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जनजातियों में 'मैं' नहीं 'हम' मूल मंत्र-राष्ट्रपति

'क्योंझर की जनजातियां: जनसमूह संस्कृति एवं विरासत' संगोष्ठी

जनजातीय वेशभूषा गहने और खाद्य पदार्थों का अवलोकन किया

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Friday 1 March 2024 11:49:58 AM

president droupadi murmu observed tribal foods

क्योंझर (ओडिशा)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ओडिशा के क्योंझर के गंभरिया में धरणीधर विश्वविद्यालय में 'क्योंझर की जनजातियां: जनसमूह, संस्कृति एवं विरासत' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया और जनजातीय वेशभूषा, गहने एवं खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। राष्ट्रपति ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहाकि क्योंझर एक जनजातीय बहुल जिला है, जो प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध है, यह मुंडा, कोल्ह, भुइयां, जुआंग, सांती, बथुडी, गोंड, संथाल, ओरंग और कोंध का निवास स्थल है। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि इस अवसर पर चर्चा में शामिल होन वाले शोधकर्ता जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करके ठोस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि अगर कोई समुदाय या समूह देश के विकास की मुख्यधारा से वंचित रह जाता है तो हम इसे समावेशी विकास नहीं बोल सकते हैं, इसलिए जनजातीय समुदायों में ज्यादा पिछड़े लोगों के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारत सरकार की पीवीटीजी को सशक्त बनाने केलिए पीएम जनमन पहल आजीविका, कौशल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, नल का जल, स्वच्छता एवं पोषण प्रदान करेगी। उन्होंने कहाकि सभी जनजातीय लोगों को सशक्त बनाने केलिए विभिन्न योजनाएं भी लागू की जा रही हैं। राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुईकि जनजातीय कलाओं, संस्कृतियों और शिल्पों को संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने तथा जनजातीय स्वाभिमान की रक्षा केलिए कई कारगर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि जनजातीय लोग समानता एवं लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वाधिक महत्व देते हैं, जनजातीय समाज में 'मैं' नहीं, 'हम' मूल मंत्र है। उन्होंने कहाकि जनजातीय समाजों में स्त्री-पुरुष केबीच कोई भेदभाव नहीं है और यही दृष्टिकोण महिला सशक्तिकरण का आधार है, अगर हमसब इन मूल्यों को अपनाएं तो महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया तेज हो सकती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस मौके पर शिक्षकों से कहाकि उन्हें शिक्षण के साथ-साथ शोध पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह कियाकि वे जनजातीय गांवों में जाएं और ग्रामीणों की स्थिति का पता लगाएं। उन्होंने कहाकि जनजातीय समाज में पारंपरिक ज्ञान का खजाना है, अनुभवी जनजाति के लोग पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों को पहचानने, उनका उपयोग करने और उनके विशेष औषधीय गुणों को पहचानने की कला जानते हैं। राष्ट्रपति ने शिक्षकों से कहाकि वे शोध करें और इच्छुक छात्रों को भी शोध करने केलिए प्रेरित करें। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह कियाकि वे मानव समाज के लाभ केलिए पारंपरिक ज्ञान के अनुप्रयोग पर ध्यान दें और उन्हें विलुप्त होने से बचाने की कोशिश करें। राष्ट्रपति ने कहाकि यहां के छात्रों में अपार संभावनाएं और क्षमता है, वे शिक्षा एवं कौशल के माध्यम से आजीविका प्राप्त कर सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उन्होंने छात्रों से भी आग्रह कियाकि शिक्षा के माध्यम से नई तकनीकों से जुड़ें, लेकिन अपनी जड़ों से जुड़े रहें।

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