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सरकार चलाने में दबाव नहीं मानेंगे मोदी!

तो राजनीतिक दलों के सामने होगा मध्यावधि चुनाव का खतरा?

पीएम से काम कराने का दावा करने वालों से सावधान रहें-नरेंद्र मोदी

Monday 10 June 2024 02:30:39 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

pm narendra modi

नई दिल्ली। नरेंद्र दामोदरदास मोदी लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बन गए। इस प्रकार वे देश के दूसरे प्रधानमंत्री हैं, जो लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। इनसे पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू लगातार तीन बार देश के प्रधानमंत्री हुए हैं। भाजपानीत एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में सायं सात बजे से आयोजित भव्य शपथ समारोह में देश-विदेश के राष्ट्राध्यक्षों और गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी में पद और गोपनीयता की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पहले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की और उनके बाद तीस कैबिनेट मंत्रियों, पांच स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्रियों और अंत में छत्तीस राज्यमंत्रियों को एक-एक कर उनके पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। गठबंधन की विवशताओं के कारण इसबार पहलीबार पहले से बड़ा मंत्रिमंडल है, मगर शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्रियों का क्रम लगभग पहले जैसा ही है।
भाजपा को इसबार 272 सदस्यों का पूर्ण बहुमत नहीं मिला है और वह सरकार चलाने के बहुमत केलिए गठबंधन सहयोगियों पर निर्भर है, तथापि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए का नेता चुने जाने के समय अपने पहले संबोधन में ही स्पष्ट कर चुके हैंकि गठबंधन सरकार पहले जैसी ही चलेगी, बड़े निर्णय लेगी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर और भी कड़ा प्रहार करेगी। नामधारी टीवी मीडिया ने खूब चलाया हैकि नई मोदी सरकार में कौन-कौन मंत्री बनेंगे, कौन लोकसभा अध्यक्ष होंगे, किसे कौन सा विभाग मिलेगा और गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मजबूर' प्रधानमंत्री रहेंगे, लेकिन संसद के सेंट्रल हॉल में भाजपा एवं एनडीए का नेता चुने जाने केबाद उन्होंने अपने पहले जैसे तेवर प्रकट कर दिए। वे किसी दबाव में नहीं दिखे। उन्होंने साफ-साफ कहाकि उनपर किसी पद अथवा मंत्री बनाने को लेकर गठबंधन सहयोगियों की कोई शर्त या कोई दबाव नहीं है, एनडीए सरकार अभी भी देशहित में कड़े फैसले लेती रहेगी। प्रधानमंत्री ने बहुत साफ कहाकि उनकी सरकार 'ब्रेकिंग न्य़ूज' पर नहीं चलेगी, इसलिए वे उन लोगों से सतर्क रहें, जो मंत्री आदि बनवाने का झांसा देने का काम करते हैं। उनका इशारा उन कुछ मीडिया वालों की ओर भी था, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी निकटता और मित्रता का बखान करते हुए उनसे मंत्री बनवाने, सरकारी प्रतिष्ठानों में पद दिलवाने एवं कोई भी काम कराने का दावा करते घूमते हैं।
गौरतलब है कि जहां राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी दोस्ती निकटता और भाजपा संगठन में पकड़ का पब्लिक डोमेन में प्रचार करने वाले सक्रिय हैं तो मीडिया में भी ऐसे नामधारी हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी गहरी दोस्ती और भाजपा संगठन के शीर्ष नेताओं पर अपनी पकड़ बताकर मंत्री बनवाने और सरकार के प्रतिष्ठानों में पद दिलवाने, ट्रांस्फर-पोस्टिंग करवाने और सरकारी ठेके दिलाने का ठेका लेते हैं। प्रधानमंत्री ने उसदिन संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एनडीए के लोगों को ऐसे ठेकेदारों से सावधान किया। 'ब्रेकिंग न्यूज़' से सरकार नहीं चलेगी का उनका इशारा ऐसे ही मीडिया वालों की ओर था, जो चैनलों पर 'ब्रेकिंग न्यूज़' चलाकर और फिर हटाकर सरकार या नेताओं पर अवांछित दबाव बनाने की कोशिश करते आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना उनके लिए बहुत बड़ी चेतावनी है, इसलिए वह बार-बार कह रहे हैंकि किसीके दबाव में सरकार नहीं चलेगी। इससे यह बात पुष्ट होती हैकि वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में ऐसे मीडिया वाले हैं, जो सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के साथ फोटो डालकर उनसे अपनी दोस्ती का बखानकर उनसे काम कराने का दावा करते घूमते हैं। गौरतलब हैकि नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार के दौरान बनारस के एक पत्रकार के दिल्ली में ऐसे ही 'धंधे' में पकड़े जाने का मामला काफी समय तक बड़ी सुर्खियों में रहा है। ऐसे और भी मामले होंगे, जिनकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है, अन्यथा प्रधानमंत्री उस दिन यह नहीं कहते कि ऐसे लोगों से और 'ब्रेकिंग न्यूज़' से सावधान रहें।
भाजपा को इसबार पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तेवरों में वही हनक दिखाई पड़ रही है, जो उनके पूर्व कार्यकाल में रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभीभी किसी के दबाव में काम करते नहीं देखे गए हैं, चाहे वह सरकार चलाने का मामला हो कड़े निर्णय लेने या संगठन का। इस संदर्भ में यहां एक घटना प्रासंगिक है, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गोधरा में जब यात्रियों से भरी ट्रेन के डिब्बों को पेट्रोल और मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी गई, जिसमें बड़ी संख्या में निर्दोष यात्रियों की मौतें हुई थीं, जिसके फलस्वरूप गुजरात में दंगे हुए, उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर चारों ओर से गुजरात दंगों में मुसलमानों की सुरक्षा नहीं करने का आरोप लग रहा था, नरेंद्र मोदी पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव बनाया जा रहा था, एक समय ऐसा भी आया जब अटल बिहारी वाजपेयी ने भी नरेंद्र मोदी को इस्तीफा देकर राजधर्म निभाने की नसीहत दे डाली थी, मगर नरेंद्र मोदी विचलित नहीं हुए और उन्होंने अमरीका सहित दूसरे देशों से अपने विरुद्ध चल रहे तूफानों का चट्टान की तरह सामना किया, वे किसी के सामने झुके नहीं और उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया। नरेंद्र मोदी की यही हिम्मत भाजपा को केंद्र में प्रचंड बहुमत तक लेकर गई, जिससे वे आज लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री हैं। नरेंद्र मोदी इसबार बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिलने के संकट में जरूर हैं, मगर एनडीए के घटक दलों के समर्थन के दबाव में नहीं हैं, यही इंडी एलायंस की चिंता का बड़ा कारण है।
मीडिया और इंडी एलायंस बार-आर संशय उछाल रहा हैकि मोदी सरकार नहीं चल पाएगी, साल छह महीने में ही गिर जाएगी। यह उन विश्लेषणों को नसीहत है, जो यह जानकर भी ऐसा नरेटिव सेट करने में लगे हैंकि नरेंद्र मोदी, बीजेपी का पूर्ण बहुमत नहीं होने के बावजूद, अपनी सरकार चलाने में किसी भी सहयोगी घटक के दबाव में नहीं ही आएंगे, ठीक वैसे, जैसे वे गुजरात दंगों पर मुख्यमंत्री पद छोड़ने के दबाव में नहीं आए थे। नरेंद्र मोदी एक दृढ़ प्रतिज्ञ राजनीतिज्ञ माने जाते हैं, जिनके पास देश केलिए राष्ट्रीय और वैश्विक उपलब्धियों का विशिष्ट रिकॉर्ड है, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर सरदार मनमोहन सिंह के कार्यकाल तक किसी के भी पास नहीं हैं। ये उपलब्धियां और राजनीतिक कूटनीतिक संकटों पर सफलता से विजय पाने का मनोबल जो उनके पास है। भाजपा का पूर्ण बहुमत नहीं होने के बावजूद यद्यपि नरेंद्र मोदी पर फिलहाल एनडीए की कोई शर्त या दबाव सामने नहीं है, तथापि भविष्य में यदि नरेंद्र मोदी के सामने ऐसी स्थिति आती है तो फिर उनके पास मध्यावधि चुनाव में जाने का विकल्प खुला है। ऐसी विपदापूर्ण स्थिति में क्या कोई भी राजनीतिक दल या कोई सांसद मध्यावधि चुनाव में जाना चाहेगा? कदाचित कोई नहीं। मोदी सरकार में एनडीए सहयोगी टीडीपी और जद (यू) भी कोई व्यवधान नहीं चाहेगा। मध्यावधि चुनाव से बचने केलिए गैर भाजपाई सांसद भी अपने दलों से टूटकर भाजपा से मिल सकते हैं, इसलिए एनडीए के सहयोगियों की भाजपा केसाथ चलना और उसके फैसलों को मानना ही उनकी मजबूरी है।
भाजपा अल्पमत के त्रास और गठबंधन सहयोगियों के किसी भी दबाव से बाहर आने केलिए तो चाहेगी कि इंडी अलायंस अनवरत मोदी सरकार को अस्थिर करने के अभियान पर रहे, जिससे देश में मध्यावधि चुनाव की स्थितियां निर्मित हों और यह सच्चाई हैकि मध्यावधि चुनाव हुए तो भाजपा की बड़ी प्रचंडता से सत्ता में वापसी होगी, इसीलिए मोदी दबाव में नहीं दिख रहे हैं और तीसरी सरकार में भी वैसे ही कड़े निर्णय लेने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल एनडीए सरकार से आश्वस्त हैं। उन्होंने तीसरीबार प्रधानमंत्री बनने पर एक्स पर पोस्ट में लिखा हैकि मैं 140 करोड़ भारतीयों की सेवा करने और भारत को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाने केलिए मंत्रिपरिषद केसाथ काम करने को तत्पर हूं, शपथ लेने वाले मंत्रिमंडल के सहयोगियों को बधाई! नरेंद्र मोदी ने लिखाकि यह टीम युवा एवं अनुभवी लोगों का एक बेहतरीन मिश्रण है और हम देशवासियों के जीवन को और ज्यादा बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले देश-​विदेश के अतिथियों और गणमान्य नागरिकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहाकि भारत हमेशा मानव प्रगति की खोज में अपने मूल्यवान भागीदारों केसाथ मिलकर काम करेगा। मंत्रिमंडल बनाने पर गठबंधन सहयोगियों का कोई दबाव नहीं दिखाई दिया। महाराष्ट्र से एनडीए सहयोगी एनसीपी के सदस्य प्रफुल्ल पटेल को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूपमें शामिल किया जा रहा था, लेकिन प्रफुल्ल पटेल ने धन्यवाद के साथ यह कहकर यह स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री पद लेने से मनाकर दिया, क्योंकि वह इससे पहले केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। प्रफुल्ल पटेल ने कहाकि उनसे कहा गया हैकि बाद में इसे ठीक कर दिया जाएगा, जिसकी वे प्रतीक्षा करेंगे। संभव हैकि जब कभी कैबिनेट विस्तार होगा तो उसमें प्रफुल्ल पटेल कैबिनेट मंत्री बना दिए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद के कैबिनेट मंत्री हैं-राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन जयराम गडकरी, जगतप्रकाश नड्डा, शिवराज सिंह चौहान, निर्मला सीतारमण, डॉ सुब्रह्मण्यम जयशंकर, मनोहर लाल खट्टर, एचडी कुमारस्वामी, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, जीतनराम मांझी, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, सर्बानंद सोनोवाल, डॉ वीरेंद्र कुमार, किंजरापु राममोहन नायडू, प्रल्हाद जोशी, जुएल ओराम, गिरिराज सिंह, अश्विनी वैष्णव, ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया, भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह शेखावत, अन्नपूर्णा देवी, किरेन रिजिजू, हरदीप सिंह पुरी, डॉ मनसुख मंडाविया, जी किशन रेड्डी, चिराग पासवान, सीआर पाटिल। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं-राव इंद्रजीत सिंह, डॉ जितेंद्र सिंह, अर्जुनराम मेघवाल, जाधव प्रतापराव गणपतराव और जयंत चौधरी। राज्यमंत्री हैं-जितिन प्रसाद, श्रीपद येसो नाइक, पंकज चौधरी, कृष्ण पाल, रामदास अठावले, रामनाथ ठाकुर, नित्यानंद राय, अनुप्रिया पटेल, वी सोमन्ना, डॉ चंद्रशेखर पेम्मासानी, प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल, शोभा करंदलाजे, कीर्तिवर्धन सिंह, बीएल वर्मा, शांतनु ठाकुर, सुरेश गोपी, डॉ एल मुरुगन, अजय टम्टा, बंदी संजय कुमार, कमलेश पासवान, भागीरथ चौधरी, सतीश चंद्र दुबे, संजय सेठ, रवनीत सिंह, दुर्गादास उइके, रक्षा निखिल खडसे, सुकांत मजूमदार, सावित्री ठाकुर, तोखन साहू, राजभूषण चौधरी, भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा, हर्ष मल्होत्रा, निमुबेन जयंतीभाई बांभनिया, मुरलीधर मोहोल, जॉर्ज कुरियन और पबित्रा मार्गेरिटा।

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