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नौसेना के फ्रंटलाइन युद्धपोतों का जलावतरण

'विश्व को भारत की सामरिक ताकत व आत्मनिर्भरता का परिचय'

रक्षामंत्री ने किया आईएनएस सूरत और उदयगिरी का जलावतरण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 17 May 2022 03:02:43 PM

defense minister launches frontline warships

मुंबई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज मझगांव डॉक्स लिमिटेड मुंबई में भारतीय नौसेना के दो फ्रंटलाइन युद्धपोतों-आईएनएस सूरत गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर और आईएनएस उदयगिरी स्टील्थ फ्रिगेट का समारोहपूर्वक जलावतरण कर दिया है। नौसेना परंपराओं को ध्यान में रखते हुए अध्यक्ष एनडब्ल्यूडब्ल्यूए (पश्चिमी क्षेत्र) चारू सिंह और सीएमडी एमडीएल की पत्नी जयश्री प्रसाद ने क्रमशः 'सूरत' और 'उदयगिरी' जहाजों को आशीर्वाद और नाम दिया। समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार एवं भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। गौरतलब हैकि सूरत पी15बी श्रेणी का चौथा निर्देशित मिसाइल विध्वंसक है, जबकि उदयगिरी पी17ए श्रेणी का दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट है। दोनों युद्धपोतों को नौसेना डिजाइन निदेशालय ने इन-हाउस डिजाइन किया है और एमडीएल मुंबई में बनाया गया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर युद्धपोतों को ऐसे समय में जब दुनिया कोविड-19 और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान देख रही है 'आत्मनिर्भर भारत' प्राप्त करने पर ध्यान देने केसाथ देश की समुद्री क्षमता को बढ़ाने केलिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता के एक अवतार के रूपमें वर्णित किया। राजनाथ सिंह ने कहाकि दोनों युद्धपोत भारतीय नौसेना के शस्त्रागार में ताकत बढ़ाएंगे और दुनिया को भारत की रणनीतिक ताकत केसाथ-साथ आत्मनिर्भरता की शक्ति का प्रतिनिधित्व करेंगे। रक्षामंत्री ने कहाकि आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस सूरत भारत की बढ़ती स्वदेशी क्षमता के शानदार उदाहरण हैं और ये युद्धपोत दुनिया के सबसे तकनीकी रूपसे उन्नत मिसाइल वाहक हैं, जो वर्तमान केसाथ भविष्य की आवश्यकताओं को भी पूरा करेंगे। उन्होंने कहाकि आनेवाले समय में हम न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेंगे, बल्कि दुनिया की जहाज निर्माण की जरूरतों को भी पूरा करेंगे, हम जल्दही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' विजन को साकार करेंगे।
रक्षामंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को खुला और सुरक्षित रखने के अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारी से निर्वहन करने केलिए भारतीय नौसेना की सराहना की। उन्होंने कहाकि भारत-प्रशांत क्षेत्र पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था केलिए महत्वपूर्ण है, भारत इस क्षेत्र में एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक है। रक्षामंत्री ने कहाकि हम सर्वसम्मति आधारित सिद्धांतों और शांतिपूर्ण, खुले, नियम आधारित और स्थिर समुद्री व्यवस्था का समर्थन करते हैं, इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण देश होने के नाते, हिंद-प्रशांत को खुला और सुरक्षित रखना हमारी नौसेना का प्राथमिक उद्देश्य है। उन्होंने कहाकि क्षेत्रमें सभी केलिए सुरक्षा और विकास (सागर) का प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण पड़ोसियों केसाथ मित्रता, खुलेपन, संवाद और सहअस्तित्व की भावना पर आधारित है, इसी दृष्टि से भारतीय नौसेना अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर रही है। राजनाथ सिंह ने कहाकि हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार विकसित हो रहा सुरक्षा परिदृश्य आनेवाले समय में भारतीय नौसेना की और भी महत्वपूर्ण भूमिका की मांग करेगा। उन्होंने ऐसी नीतियां तैयार करने का आह्वान किया, जो इस क्षेत्रमें देश की उपस्थिति, आपदाओं के दौरान इसकी भूमिका, आर्थिक भलाई और विदेश नीतियों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित हों।
रक्षामंत्री ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान), बिम्सटेक देश और बंगाल की खाड़ी की बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग पहल केसाथ संबंधों को मजबूत करने के अलावा एक्ट-ईस्ट जैसी नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने केलिए भारतीय नौसेना की भी प्रशंसा की। संयुक्तराज्य अमेरिका इंडो-पैसिफिक कमांड के मुख्यालय की अपनी हालिया यात्रा को याद करते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि उन्होंने भारत केसाथ काम करने की इच्छा व्यक्त की है, जो भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता का प्रतीक है, विशेष रूपसे भारतीय नौसेना के किए जा रहे उल्लेखनीय एवं सराहनीय कार्य। रक्षामंत्री ने कहाकि यदि कोई देश अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना चाहता है तो उसे अपने सैन्य कौशल को मुख्य भूमि से बहुत दूर के क्षेत्रों में प्रदर्शित करना चाहिए, यदि किसी देश की क्षेत्रीय या वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा है तो एक मजबूत नौसेना बल विकसित करना आवश्यक है और भारत सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहाकि हम एक मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध भारत बनाना चाहते हैं, जिसे एक वैश्विक शक्ति के रूपमें मान्यता प्राप्त है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि वैश्विक सुरक्षा, सीमा विवाद और समुद्री प्रभुत्व ने दुनियाभर के देशों को अपनी सेना का आधुनिकीकरण करने केलिए प्रेरित किया है। रक्षामंत्री ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को सरकार की नीतियों का लाभ उठाकर क्षमताओं का पूरा उपयोग करने और भारत बनाने की दिशा में योगदान करने का आह्वान किया है। उन्होंने इस प्रयास में सरकार के हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया है। राजनाथ सिंह ने इस तथ्य की सराहना कीकि भारतीय नौसेना हमेशा स्वदेशी जहाजों, पनडुब्बियों आदि के निर्माण से आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने में सबसे आगे है। उन्होंने बतायाकि 'मेक इन इंडिया' जैसी पहल केसाथ हाथ मिलाते हुए नौसेना ने आवश्यकता की 76 प्रतिशत स्वीकृति दी है, भारतीय विक्रेताओं को 66 प्रतिशत लागत-आधार अनुबंध दिए हैं, लगभग 90 प्रतिशत नौसेना गोला-बारूद का स्वदेशीकरण किया गया है, इसके अलावा इन पांच वित्तीय वर्ष में नौसेना के आधुनिकीकरण बजट का दो-तिहाई से अधिक स्वदेशी खरीद पर खर्च किया है और नौसेना के ऑर्डर किएगए 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 भारतीय शिपयार्ड से हैं।
रक्षामंत्री ने कहाकि यह आत्मनिर्भर भारत को प्राप्त करने केलिए नौसेना की प्रतिबद्धता का एक वसीयतनामा है। रक्षामंत्री ने स्वदेशी विमान वाहक 'आईएनएस विक्रांत' का विशेष उल्लेख करते हुए इसे भारतीय नौसेना के आत्मनिर्भर भारत के पथमें एक प्रमुख मील का पत्थर बताया। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि वाहक हिंद महासागर से प्रशांत और अटलांटिक महासागर तक भारत की पहुंच बढ़ाएगा। गौरतलब हैकि डीएनडी और एमडीएल टीमों ने एकबार फिर गुणवत्तापूर्ण युद्धपोतों के डिजाइन और निर्माण में अपनी शानदार क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। प्रोजेक्ट 15बी श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना की अगली पीढ़ी के स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर हैं, जिन्हें एमडीएल में बनाया जा रहा है, जो हथियार गहन पी15ए (कोलकाता क्लास) डिस्ट्रॉयर्स के फॉलो-ऑन क्लास हैं। पी17ए फ्रिगेट्स युद्धपोत हैं, जो P17 (शिवालिक क्लास) फ्रिगेट्स के फॉलो-ऑन क्लास हैं, जिनमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार, सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम हैं। एमडीएल और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में सात पी17ए फ्रिगेट निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट जैसे जटिल फ्रंटलाइन प्लेटफार्मों का स्वदेशी निर्माण आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के अनुरूप है।

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