रंजीत, गुलशन ग्रोवर, रज़ा मुराद, किरण कुमार बोले
इफ्फी में 'द विलेन्स-लीविंग ए लास्टिंग इम्प्रेशन' खंडस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 28 November 2023 01:21:22 PM
पणजी। भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित खलनायक रंजीत, गुलशन ग्रोवर, रज़ा मुराद एवं किरण कुमार ने गोवा में 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आयोजित बातचीत सत्र में खलनायक की बारीकियों पर प्रकाश डाला, जिनसे कई फिल्मों का सार बनता है। पणजी में कला अकादमी में प्रतिष्ठित उत्सव के मौके पर 'द विलेन-लीविंग ए लास्टिंग इंप्रेशन' शीर्षक वाले खंड में लोगों की भारी उपस्थिति देखी गई। रज़ा मुराद ने सिनेमा में खलनायकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहाकि वह फिल्म में विशिष्ट रंग जोड़ते हैं और बुराई के विरुद्ध वातावरण बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहाकि जब हम किसी फिल्म में ऐसे किरदार निभाते हैं तो हम दर्शकों को वह विशेषता परोसते हैं जो उन्हें पसंद है, जिसका दर्शक आनंद लेते हैं और चाहते हैं। खलनायक के बिना फिल्में अधूरी हैं।
गुलशन ग्रोवर ने खलनायक की भूमिका केलिए अपनी तैयारी के बारेमें कहाकि जब मैं किसी फिल्म में खलनायक की भूमिका निभाता हूं तो मेरे विश्वास, मेरे विचारों का कोई महत्व नहीं होता है, मैं वह व्यक्ति हूं, जिसकी स्क्रिप्ट मांग करती है। अपने किरदार से दर्शकों की अपेक्षाओं के पर किरण कुमार ने कहाकि हम मनोरंजन करने वाले हैं, अभिनेता नहीं हैं, हमारा काम थिएटर में आगे से लेकर आखिरी पंक्ति तक बैठे लोगों का मनोरंजन करना है, उनका पैसा वसूल हो जाए, यह हमारा काम है। उन्होंने कहाकि नकारात्मक भूमिका निभाने वाले खलनायक का काम यह सुनिश्चित करना होता हैकि फिल्म में नायक को एक सुपरहीरो के रूपमें चित्रित किया जाए। खलनायक की भूमिका के महत्व पर अपनी टिप्पणी साझा करते हुए उन्होंने कहाकि नायक का भरपूर विरोध किए बिना कोईभी फिल्म अधूरी है।
किरण कुमार ने किसी फिल्म में एक खलनायक की इस्तेमाल की जाने वाली अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर अपने विचार साझा करते हुए कहाकि यदि आवश्यक हो तो किसीको भी इसका इस्तेमाल करने से नहीं कतराना चाहिए। उन्होंने बतायाकि भाषा दर्शकों की मदद यह समझने में कर सकती हैकि कोई व्यक्ति किस क्षेत्र से वास्ता रखता है, जिससे फिल्म में जो भूमिका निभाई जा रही है, उसे प्रभावकारी ढंग से व्यक्त या प्रस्तुत किया जा सकता है। रंजीत ने कहाकि मेरा यह मानना हैकि कोईभी व्यक्ति अभद्र भाषाओं के इस्तेमाल के बिनाभी खुदको खलनायक के रूपमें चित्रित कर सकता है। मैं अकेले अपने अभिनय से ही ऐसा कर सकता हूं। फिल्मों में अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने कहाकि हां मैंने एक असभ्य खलनायक की भूमिका निभाई है, लेकिन कभीभी अशिष्ट खलनायक की भूमिका नहीं निभाई है।
रजा मुराद ने किसी किरदार को चित्रित करने के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूपमें वेशभूषा के महत्व को स्वीकार करते हुए कहाकि किरदार पेश करने के लिए वेशभूषा आवश्यक है, यह व्यक्ति की भूमिका को निखारता है, हालांकि किसी कोभी हमेशा यह याद रखना चाहिए कि वेशभूषा हमेशा सहायक ही रहेगी और यदि कोई अभिनेता पर्याप्त रूपसे प्रतिभाशाली नहीं है तो वेशभूषा से कोई लाभ नहीं होगा। इस रोचक सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार कोमल नाहटा ने किया था।