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भारतीय नौसेना केलिए 2 सितंबर ऐतिहासिक!

पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत 'विक्रांत' का नौसेना में कमीशन

विक्रांत है भारत की मेक इन इंडिया मुहिम का वास्तविक प्रमाण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 26 August 2022 03:54:47 PM

aircraft carrier 'vikrant'

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना और संपूर्ण देश केलिए 2 सितंबर 2022 ऐतिहासिक दिन होगा, जब पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत 'विक्रांत' नौसेना में कमीशन किया जाएगा। विक्रांत की कमीशनिंग केसाथ भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा, जिनके पास स्वदेशी रूपसे डिजाइन और एक एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की क्षमता है, यह भारत सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम का एक वास्तविक प्रमाण होगा। आजादी के अमृत महोत्सव में विक्रांत का नौसेना में शामिल होना राष्ट्र केलिए एक गर्व और ऐतिहासिक क्षण होगा, जो हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देनेकी दिशामें क्षमता निर्माण करने में देशके उत्साह का सच्चा प्रमाण है, यह क्षेत्रमें शांति और स्थिरता की दिशामें योगदान करने केलिए भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा। यह जहाज अत्याधुनिक उपकरणों और तेजतर्रार प्रणालियों से लैस है।
विक्रांत की कमीशनिंग और पुनर्अवतरण न केवल भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की दिशामें एक और कदम है, बल्कि 1971 के युद्ध के दौरान बहादुर सैनिकों तथा देशकी स्वतंत्रता के बलिदानियों कोभी विनम्र श्रद्धांजलि है। आत्मनिर्भरता केप्रति देशकी प्रतिबद्धता को साकार करने की दिशामें यह मील का पत्थर साबित होगा, इस महत्वपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे। विक्रांत भारत में बनाया गया अबतक का सबसे बड़ा युद्धपोत है। यह भारतीय नौसेना केलिए स्वदेश में डिजाइन और निर्मित पहला एयरक्राफ्ट कैरियर भी है। भारतीय नौसेना के आंतरिक संगठन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो नेइसे डिजाइन किया है और पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय केतहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड मैसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड नेइसे निर्मित किया है। स्वदेशी विमान वाहक कानाम उसके शानदार पूर्ववर्ती भारतके पहले विमान वाहक युद्धपोत के नामपर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्धमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
विक्रांत का अर्थ है-विजयी और वीर, प्रतिष्ठित आईएसी की नींव अप्रैल 2005 में सेरिमोनियल स्टील कटिंग पर रखी गई थी। स्वदेशीकरण अभियान की मुहिम आगे बढ़ाने केलिए आईएसी के निर्माण हेतु आवश्यक वॉरशिप ग्रेड स्टील का रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला और भारतीय नौसेना के सहयोग एवं स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के माध्यम से सफलतापूर्वक स्वदेशीकरण किया गया था। इसके बाद जहाज के हल के निर्माण का कार्य आगे बढ़ाया गया और फरवरी 2009 में जहाज की कील-लेइंग की गई। जहाज निर्माण का पहला चरण अगस्त 2013 में जहाज की सफल लॉंचिंग केसाथ पूरा हुआ। विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा पोत है, पूरी तरहसे लोड होने पर इसकी लगभग 43000 टन की भारवाहक क्षमता है, जिसमें 7500 नॉटिकल माइल की एंड्योरेंस केसाथ 28 समुद्री मील की अधिकतम गति होती है। जहाज में लगभग 2200 कंपार्टमेंट हैं, जो चालक दलके लगभग 1600 सदस्यों केलिए डिज़ाइन किए गए हैं। इनमें महिला अधिकारियों और नाविकों केलिए विशेष केबिन हैं।
विमानवाहक युद्धपोत ऐसे डिज़ाइन कियागया है, ताकि मशीनरी ऑपरेशंस, शिप नेविगेशन और उत्तरजीविता केलिए बहुत उच्चस्तर का स्वचालन हो। जहाज में नवीनतम चिकित्सा उपकरण सुविधाओं केसाथ अत्याधुनिक मेडिकल कॉम्प्लेक्स है, जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ऑपेरशन थिएटर, आपातकालीन मॉड्यूलर ऑपेरशन थिएटर, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, डेंटल कॉम्प्लेक्स, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं प्रमुखरूपसे शामिल हैं। यह जहाज स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और हल्के लड़ाकू विमान के अलावा मिग-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर बहुभूमिका वाले हेलीकॉप्टरों, 30 विमानों से युक्त एयरविंग का संचालन करने में भी सक्षम होगा। शॉर्टटेक ऑफ बट अरेस्ट रिकवरी नामक एक नोवेल एयरक्राफ्ट-ऑपरेशन मोड का उपयोग करते हुए यह युद्धपोत विमान को लॉंच करने केलिए स्की-जंप से लैस है, जहाज पर उनकी रिकवरी केलिए तीन 'अरेस्टर वायर' का एक सेट शामिल है।
जहाज के प्रणोदन और बिजली उत्पादन उपकरणों की तत्परता का परीक्षण 20 नवंबर को बेसिन परीक्षणों के अंतर्गत किया गया था। विक्रांत ने 21 अगस्त से अबतक समुद्री परीक्षणों के कई चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिसमें जहाज के संचालन की विभिन्न स्थितियों केलिए जहाज के हल का प्रदर्शन, युद्धाभ्यास परीक्षण, मुख्य प्रणोदन, बिजली उत्पादन और वितरण, जहाज की नेविगेशन और संचार प्रणाली, प्रणोदन मशीनरी का परीक्षण, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सुइट्स, डेक मशीनरी, जीवनरक्षक उपकरण, अधिकांश उपकरणों के एकीकृत और सहायक उपकरणों के परीक्षण, जहाज के प्रदर्शन के अनेक आयाम शामिल हैं। सभी परीक्षणों ने भारतीय नौसेना की परीक्षण टीमों एवं चालक दलको संतुष्ट किया है। जहाज के नौसेना में शामिल होने केबाद एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण का अनुभव रखनेवाली उन्नत देशोंकी प्रचलित प्रथाओं के अनुरूप फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट के डेक इंटीग्रेशन ट्रायल और एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स का इस्तेमाल किया जाएगा, जब फ्लाइट सेफ्टी समेत जहाज का ऑपरेशनल कमांड एवं कंट्रोल नौसेना के पास होगा।
विक्रांत के पास बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी हैं, जिसमें देशके प्रमुख औद्योगिक घराने जैसे-बीईएल, भेल, जीआरएसई, केल्ट्रॉन, किर्लोस्कर, एलएंडटी, वार्टसिला इंडिया केसाथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई शामिल हैं। स्वदेशीकरण के प्रयासों से सहायक उद्योगों का विकास हुआ है, इसके अलावा 2000 सीएसएल कर्मियों और सहायक उद्योगों में लगभग 13000 कर्मचारियों केलिए रोज़गार के अवसर पैदा हुए हैं और इस प्रकार देशकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है। एक स्वदेशी विमान वाहक के निर्माण का एक प्रमुख स्पिन ऑफ नौसेना, डीआरडीओ और सेल केबीच साझेदारी के माध्यम से जहाज केलिए स्वदेशी युद्धपोत ग्रेड स्टील का विकास और उत्पादन है, जिसने देशको युद्धपोत स्टील के संबंध में आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बनाया है। परियोजना की स्वदेशी सामग्री लगभग 76 प्रतिशत है। एयरक्राफ्ट कैरियर का स्वदेशी निर्माण 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पहल केलिए देश के प्रयासों का एक शानदार उदाहरण है।

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