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भारत में सर्वाइकल कैंसर का टीका तैयार

टीका जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान परिषद की देन

भारत का स्वदेश में विकसित पहला टीका-'सर्वावैक'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 2 September 2022 12:40:58 PM

india's indigenous hpv vaccine 'cervavac'

पुणे। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम केलिए भारत के पहले स्वदेशी रूपसे विकसित टीका-'सर्वावैक' की घोषणा कर दी है। राज्यमंत्री ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे के सीईओ अदार सी पूनावाला और प्रमुख वैज्ञानिकों एवं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस टीके के वैज्ञानिक समापन की घोषणा की। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह अवसर जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद केलिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इस सस्ते और लागत प्रभावी टीके का निर्माण भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की सोच के नजदीक ले जाता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने रेखांकित कियाकि सर्वाइकल कैंसर भारत में दूसरा सबसे अधिक होने वाला कैंसर है और बड़े पैमाने पर रोकथाम के योग्य होनेके बावजूद यह विश्वमें सर्वाइकल कैंसर से मौतों का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। उन्होंने कहाकि मौजूदा अनुमानों से संकेत मिलते हैंकि हर साल लगभग 1.25 लाख महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर पाया जाता है और इस रोग से भारत में 75 हजार से अधिक मृत्यु हो जाती है। राज्यमंत्री ने बतायाकि भारत में 83 फीसदी और विश्वमें 70 फीसदी मामलों में इनवेसिव (हमलावर) सर्वाइकल कैंसर एचपीवी 16 या 18 जिम्मेदार है। उन्होंने कहाकि यह अनुमान लगाया गया हैकि विश्व में एचपीवी 16 और 18 का सभी इनवेसिव सर्वाइकल कैंसर के मामलों में लगभग 70 फीसदी का योगदान है। राज्यमंत्री ने कहाकि सर्वाइकल कैंसर रोकने केलिए सबसे अधिक उम्मीद जगाने वाली पहल ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के खिलाफ यह टीकाकरण है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने रेखांकित कियाकि कोविड ने निवारक स्वास्थ्य देखभाल की विशेषताओं को लेकर जागरुक किया है, विशेष रूपसे भारत जैसे समाज में जहां विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारकों के कारण निवारक चिकित्सा के बारेमें कम जागरुकता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं केलिए अपना आभार जताया, जिसने गरीबों, समाज के निचले वर्ग और कमजोर जनसंख्या को 5 लाख रुपये तकका बीमा कवरेज प्रदान करके निवारक दवा और स्वास्थ्य सेवाकी सुविधा दी है। राज्यमंत्री ने बतायाकि कोविड टीके के विकास और निर्माण प्रक्रिया की व्यक्तिगत रूपसे समीक्षा करने केलिए नवंबर 2020 में प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद के जाइडस बायोटेक पार्क हैदराबाद में भारत बायोटेक और पुणे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा किया था। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री ने उस समय इसे रेखांकित किया थाकि भारत टीकों को वैश्विक अच्छाई मानता है और भारत का कर्तव्य हैकि वह कोविड से अपने पड़ोसी राष्ट्रों सहित अन्य देशों की सामूहिक लड़ाई में सहायता करे।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री ने बतायाकि एकसाल के भीतर मिशन कोविड सुरक्षा ने प्रमुख उपलब्धियों का प्रदर्शन किया। इनमें कैडिला हेल्थकेयर की ओरसे कोविड-19 केलिए विश्व के पहले डीएनए टीके का विकास, जिसे 20 अगस्त 2021 को आपातकालीन उपयोग की अनुमति प्राप्त हुई और कोविड-19 के खिलाफ देशके पहले एमआरएनए टीका और इंट्रानैसल टीका कैंडीडेट के विकास का समर्थन करना शामिल हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि 'सर्वावैक' बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन केसाथ डीबीटी और बीआईआरएसी की साझेदारी का एक परिणाम है। यह सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड काअपने साझेदारी कार्यक्रम 'ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया' के जरिए क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन के स्वदेशी विकास केलिए समर्थित है। उन्होंने कहाकि नतीजे देनेवाले उत्पादों केलिए एकीकृत दृष्टिकोण की भावना में शिक्षा, उद्योग और अनुसंधान को समान भागीदार बनना चाहिए। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने तीन दशक में भारतीय टीका अनुसंधान और विकास को मजबूत करने केलिए सुदृढ़ प्रयास किए हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि बुनियादी और रूपांतरणीय टीका अनुसंधान को बढ़ावा देने केलिए कई महत्वपूर्ण पहलों को लागू किया जा रहा है। इनमें एक भारत-अमेरिका वैक्सीन एक्शन प्रोग्राम दूसरा नेशनल बायोफार्मा मिशन तीसरा भारत-सीईपीआई मिशन और चौथा मिशन कोविड सुरक्षा है। केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि इन पहलों को देशके नागरिकों केलिए जल्द से जल्द सुरक्षित प्रभावशाली सस्ती और सुलभ स्वदेशी कोविड-19 टीका लाने के लक्ष्य केसाथ आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत शुरू किया गया था। डीबीटी के सचिव डॉ राजेश गोखले ने इसे सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों का उत्सव बताया। उन्होंने कहाकि उद्योगों केसाथ साझेदारी अनुसंधान और विकास करने केलिए अविश्वसनीय रूपसे महत्वपूर्ण होती जा रही है, जिसके लिए भारी धनराशि की जरूरत होती है। डॉ गोखले ने कहाकि भारत मानव जाति की बेहतरी केलिए सभी बाधाओं को पार करके टीके के विकास और दवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएगा। सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ एन कलाईसेल्वी ने कहाकि कैंसर का टीका पूरे विश्व और भारत की महिलाओं की बड़ी सहायता करेगा।
डॉ एन कलाईसेल्वी ने कहाकि हम निकट भविष्य में 'सर्वावैक' के संस्करण 1, 2 और 3 को देख सकते हैं, क्योंकि प्रौद्योगिकियां अल्पकालिक हैं। उन्होंने कहाकि 'इंडिया कैन डू' यानी भारत कर सकता है। डॉ कलाईसेल्वी कहा कि हम आत्मनिर्भरता की सच्ची भावना केसाथ भारतीय समस्याओं के भारतीय समाधान लेकर आएंगे। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अडार सी पूनावाला ने कहाकि सीरम संस्थान का मूल दर्शन मां और बच्चों का कल्याण एवं संरक्षण है, क्योंकि एक स्वस्थ भारत ही एक उत्पादक भारत हो सकता है। फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने, जिन्होंने अपने गर्भाशय के कैंसर के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और जीतीं, वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में हिस्सा लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विशेष रूपसे डीबीटी को इस उपलब्धि केलिए धन्यवाद कहा। उन्होंने कहाकि यह भारत में महिलाओं और पूरे विश्व की महिलाओं केलिए एक बड़ा दिन है, क्योंकि कैंसर से आगे जीवन है। अभिनेत्री ने कहा कि लागत प्रभावी निवारक उपचार ऐसे लाखों रोगियों को यस टू लाइफ कहने के लिए प्रेरित करेगा।
डीबीटी में वरिष्ठ सलाहकार और बीआईआरएसी की एमडी डॉ अलका शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। ग्रैंड चैलेंज इंडिया के मिशन निदेशक और बीआईआरएसी में मिशन कोविड सुरक्षा के प्रभारी डॉ शिरशेंदु मुखर्जी ने धन्यवाद भाषण दिया। कार्यक्रम में एम्स दिल्ली में स्त्रीरोग और प्रसूति विज्ञान की प्रोफेसर डॉ नीरजा भाटला, आईएनसीएलईएन दिल्ली के डॉ एनके अरोड़ा, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे के कार्यकारी निदेशक डॉ उमेश शालिग्राम, टीएचएसटीआई फरीदाबाद के सहायक प्रोफेसर डॉ गुरुप्रसाद आर मेदिगेशी और आरजीसीबी तिरुवनंतपुरम के वैज्ञानिक डॉ देवसेना अनंतरमण ने भी हिस्सा लिया।

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