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'भारतीय कला विरासत के रूप में फल-फूल रही'

संस्कृति राज्यमंत्री ने भी कला दर्शनम कैंप में अपनी चित्रकारी दिखाई

बीकानेर में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में लगा कला दर्शनम आर्ट कैंप

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 27 February 2023 12:25:21 PM

union minister of state for culture inaugurated kala darshanam art camp

बीकानेर। केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने बीकानेर के डॉ करणी सिंह स्टेडियम में चल रहे 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को कला दर्शनम आर्ट कैंप का शुभारंभ करते हुए कहाकि कला एक ऐसी विधा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती है, तभी जीवित रह पाती है और यह हमारे देश का सौभाग्य हैकि चाहे पेंटिंग हो, गायन हो, डांस हो या अन्य कोई आर्ट, विरासत के रूपमें आगे बढ़ी और फलीफूली है। अर्जुन मेघवाल ने कहाकि कला संगम में जहां वरिष्ठ कलाकार अपनी सधी कला से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं, वहीं युवा उनसे प्रेरणा लेकर कला को आधुनिक पुट देकर और आकर्षक बना रहे हैं। उन्होंने कहाकि इससे जोश केसाथ होश का बेहतरीन समन्वय हो रहा है, युवाओं और अनुभव केसाथ से कला में जो निखार आ रहा है, वह न सिर्फ आर्ट को गहराई से समझने वाले, बल्कि युवाओं कोभी भाने लगा है। उन्होंने कहाकि हकीकत यह हैकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और पूर्ण पारंगत नहीं होता, सीखना एक सतत प्रक्रिया है, जो सीखता जाता है, उसकी कला निखरती जाती है। उन्होंने इस अवसर पर कूंची से स्वास्तिक चिन्ह बनाया।
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में आदिवासी संस्कृति को निकट से देखा जा सकता है। कला के महासंगम में विभिन्न कलाओं में ठेठ ट्राइबल कल्चर की झलक के साथ हस्तकला के अनुपम आइटम्स भी दिखाई दे रहे हैं। दरअसल देश के जाने-माने झारखंड के आदिवासी क्षेत्र के दस्तकार संतू कुमार प्रजापति की स्टाल पर आदिवासियों के रोजमर्रा के काम में आनेवाली वस्तुएं देखी जा सकती हैं। वे बताते हैंकि ये वस्तुएं खुद आदिवासी कलाकार बनाते हैं, इन्हें बढ़ावा देने केलिए जहांभी कला उत्सवों को आयोजन होता है, इन्हें प्रदर्शित करने केसाथ ही इनकी बिक्री भी की जाती है। संतू कुमार प्रजापति बताते हैंकि उनके स्टाल पर जहां पूजन और सजावट वाली मेटल, खासकर पीतल की मूर्तियों से लेकर नेचुरल कलर्स से बनी पेंटिंग्स भी उपलब्ध हैं। स्टाल पर मेटल की मूर्तियों में जहां देवी-देवताओं की प्रतिमाएं शामिल हैं, वहीं सजावट की खूबसूरत डिजाइंस की मूर्तियां भी हैं। खास बात यह हैकि इन प्रतिमाओं की बारीक कारीगरी इन्हें और आकर्षक बनाती हैं, इसके अलावा जूट के थैले यानी बैग्स भी एकसे एक बेहतरीन डिजाइंस में उपलब्ध हैं।
आदिवासियों की डोक्रा ज्वेलरी भी विजिटर्स को लुभा रही है। यह गहने किसी कीमती धातु सोने या चांदी के नहीं बने हैं, बल्कि इन्हें टेराकोटा, धागों और रस्सी से बनाया गया है। इनमें गले के रंग बिरंगे हार केसाथ कान की बालियां, कंठा आदि भी देखते ही आकर्षित करते हैं। स्टाल पर उपलब्ध पेंटिंग्स नेचुरल कलर्स यानी मिट्टी, छाल आदि से बनी हुई हैं, इनमें पशु-पक्षियों के खूबसूरत चित्र उकेरे गए हैं, इन पेंटिंग्स को दो साइज में बनाया गया है। संतू कुमार प्रजापति बताते हैंकि उनकी स्टाल पर रखी प्रत्येक वस्तु एकतो आदिवासी संस्कृति से जुड़ी हुई है, दूसरे इनकी कीमत इतनी कम हैकि कोईभी खरीद सकता है और अपने ड्राइंगरूम आदि की शोभा बढ़ा सकता है। दो मार्च तक चलने वाले कला दर्शनम कैंप में 44 कलाकर अपनी आर्ट का प्रदर्शन कर रहे हैं, इनमें 25 कला के क्षेत्रमें नाम कमा चुके वरिष्ठ कलाकारों केसाथ ही 19 युवा और स्टूडेंट्स भाग ले रहे हैं। इस कैंप की खूबी यह हैकि हर कलाकार उम्दा से उम्दा पेंटिंग्स बना रहे हैं, जिन्हें बीकानेर और आसपास के क्षेत्रसे आनेवाले दर्शक खूब सराह रहे हैं।

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