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भारत उम्मीदों का गुलदस्ता-प्रधानमंत्री

'भारत अगले 25 वर्षों के लक्ष्य को लेकर बना रहा नीतियां'

प्रधानमंत्री का दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन में विशेष संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 18 January 2022 02:58:05 PM

pm special address at the world economic forum's davos agenda 2022

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व आर्थिक मंच के दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन में विश्व की स्थिति विषय पर विशेष संबोधन में कहा हैकि भारत जैसी मजबूत डेमोक्रेसी ने पूरे विश्व को एक खूबसूरत उपहार दिया है। उन्होंने कहाकि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है, जिसने मानवजाति को उम्मीदों का गुलदस्ता दिया है, जिसमें भारतीयों का लोकतंत्र, प्रौद्योगिकी में अटूट विश्वास निहित है तथा जो 21वीं शताब्दी और भारतीयों की प्रतिभा व मनोदशा को शक्ति सम्पन्न बना रहा है। भारत कोविड महामारी की एक और लहर का सावधानी और विश्वास केसाथ मुकाबला कर रहा है तथा तमाम उम्मीदभरे नतीजों के साथ आर्थिक क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कोरोनाकाल केदौरान भारत ने अपनी परिकल्पना ‘एक विश्व, एक स्वास्थ्य’ का पालन करते हुए जरूरी दवाएं और वैक्सीन की आपूर्ति करके कई जिंदगियां बचाई हैं। उन्होंने कहाकि भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फार्मा उत्पादक देश है और उसे विश्व की फार्मेसी के तौरपर जाना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत दुनिया में रिकॉर्ड सॉफ्टवेयर इंजीनियर भेज रहा है, पचास लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर डेवलेपर्स भारत में काम कर रहे हैं। उन्होंने बतायाकि भारत केपास दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे ज्यादा यूनीकॉंर्स हैं, दस हजार से ज्यादा स्टार्ट-अप्स पिछले छह माह में पंजीकृत हुए हैं। उन्होंने बतायाकि आज भारत के पास विश्व का सबसे बड़ा, सुरक्षित और सफल डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है तथा सिर्फ पिछले महीने में ही यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस के जरिए 4.4 अरब लेन-देन हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत व्यापार सुगमता को बढ़ावा दे रहा है तथा सरकार के दखल को कम से कम कर रहा है, कॉर्पोरेट टैक्स दरों को सरल बनाकर, कम करके, उसे दुनिया में हमने अत्यंत प्रतिस्पर्धी बना दिया है। उन्होंने कहाकि भारत में ड्रोन, स्पेस, भू-स्थानिक मानचित्रण जैसे नियंत्रण-मुक्त क्षेत्र हैं और भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी तथा बीपीओ सेक्टर संबंधी पुराने दूरसंचार नियमों में सुधार किए हैं।
भागीदार के रूपमें भारत के बढ़ते आकर्षण का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत विश्व आपूर्ति श्रृंखला में दुनिया का भरोसेमंद साझीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है तथा भारत कई देशों केसाथ मुक्त व्यापार समझौतों की राह बना रहा है। उन्होंने कहाकि भारत की नवोन्मेष, प्रौद्योगिकी को अपनाने की क्षमता और उद्यमशीलता की भावना उसे आदर्श विश्व साझीदार के योग्य बनाती है, इसीलिए भारत में निवेश का यह सबसे अच्छा समय है। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारतीय युवाओं में आज उद्यमशीलता एक नई ऊंचाई पर है, वर्ष 2014 में जहां भारत में कुछ सौ पंजीकृत स्टार्ट-अप थे, वहीं आज इनकी संख्या 60 हजार के पार हो चुकी है, इनमें से 80 से ज्यादा यूनीकॉंर्स हैं, जिनमें से 40 से ज्यादा तो 2021 में ही बने हैं। भारत के आत्मविश्वास से भरे नजरिये को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि जब कोरोनाकाल में दुनिया थोड़े-बहुत सुगम उपाय कर रही थी, उस समय भारत अपने सुधारों को मजबूत बना रहा था।
प्रधानमंत्री ने बतायाकि भारत ने भौतिक और डिजिटल अवसंरचना में बड़े कदम उठाए हैं, जिनमें छह लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर, संपर्कता सम्बंधी बुनियादी ढांचे में 1.3 ट्रिलियन डॉलर का निवेश, परिसम्पत्ति मौद्रीकरण तथा गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर-प्लान के जरिए 80 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य शामिल है, ताकि सामान, लोगों और सेवाओं की निर्बाध संपर्कता में नई ऊर्जा पैदा करने केलिए हितधारकों को एकल प्लेटफार्म मिल सके। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलते हुए भारत का ध्यान सिर्फ प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर ही नहीं है, बल्कि निवेश और उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर भी है, इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण यह हैकि आज 14 सेक्टरों में 26 अरब डॉलर की उत्पादन युक्त प्रोत्साहन योजना लागू की गई है। उन्होंने कहाकि आज भारत वर्तमान के साथ ही अगले 25 वर्ष के लक्ष्य को लेकर नीतियां बना रहा है, निर्णय ले रहा है, इस कालखंड में भारत ने उच्च वृद्धि, कल्याण और आरोग्य को उच्चतम स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, विकास का यह कालखंड हरित, स्वच्छ, सतत होने के साथ-साथ भरोसेमंद भी होगा।
प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारी जीवनशैली भी जलवायु केलिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहाकि प्रयोग करो और फेंक दो की संस्कृति और उपभोक्तावाद ने जलवायु चुनौतियों को और गंभीर बना दिया है। उनहोंने कहाकि आज की ‘लो-बनाओ-इस्तेमाल करो-फेंक दो’ वाली अर्थव्यवस्था को तेजी से सतत अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ाना बहुत जरूरी है। कॉप-26 सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने मिशन लाइफ पेश किया था, जिसका उल्लेख देते हुए उन्होंने कहाकि लाइफ जैसी जनभागीदारी के अभियान को पी-3, यानी ‘प्रो प्लैनेट पीपुल’ का एक बड़ा आधार भी बना सकते हैं। उन्होंने कहाकि लाइफ यानी ‘लाइफ फॉर एनवॉयरेनमेंट’ हर स्थिति में ग्राह्य और सतत जीवनशैली की परिकल्पना है, जो जलवायु सम्बंधी भावी संकटों और अप्रत्याशित चुनौतियों से निपटने केलिए उपयोगी हो सकती है। नरेंद्र मोदी ने लक्ष्य की निर्धारित अवधि के काफी पहले ही भारत द्वारा जलवायु लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रभावशाली रिकॉर्ड केबारे में भी मंच को अवगत कराया।
प्रधानमंत्री ने विश्व व्यवस्था की बदलती वास्तविकताओं के अनुसार खुद को ढालने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहाकि बदलती विश्व व्यवस्था में विश्व परिवार नई चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने इसका मुकाबला करने केलिए हर देश और हर वैश्विक एजेंसी का सामूहिक और समकालिक कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट, मुद्रास्फीति और जलवायु परिवर्तन इन्हीं के उदाहरण हैं। उन्होंने क्रिप्टो-करेंसी का भी उदाहरण दिया और कहाकि जिस तरह की प्रौद्योगिकी इससे जुड़ी है, उसमें किसी एक देश केलिए गए फैसले, इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे। उन्होंने कहाकि हमें एक समान सोच रखनी होगी। उन्होंने सवाल उठायाकि आज वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए क्या बहुमुखी संगठन, नई विश्व व्यवस्था और नई चुनौतियों से निपटने केलिए तैयार हैं? जब ये संस्थाएं बनी थीं, तो स्थितियां कुछ और थीं और आज परिस्थितियां कुछ और हैं। उन्होंने कहाकि हर लोकतांत्रिक देश का यह दायित्व हैकि वह बहुमुखी संस्थाओं में सुधारों पर बल दे, ताकि उन्हें वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके।

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