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महिला आयोग ने मानव तस्करी रोधी प्रकोष्ठ बनाया

राष्ट्रीय महिला आयोग की 'मानव तस्करी विरोधी जागरुकता' पर संगोष्ठी

संगोष्ठी के तकनीकी सत्रों में मानव तस्करी से निपटने के रास्ते सुझाए गए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 27 June 2022 03:10:20 PM

seminar on anti-human trafficking awareness by women's commission

नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के सहयोग से मानव तस्करी विरोधी जागरुकता पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें मानव तस्करी के परिचय, अवधारणा, प्रकार और मौजूदा प्रतिक्रिया प्रणाली एवं तस्करी के मनोवैज्ञानिक सामाजिक प्रभाव केसाथ-साथ इसकी रोकथाम में नागरिक समाज संगठनों की भूमिका पर चर्चा की गई। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक बालाजी श्रीवास्तव ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की। राष्ट्रीय महिला आयोग ने पूर्व-डीजी एनडीआरएफ एवं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस में पूर्व प्रोफेसर पीएम नायर, मध्य प्रदेश पुलिस में राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल के अतिरिक्त आईजी वीरेंद्र मिश्र, राष्ट्रीय मानसिक जांच एवं स्नायु विज्ञान संस्थान (निमहंस) में व्यवहार विज्ञान विभाग के पूर्व डीन एवं पूर्व निदेशक डॉ शेखर पी शेषाद्रि तथा इंपल्स एनजीओ नेटवर्क की संस्थापक हसीना खरभिह को रिसोर्स पर्सन के रूपमें आमंत्रित किया था।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने प्रभावी मुकाबले केलिए स्रोत पर मानव तस्करी को रोकने के महत्व पर जोर देते हुए कहाकि हमें तस्करी की रोकथाम पर ध्यान देना होगा। उन्होंने बतायाकि राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपना स्वयं का मानव तस्करी रोधी प्रकोष्ठ स्थापित किया है। उन्होंने कहाकि संगोष्ठी के जरिए हम सभीको मानव तस्करी और इसके प्रभावी मुकाबले के बारेमें जागरुकता को बढ़ावा देने केलिए आगे का रास्ता खोजना होगा। बालाजी श्रीवास्तव ने कहाकि बीपीआरएंडडी साइबर अपराध, महिला सुरक्षा जैसे विभिन्न विषयों पर कई सेमिनार और क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है और राष्ट्रीय महिला आयोग केसाथ यह सहयोगात्मक प्रयास मानव तस्करी केबारे में जागरुकता को बढ़ावा देने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। गौरतलब हैकि राष्ट्रीय महिला आयोग ने 2 अप्रैल 2022 को मानव तस्करी के मामलों से निपटने, महिलाओं और लड़कियों केबीच जागरुकता बढ़ाने, क्षमता निर्माण और तस्करी विरोधी इकाइयों के प्रशिक्षण और कानून प्रवर्तन मशीनरी को संवेदनशील तथा सशक्त बनाने केलिए एक मानव तस्करी विरोधी प्रकोष्ठ की स्थापना की थी।
संगोष्ठी को चार तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था-परिचय: मानव तस्करी की अवधारणा, पैटर्न और मौजूदा प्रतिक्रिया प्रणाली, मानव तस्करी के विभिन्न आयाम, तस्करी का मनोवैज्ञानिक सामाजिक प्रभाव और मुक्ति, मुक्ति केबाद देखभाल और पुनर्वास में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका। परिचय: मानव तस्करी की अवधारणा, पैटर्न और मौजूदा प्रतिक्रिया प्रणाली पर तकनीकी सत्र में पीएम नायर ने मानव तस्करी से निपटने केलिए प्रवर्तन एजेंसियों, पुलिस और इसकी प्रभावी रोकथाम केलिए गैर सरकारी संगठनों केबीच तालमेल बनाने और आंदोलन को युवाओं और पंचायतों के स्तर तक लेजाने पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि मानव तस्करी विरोधी प्रकोष्ठ की स्थापना आसान है, लेकिन परस्पर सहयोग आवश्यक है। मानव तस्करी के खिलाफ युवाओं, पंचायतों, गैर सरकारी संगठनों को सशक्त बनाने से बदलाव लाने में मदद मिलेगी, इसे पहचानों, इसपर बोलो, कार्य करो और रोको। वीरेंद्र मिश्रा ने मानव तस्करी से निपटने केलिए 4पी पर ध्यान केंद्रित किया-अवैध व्यापार में रोकथाम, संरक्षण, अभियोजन, भागीदारी, आपराधिक न्याय प्रणाली और सामाजिक न्याय प्रणाली की भूमिका। अवैध मानव व्यापार के विभिन्न आयामों पर सत्र में मानव तस्करी में कमजोर पक्षों का शोषण होता है और इसको रोकने केलिए इसके कारणों का हल तलाशना बहुत जरूरी है।
डॉ शेषाद्रि ने अवैध व्यापार के मनोवैज्ञानिक सामाजिक प्रभाव पर सत्र में कहाकि कई बार परिवार पीड़ित केलिए सबसे अच्छी जगह नहीं होती है और किसी व्यक्ति को उसी स्थान पर वापस भेजना अन्यायपूर्ण और क्रूरता होता है, जहां से उसे अवैध व्यापार में डाला गया था। इससे मुक्त कराए गए व्यक्तियों केलिए सही प्रकार की परामर्श की पहचान के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहाकि हमें यह समझना चाहिए कि निर्देश, सलाह, परामर्श और चिकित्सा समान नहीं हैं। मुक्ति, मुक्ति केबाद देखभाल और पुनर्वास में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका पर हसीना खरभिह ने तस्करी से बचाए गए लोगों को समाज में वापस लाने पर बात की। उन्होंने कहाकि हर कोई सिलाई या कढ़ाई नहीं करना चाहता, यह पुनर्वास नहीं है, हमें मुक्त कराए गए बचे लोगों की आकांक्षाओं को समझना होगा और इनको ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहाकि सरकार, गैर सरकारी संगठनों और सीएसआर भागीदारी के सहयोग से एक पीपीपी मॉडल इन महिलाओं के सफल पुनर्वास और सशक्तिकरण में मदद कर सकता है।
तकनीकी सत्रों के बाद विस्तृत ओपन हाउस चर्चा हुई और रिसोर्स पर्सन्स ने मानव तस्करी से निपटने केलिए आगे का रास्ता सुझाया। विशेषज्ञों के महत्वपूर्ण सुझाव यह थेकि प्रत्येक राज्य महिला आयोग का अपना एक मानव तस्करी रोधी प्रकोष्ठ होना चाहिए, मानव तस्करी के मामलों में पालन करने केलिए सभी संगठनों केलिए एक टेम्पलेट या मानक संचालन प्रक्रिया बने, सभी हितधारकों का संयुक्त प्रशिक्षण एवं कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में मानव तस्करी रोधी प्रकोष्ठों की स्थापना किए जाने के साथही योजनाओं और मुआवजे सहित कानूनी व्यवस्था में उपलब्ध प्रावधान अन्य सुझावों के साथ-साथ पंचायत स्तर पर सभी को इसकी जानकारी होनी चाहिए। प्रतिभागियों में राज्य महिला आयोग, राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के महिला एवं बाल विकास विभाग, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अर्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारी, सरकारी संगठन, राष्ट्रीय आयोग, प्रशासनिक, न्यायपालिका और पुलिस प्रशिक्षण संस्थान, गैर-सरकारी संगठन, चिकित्सा संस्थानों के निदेशक तथा विश्वविद्यालय और कॉलेज शामिल थे।

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