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पर्यावरण असंतुलन पर उपराष्ट्रपति चिंतित!

'गुरु जम्भेश्वर ने 550 वर्ष पूर्व पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया'

बीकानेर में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का अधिवेशन हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 26 September 2022 11:44:01 AM

jagdeep dhankhar, all india bishnoi mahasabha session in bikaner

बीकानेर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिगड़ते पर्यावरण संतुलन पर गंभीर चिंता जाहिर की है और इस संदर्भ में राजस्थान के प्रसिद्ध संत गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाओं को भारत और विश्वमें फैलाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहाकि अगर गुरु जंभेश्वर की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार देश-विदेश में हुआ होता और सभी ने उसको आत्मसात किया होता तो आज विश्व इस तरह से प्रकृति के प्रकोप का सामना नहीं कर रहा होता। गुरु जंभेश्वर के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि 550 वर्ष पूर्व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देकर उन्होंने मानव-प्रकृति केबीच समन्वय और सौहार्द का रास्ता दिखाया था। जगदीप धनखड़ ने कहाकि 550 वर्ष पूर्व कोई सोचता भी नहीं थाकि पर्यावरण का संतुलन इस तरह से बिगड़ेगा, व्यक्ति अपने लालच के अंदर इस तरह से प्रकृति का दोहन करेगा, आज पूरी दुनिया त्राहि-त्राहि इसीलिए कर रही है, क्योंकि उन्होंने गुरु जंभेश्वर की बात को नहीं माना।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बीकानेर में मुक्ति धाम मुकाम में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर 'बिश्नोई रत्न' चौधरी भजनलाल की प्रतिमा का अनावरण भी किया। चौधरी भजनलाल के योगदान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि वे आजीवन किसान और कमेरा वर्ग की सशक्त आवाज़ रहे। उन्होंने विश्नोई समाज को एक नई पहचान दी थी और गुरु जंभेश्वर की शिक्षाओं के प्रचार केलिए विश्वविद्यालय बनाया था। उपराष्ट्रपति ने कहाकि मुक्ति धाम मुकाम में चौधरी भजनलाल की प्रतिमा से आनेवाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी। जगदीप धनखड़ ने गुरु जंभेश्वर के सबसे प्रमुख तीर्थस्थल मुकाम में उनकी समाधि के दर्शन करके प्रार्थना की और मुक्तिधाम मुकाम निज मंदिर के सौंदर्यीकरण और नवनिर्मित मंच का लोकार्पण भी किया। अखिल भारतीय विश्नोई समाज ने उपराष्ट्रपति का अभिनंदन किया। उपराष्ट्रपति ने अभिभूत स्वर में कहाकि वे अपने परिवार केबीच में आए हैं, हम सबके पुरखे एकही थे और सदियों से हम एक है, यह हमारी पहचान है।
उपराष्ट्रपति ने गुरु जंभेश्वर की रचित शब्द वाणी तथा बिश्नोई समाज के 29 धर्म नियमों को भारतीय सांस्कृतिक विरासत का निचोड़ बताया और कहाकि इनके अनुपालन से जीवनशैली और समाज सदैव सही रास्ते पर रहेंगे। बिश्नोई समाज के प्रकृति संरक्षण के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहाकि बिश्नोई समाज की जो बलिदानी गौरवशाली परंपरा है, उसको दुनिया के सामने रखा जाए, ताकि दूसरे लोग भी उनसे कुछ सीख सके। उपराष्ट्रपति ने कहाकि राजस्थान की इस गौरवशाली परंपरा में गुरु जंभेश्वर उज्जवल नक्षत्र के समान है। उपराष्ट्रपति देशनोक में प्रसिद्ध करणी माता मंदिर में पूजा की। मुकाम में हुए समारोह में राजस्थान का संत समाज, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक चौधरी कुलदीप सिंह बिश्नोई, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुड़ियां, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री और बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, राजस्थान सरकार में मंत्री सुखाराम विश्नोई, राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई, उपनेता प्रतिपक्ष राजस्थान विधानसभा राजेंद्र राठौड़ और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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