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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मिले इंजीनियर

'लोक निर्माण में ऊर्जा कुशल समाधानों को अपनाएं'

'चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाने का दायित्व आप पर है'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 28 March 2024 06:04:19 PM

engineers met president draupadi murmu

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से 2022 और 2023 बैच के केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के सहायक एग्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियरों एक ग्रुप ने आज राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। राष्ट्रपति ने प्रतिभाशाली इंजीनियरों को इंजीनियरिंग सेवा परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने पर बधाई और कहाकि उनमें से अधिकांश इंजीनियरों ने आईआईटी, एनआईटी और देशभर के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से स्नातक किया है, आशा हैकि वे सभी देश के विकास में अपना योगदान देंगे, प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम करेंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि इस समूह में सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों का मिश्रण है, जो केंद्रीय लोक निर्माण विभाग केलिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और प्रमुख तकनीकी कार्यों के प्रबंधन केलिए जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहाकि सीपीडब्ल्यूडी की लगभग 170 वर्ष की समृद्ध विरासत और इतिहास है, इसने कठिन एवं चुनौतीपूर्ण भौगोलिक व जलवायु परिस्थितियों में परियोजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियांवित किया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि अब आप इस विरासत और इतिहास का हिस्सा हैं, जो आगे आनेवाली चुनौतीपूर्ण भूमिका में खरा साबित होने की जिम्मेदारी आपपर डालता है, आशा हैकि आप सभी अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी, व्यावसायिकता और उच्चतम स्तर की सत्यनिष्ठा केसाथ पूरा करेंगे। राष्ट्रपति ने इंजीनियरों से कहाकि युवा इंजीनियरों के रूपमें वे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से भलीभांति अवगत हैं, इसलिए लोक निर्माण में ऊर्जा कुशल समाधानों को अपनाएं। उन्होंने कहाकि उनके द्वारा बनाए जाने वाले भवन, सड़क और अन्य बुनियादी ढांचे टिकाऊ, ऊर्जा कुशल और पर्यावरण अनुकूल होने चाहिएं, उन्हें अपने दृष्टिकोण में नवाचारी होना चाहिए, ताकि वे उभरती चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सकें। राष्ट्रपति ने कहाकि 3डी प्रिंटिंग के युग में भवन निर्माण प्रौद्योगिकी में व्यापक रूपसे बदलाव आया है, अब बुनियादी ढांचे और निर्माण परियोजनाओं को जलवायु अनुकूल एवं ऊर्जा कुशल बनाया जा सकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हरित निर्माण समय की जरूरत है, निर्माण की नवाचारी विधियों में इस क्षेत्र को बदलने की क्षमता है, वे सटीक डिज़ाइन के साथ पारंपरिक निर्माण की सीमाओं को तोड़ सकते हैं, उन्हें न केवल निर्माण प्रक्रिया में तेजी लानी है, बल्कि अधिकतम संसाधन उपयोग के माध्यम से अपशिष्ट के कम से कम सृजन को भी सुनिश्चित करना है। राष्ट्रपति ने इंजीनियरों को सलाह दीकि वे सीमित दायरे में ही काम न करें, बल्कि सहयोगात्मक, दूरदर्शी और प्रौद्योगिकी संचालित दृष्टिकोण भी अपनाएं। उन्होंने कहाकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोट और ड्रोन जैसी नई एवं उभरती हुई प्रौद्योगिकियां पारंपरिक सोच को बाधित कर रही हैं, हालांकि इनका उपयोग दक्षता क्षमता को बढ़ाने और उसमें सुधार करने, प्रक्रियाओं के स्वचालन एवं अनुकूलन में उत्पादकता बढ़ाने तथा संसाधन प्रबंधन को बेहतर बनाने में किया जा सकता है। उन्होंने इंजीनियरों से उत्कृष्टता केलिए प्रयास करने और एक बेहतर, हरित तथा अधिक टिकाऊ भविष्य का निर्माण करने में सार्थक योगदान देने का भी अनुरोध किया।

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