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'जेएनयू विविधता एकता का जीवंत प्रतिबिंब'

चरित्र निर्माण भी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है-राष्ट्रपति

जेएनयू के 6वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन

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Friday 10 March 2023 02:58:33 PM

president droupadi murmu in jnu's sixth convocation

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 6वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहाकि भारतभर के छात्र जेएनयू में पढ़ते हैं, यह विश्वविद्यालय विविधताओं केबीच भारत की सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है, कई अन्य देशों के छात्र भी जेएनयू में अध्ययन करते हैं, इस प्रकार सीखने के केंद्र के रूपमें जेएनयू का आकर्षण भारत से बाहर भी है। उन्होंने कहाकि जेएनयू अपनी प्रगतिशील प्रथाओं और सामाजिक संवेदनशीलता, समावेशन और महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में समृद्ध योगदान केलिए जाना जाता है। राष्ट्रपति ने कहाकि जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने शिक्षा एवं अनुसंधान, राजनीति, सिविल सेवा, कूटनीति, सामाजिक कार्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मीडिया, साहित्य, कला और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली योगदान दिया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि उन्हें यह जानकर खुशी हुई हैकि जेएनयू 'नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क' केतहत देश के विश्वविद्यालयों में वर्ष 2017 से लगातार दूसरे स्थान पर है। राष्ट्रपति ने कहाकि जेएनयू के विजन, मिशन और उद्देश्यों को इसके संस्थापक कानून में व्यक्त किया गया था, इन बुनियादी आदर्शों में राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक जीवनशैली, अंतर्राष्ट्रीय समझ और समाज की समस्याओं केप्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण शामिल हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय से इन मूलभूत सिद्धांतों के पालन में दृढ़ रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि चरित्र निर्माण भी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है, तात्कालिक बहाव में आकर चरित्र निर्माण के अमूल्य अवसरों को कभी नहीं गंवाना चाहिए। उन्होंने कहाकि विद्यार्थियों में जिज्ञासा केसाथ-साथ प्रश्न करने और तर्क की कसौटी का उपयोग करने की सहज प्रवृत्ति होती है, उन्हें इस प्रवृत्ति को सदैव प्रोत्साहित करना चाहिए, विचारों को खारिज करना या स्वीकार करना, वाद-विवाद और संवाद पर आधारित होना चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि युवा पीढ़ी को अवैज्ञानिक रूढ़ियों के विरोध को भी प्रोत्साहित करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि एक विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को विश्व समुदाय के बारेमें सोचना होता है, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, युद्ध और अशांति, आतंकवाद, महिलाओं की असुरक्षा और असमानता जैसे अनेक मुद्दे मानवता के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं, प्राचीनकाल से आजतक विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों ने व्यक्ति और समाज की समस्याओं का समाधान खोजा है और समाज के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहाकि इन मुद्दों को लेकर सतर्क और सक्रिय रहना विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों को बनाए रखने, संविधान के मूल्यों को संरक्षित करने और राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रभावी योगदान देंगे एवं यही उनकी अपेक्षा और आग्रह भी है।
राष्ट्रपति ने कहाकि जेएनयू के पूर्व छात्रों की सूची अत्यंत प्रभावशाली है, जेएनयू विश्वविद्यालय का इतिहास लगभग पांच दशक का ही है, यह देखते हुए इस संस्थान का योगदान और भी अधिक प्रशंसनीय है। उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई देते हुए कहाकि जेएनयू के अध्ययन अध्यापन और शोध कार्य में गुणवत्ता होती है, यह गुणवत्ता विशेष रूपसे उल्लेखनीय और सराहनीय भी है। राष्ट्रपति ने कहाकि दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है, यह सामाजिक बदलाव का एक प्रमुख पक्ष है। उन्होंने कहाकि सार्वभौमिकता और मानवतावाद भारतीय लोकाचार के अभिन्न अंग रहे हैं, आइए हम भारत की प्रतिभा पर गर्व करें।

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