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समान मानवता गुरु घासीदास का जीवंत संदेश!

'युवा समानता एवं सामाजिक समरसता के आदर्शों का पालन करें'

राष्ट्रपति का गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के दीक्षांत में संबोधन

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Friday 1 September 2023 05:16:24 PM

president in convocation of guru ghasidas vishwavidyalaya

बिलासपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज बिलासपुर में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि आधुनिक विश्व में जो व्यक्ति, संस्थान और देश प्रगति हासिल करने केलिए नवाचार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को अपनाने में आगे रहेंगे, वे अधिक प्रगति करेंगे। उन्होंने कहाकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास में समुचित सुविधाओं, वातावरण और प्रोत्साहन का योगदान होता है और उन्हें बताया गया हैकि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं हैं, यहां स्थापित किए जारहे त्वरक आधारित अनुसंधान केंद्र के बारेमें जानकर प्रसन्नता हुई है, आशा करती हूंकि यह केंद्र उपयोगी अनुसंधान के माध्यम से अपनी पहचान बनाएगा। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की भागीदारी केसाथ समाजसेवा के कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि विश्वविद्यालय के आस-पास के क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या है, राज्य की लगभग एक तिहाई आबादी जनजातीय समुदायों की है, जनजातीय समुदाय की समृद्ध संस्कृतियों से प्रकृति केप्रति संवेदनशीलता, सामुदायिक जीवन में समानता का भाव तथा महिलाओं की भागीदारी जैसे जीवन मूल्यों को सीखा जा सकता है। उन्होंने कहाकि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय भारतीय भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करने में प्रभावशाली योगदान दे रहा है, इसके लिए विश्वविद्यालय टीम की सराहना भी की। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारतीय परम्पराओं से जुड़े रहकर युवाओं ने 21वीं सदी की चुनौतियों के अनुरूप विश्वस्तरीय दक्षता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे देश की परम्पराएं अत्यंत समृद्ध हैं और उन्हें बचाए रखने में अनेक विभूतियों के संघर्षों और प्रयासों का अमूल्य योगदान है।
राष्ट्रपति ने कहाकि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के नाम का महत्व इसलिए और भी अधिक बढ़ जाता हैकि इसी क्षेत्र में अवतरण करने वाले गुरु घासीदास ने मनखे-मनखे एक समान अर्थात सभी मनुष्य एक समान हैं का अमर और जीवंत संदेश प्रवाहित किया था, उन्होंने आजसे लगभग 250 वर्ष पहले वंचितों, पिछड़ों और महिलाओं की समानता केलिए समाज सुधार का बीड़ा उठाया था। राष्ट्रपति ने कहाकि समानता और सामाजिक समरसता के उन आदर्शों पर चलकर ही आजके युवा संवेदनशीलता केसाथ सबके हित के बारेमें सोच सकते हैं और श्रेष्ठतर समाज का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने उल्लेख कियाकि रायपुर का हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद के गौरवशाली नाम से सुशोभित है, स्वामीजी लोगों को भयमुक्त रहने की सलाह देते थे, उन्होंने खेल-कूद और शारीरिक स्वास्थ्य के महत्व को भी रेखांकित किया था। राष्ट्रपति ने कहाकि स्वामीजी आत्मविश्वास की प्रतिमूर्ति थे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने छात्र-छात्राओं को स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक और ऊर्जावान शिकागो संबोधन के बारेमें बताते हुए कहाकि वर्ष 1893 के विश्व और तत्कालीन भारत के बारेमें सोचिए, स्वामीजी ने उस वर्ष शिकागो में भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता का जयघोष किया था और विश्व समुदाय का सम्मान अर्जित किया था, उस समय भारत में गुलामी की मानसिकता अपने चरम पर थी, साम्राज्यवाद तथा पश्चिमी देशों का सम्पूर्ण वर्चस्व था तथा एशिया के लोग हीनता की भावना से ग्रस्त थे, ऐसे वैश्विक वातावरण में स्वामी विवेकानंद ने विश्व समुदाय में भारत का गौरव बढ़ाया। राष्ट्रपति ने कहाकि आज की युवा पीढ़ी को जिस वैश्विक परिवेश में आगे बढ़ना है, उसमें भारत की स्थिति बहुत मजबूत है तथा विश्व समुदाय के अग्रणी राष्ट्रों में हमारी गणना होती है।
राष्ट्रपति ने कहाकि स्वामी विवेकानंद के अद्भुत उदाहरण से प्रेरणा लेकर आजकी पीढ़ी को भारत का गौरव बढ़ाना है, देश को समावेशी समृद्धि की नई ऊंचाइयों तक ले जाना है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि इस सफलता के पीछे केवल वर्षों की कड़ी मेहनत और समर्पण से हासिल की गई क्षमता का ही योगदान नहीं था, बल्कि बाधाओं और असफलताओं से हतोत्साहित हुए बिना आगे बढ़ने केलिए प्रतिबद्धता भी थी। उन्होंने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित करने का आग्रह किया, जिससे समाज में वैज्ञानिक मनोवृत्ति विकसित करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत और प्रतिभा के बल पर आज भारत परमाणु क्लब और अंतरिक्ष क्लब का एक सम्मानित सदस्य है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत के प्रस्तुत 'कम लागत' पर 'उच्च विज्ञान' के उदाहरण को देश-विदेश में सराहा गया है। उन्होंने कहाकि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उच्चस्तरीय योग्यता हासिल करके समाज, राज्य एवं देश के महत्वपूर्ण निर्णयों में भाग ले सकते हैं। उन्होंने कहाकि चुनौतियों केबीच अवसरों का सृजन करना सफलता हासिल करने का प्रभावी तरीका है। राष्ट्रपति ने उपाधियां पानेवाले विद्यार्थियों, माता-पिता और अभिभावकों को बधाई दी एवं विद्यार्थियों की सफलता में योगदान देने केलिए प्राध्यापकों तथा विश्वविद्यालय की टीम भी प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि उन्हें यह देखकर खुशी हैकि आज स्वर्ण पदक पाने वाले 76 विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या 45 है, जो लगभग 60 प्रतिशत है, यह प्रदर्शन इस दृष्टि से और भी अधिक प्रभावशाली हैकि कुल विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या लगभग 43 प्रतिशत है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि छात्राओं के बेहतर प्रदर्शन के पीछे उनकी अपनी प्रतिभा और लगन केसाथ-साथ उनके परिवारजनों तथा इस विश्वविद्यालय की टीम का योगदान भी है। राष्ट्रपति ने छात्राओं को स्वर्णिम सफलता केलिए बधाई दी और कहाकि शिक्षा से महिला सशक्तीकरण के परिवर्तनकारी अभियान में सबका सहयोग और अधिक होना चाहिए, ताकि छात्राओं की कुल संख्या भी छात्रों के बराबर हो सके, ऐसी अपेक्षा मैं इसलिए भी व्यक्त कर रही हूंकि हमारे देश की कुल आबादी में महिलाओं की संख्या लगभग आधी है तथा हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय मापदंडों की स्थापना होनी चाहिए।

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