। रक्षामंत्री ने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार 2024 में बढ़ते वैश्विक सैन्य व्यय के 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का उल्लेख किया और कहाकि इससे भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योगों केलिए जबरदस्त अवसर खुलते हैं। उन्होंने कहाकि 'रक्षा में आत्मनिर्भरता' पर ध्यान केंद्रित करने केसाथ भारतीय उद्योग जगत को वैश्विक मांग में बदलाव केलिए तैयार रहना चाहिए और निर्यात और नवाचार में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने उन्नत स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं के निर्माण केलिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
भारत के रक्षा क्षेत्र के बढ़ते सामरिक और आर्थिक महत्व पर राजनाथ सिंह ने रक्षा व्यय को महज व्यय के रूपमें देखने की धारणा को बदलने को कहा और इसे गुणक प्रभाव वाले आर्थिक निवेश के रूपमें देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि हालतक रक्षा बजट को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हिस्से के रूपमें नहीं देखा जाता था, आज वे विकास के चालक हैं। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारत बाकी दुनिया केसाथ पुनः शस्त्रीकरण के एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है, जिसकी विशेषता रक्षा क्षेत्रमें पूंजी गहन निवेश है। उन्होंने रक्षा लेखा विभाग से आग्रह कियाकि वह अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं, दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के सामाजिक प्रभाव विश्लेषण सहित अपनी योजना और आकलन में रक्षा अर्थशास्त्र को शामिल करें। रक्षामंत्री ने अनुसंधान, विकास और नवाचार योजना का भी उल्लेख किया, जिसका बजट 1 लाख करोड़ रुपये है, जो रक्षा क्षेत्रके नवाचार और उच्चस्तरीय प्रौद्योगिकी खरीद को प्राथमिकता देता है। उन्होंने रक्षा लेखा विभाग को इस तरह की परियोजनाओं खासकर स्टार्टअप, एमएसएमई और निजी क्षेत्रसे के सुचारू कार्यांवयन और समय पर वित्तपोषण सुनिश्चित करने में सक्रिय सहायक बनने केलिए प्रोत्साहित किया। रक्षामंत्री ने कहाकि पहलीबार रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पूंजी मार्ग के माध्यम से हथियार प्रणालियों के अधिग्रहण को मंजूरी दी है और विभाग से इस बदलाव से संबंधित वित्तीय गतिविधियों केलिए तैयार रहने का आग्रह किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विभाग के नए आदर्श वाक्य 'सतर्क, चुस्त, अनुकूल' की प्रशंसा की और कहाकि ये महज शब्द नहीं हैं, बल्कि तेजीसे विकसित हो रहे रक्षा माहौल में आवश्यक कार्य संस्कृति का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने रक्षा अधिकारियों से केवल बाहरी ऑडिट या सलाहकारों पर निर्भर रहने के बजाय आत्मनिरीक्षण से आंतरिक सुधार करने को कहा। रक्षामंत्री ने चेताते हुए कहाकि शांति का समय एक भ्रम के अलावा कुछ नहीं है, अपेक्षाकृत शांत अवधि के दौरान भी हमें अनिश्चितता केलिए तैयार रहना चाहिए, अचानक होनेवाले घटनाक्रम हमारी वित्तीय और परिचालन स्थिति में पूर्ण बदलाव ला सकते हैं, चाहे वह उपकरण उत्पादन को बढ़ाना हो या वित्तीय प्रक्रियाओं को अनुकूलित करना हो, हमें हर समय नवीन तकनीकों और उत्तरदायी प्रणालियों केसाथ तैयार रहना चाहिए। उन्होंने रक्षा लेखा विभाग से आग्रह कियाकि वे अपनी योजना, बजट और निर्णय लेने की प्रणालियों में इस मानसिकता को शामिल करें। राजनाथ सिंह ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) आज वैश्विक स्तरपर सबसे बड़े सार्वजनिक ई-प्रोक्योरमेंट प्लेटफॉर्म्स में से एक है और गर्व हैकि इसकी विकास यात्रा में रक्षा मंत्रालय की अहम भूमिका है। उन्होंने कहाकि रक्षा मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2024-25 तक जीईएम के जरिए 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की है और पारदर्शिता व दक्षता सुनिश्चित करने केलिए एकीकृत वित्तीय सलाहकारों और सक्षम वित्तीय अधिकारियों से इसका अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया।
रक्षामंत्री ने स्पर्श (पेंशन प्रशासन प्रणाली-रक्षा) प्लेटफॉर्म की सराहना की, जिसने 32 लाख से अधिक रक्षा पेंशनभोगियों को पारदर्शी, फेसलेस पेंशन वितरण प्रणाली केतहत एकीकृत किया है। उन्होंने कहाकि स्पर्श के माध्यम से हर महीने करोड़ों रुपये वितरित किए जाते हैं। उन्होंने व्यापक वेतन प्रणाली और केंद्रीकृत डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली जैसी आगामी डिजिटल पहलों का भी उल्लेख किया, जो वेतन और कार्मिक डेटा प्रबंधन को सरल बनाएगी एवं सेवाओं में तेज़, वास्तविक समय पर निर्णय लेने में सहायता करेगी। उन्होंने रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र केलिए विज़न दस्तावेज़ और रोडमैप पर विभाग के काम का स्वागत किया। रक्षामंत्री ने कहाकि रक्षा लेखा विभाग की प्रक्रियाओं में छोटी-छोटी गलतियों के भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं, एक छोटी सी भी गलती हो तो सैनिकों को समय पर जरूरी संसाधन नहीं मिल पाते, हमारी लापरवाही के कारण बजट आवंटन में दिक्कत आ सकती है और इसका सीधा असर ऑपरेशनल तत्परता पर पड़ता है। रक्षामंत्री ने पिछले वित्तीय वर्ष में पूंजीगत बजट का पूरा उपयोग करने केलिए रक्षा सचिव और सीजीडीए को बधाई दी और विश्वास व्यक्त कियाकि विभाग आगेभी इसी तरह का वित्तीय अनुशासन बनाए रखेगा।
राजनाथ सिंह ने कहाकि वित्तीय नियोजन में न केवल बजट वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, बल्कि दक्षता आधारित विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कहाकि हमारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है और हम जोभी निर्णय लेते हैं, वह राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के व्यापक दृष्टिकोण में योगदान देता है। उन्होंने सम्मेलन के एजेंडे की सराहना की, जिसमें परिवर्तन प्रबंधन, बजट, आंतरिक लेखा परीक्षा, खरीद, उद्योग भागीदारी और क्षमता निर्माण पर सत्र शामिल हैं। सम्मेलन के मुख्य आकर्षण विज़न दस्तावेज़, मिशन वक्तव्य, नया आदर्श वाक्य, मार्केट इंटेलिजेंस रिपोर्ट 2025 का दूसरा संस्करण और संशोधित रक्षा लेखा कोड का विमोचन हैं। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) एसजी दस्तीदार और रक्षा लेखा महानियंत्रक डॉ मयंक शर्मा भी उपस्थित थे।

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