स्वतंत्र आवाज़
word map

उपराष्ट्रपति को पीएम मोदी में कौटिल्य दर्शन!

भारतीय सशस्त्र बलों के 'ऑपरेशन सिंदूर' पर गर्व व्यक्त किया

दिल्ली में इंडिया फाउंडेशन के कौटिल्य फेलो के साथ संवाद

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 8 May 2025 06:06:18 PM

vice president jagdeep dhankhar

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्व में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के समूल नाश के लिए पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा हैकि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राचीन भारत के महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्‍त्री और रणनीतिकार कौटिल्य के दर्शन को व्यवहार में उतार लिया है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि कौटिल्य की विचार प्रक्रिया शासन के प्रत्‍येक पहलू केलिए एक प्रकार का ग्रंथ है, जिसमें शासन कला, सुरक्षा, राजा की भूमिका, जो अब निर्वाचित व्यक्ति है, सबका वर्णन है। उन्होंने कहाकि बहुध्रुवीय विश्‍व में बदलते गठजोड़, रातों-रात बदल जाने वाली अवधारणा, गठबंधन के मामले में भी यही देखा जा सकता है, कौटिल्य ने तभी यह कल्पना कर ली थीकि यह हमेशा परिवर्तनकारी रहेगा।
उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कौटिल्य को उद्धृत करते हुए कहाकि 'पड़ोसी देश शत्रु होता है और शत्रु का शत्रु मित्र होता है', यह भारत से बेहतर कौन जानता है? हम हमेशा वैश्विक शांति, विश्‍वबंधुत्व और विश्‍व कल्याण में विश्वास करते रहे हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज नई दिल्ली में इंडिया फाउंडेशन के कौटिल्य फेलो केसाथ संवाद करते हुए ये टिप्पणियां की। जगदीप धनखड़ ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक महान दूरदर्शी नेता हैं, जो वृहद स्‍तरपर काम करने में विश्वास करते हैं, उनका विश्‍वास व्‍यापक सकारात्‍मक बदलाव लाने में हैं, जो एक दशक के उनके शासन के उपरांत बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट दिख रहा है। उन्होंने कहाकि कई दशक के लंबे अंतराल केबाद हमारे पास लगातार तीसरे कार्यकाल में भविष्‍य दृष्टि वाला ऐसा प्रधानमंत्री मौजूद है, सकारात्‍मक परिवर्तनकारी बदलाव की यही सबसे बड़ी वजह है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि कौटिल्य इस बातपर बहुत बल देते थेकि लोकतंत्र भागीदारीमूलक होना चाहिए, विकास मेंभी सबकी भागीदारी होनी चाहिए, कौटिल्‍य ने राष्ट्र के उत्‍थान में व्यक्तियों के योगदान पर बहुत बल दिया था, एक राष्ट्र की पहचान शिष्टाचार, अनुशासन से होती है, जो स्वभाव से व्यक्तिपरक होता है।
उपराष्‍ट्रपति ने कहाकि जिस तरह एक पहिया गाड़ी को अकेले नहीं चला सकता, उसी प्रकार प्रशासन भी एकल रूपसे नहीं चलाया जा सकता। जगदीप धनखड़ ने उल्‍लेख कियाकि ये लोकाचार समकालीन शासन में भी परिलक्षित होते हैं। उन्‍होंने कहाकि इस देश में अभिनव सोच और कार्यव्‍यवहार वाला प्रशासन है। उन्‍होंने कहाकि जब हमारे देशमें कुछ जिले उत्‍कृष्‍टता मानक पर पिछड़ रहे थे और नौकरशाह भी उन क्षेत्रों में जाने का प्रयास नहीं करते थे, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन जिलों को एक नया नाम दिया-आकांक्षी जिले, अब वही 'आकांक्षी जिले' विकास में अग्रणी बन गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आभास हुआकि लोग महानगरों की ओर जा रहे हैं तो उन्‍हें लगाकि द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों कोभी आर्थिक गतिविधि का केंद्र बनाना चाहिए। उन्होंने स्मार्ट सिटी की संरचनात्‍मक परिकल्‍पना तैयार कर दी, स्मार्ट सिटी बुनियादी ढांचे या परिष्‍कृत रूचिगत सौन्‍दर्य के संदर्भ में नहीं है, ये निवासियों, उद्यमियों, विद्यार्थियों केलिए उपलब्ध सुविधाओं से संबंधित हैं। जगदीप धनखड़ ने सत्ता और शासन के मूलभूत सिद्धांतों पर कहाकि सत्ता सीमाओं से परिभाषित होती है, लोकतंत्र तभी विकसित होता है, जब हम सत्ता की सीमाओं केप्रति हमेशा सजग रहते हैं।
उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि कौटिल्य के दर्शन में गहराई से उतरने पर हम पाते हैंकि यहसब केवल लोककल्याण पर केंद्रित है, जो शासन का अमृत है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र का संदर्भ देते हुए जगदीप धनखड़ ने कहाकि कौटिल्य का कहना थाकि राजा का सुख उसकी प्रजा के सुख में निहित है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि किसीभी लोकतांत्रिक देश के संविधान को देखा जाए तो लोकतांत्रिक शासन और लोकतांत्रिक मूल्यों की अंतर्निहित भावना और उसके सार में यही दर्शन मौजूद है। भारत के सभ्यतागत लोकाचार पर गहन चिंतन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि लोकतंत्र तभी सबसे बेहतर तरीके से पोषित और विकसित होता है, जब अभिव्यक्ति और संवाद एक-दूसरे के पूरक के तौरपर मौजूद होते हैं, यही विशिष्‍टता लोकतंत्र को शासन के किसी अन्य रूपसे अलग स्‍थापित करती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत में लोकतंत्र संविधान लागू होने या विदेशी शासन से स्वतंत्र होने केसाथ आरंभ नहीं हुआ, हम हज़ारों वर्ष से लोकतंत्र की भावना से युक्‍त राष्ट्र हैं और यह अभिव्यक्ति एवं संवाद पूरक तंत्र-अभिव्यक्ति, वाद विवाद को वैदिक संस्कृति में अनंतवाद के रूपमें जाना जाता है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]