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मकर संक्रांति पर देशभर में होंगे दिव्य आयोजन

मकर संक्रांति के दिन 75 लाख लोग करेंगे एक साथ सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार का मनुष्य के जीवन व प्रकृति पर चमत्कारिक असर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 6 January 2022 05:08:17 PM

makar sankranti (file photo)

नई दिल्ली। भारतीयों की आस्था धर्म-आध्यात्म एवं प्रकृति और मनुष्य के जीवन में नव दिव्य कलाओं के महान पर्व मकर संक्रांति को और अधिक खास बनाने के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इसबार बड़ी तैयारी की है। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि 14 जनवरी यानि मकर संक्रांति के दिन 75 लाख लोग एकसाथ सूर्य नमस्कार करेंगे, जिसमें देश-विदेश के लोग भी शामिल होंगे। इस अभियान में विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ योग एवं सामाजिक क्षेत्र की बड़ी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा रहा है। आयुष मंत्री ने कहाकि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आम लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाना बहुत जरूरी है, इसके लिए अधिक से अधिक लोगों को सूर्य नमस्कार करने केलिए प्रेरित किया जाएगा। गौरतलब हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविडकाल में आयुष मंत्रालय के कामकाज की तारीफ कर चुके हैं।
आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं से बचाव किया जा सकता है, स्वास्थ्य लाभ पाया जा सकता है। उन्होंने कहाकि हम सिर्फ सूर्य नमस्कार ही नहीं, बल्कि योगासन, आयुर्वेद, होम्योपैथी, सिद्ध, नेचुरोपैथी और यूनानी आदि के माध्यम से आम लोगों की स्वास्थ्य देखभाल कर रहे हैं। उन्होंने आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन का पालन कराने की अपील भी की। आयुष भवन में आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और राज्यमंत्री आयुष मुंजपरा महेंद्रभाई ने आयुष मंत्रालय के अधिकारियों केसाथ बैठक की और कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आयुष अभियानों को और अधिक विस्तारित करने के निर्देश दिए। गौरतलब हैकि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर में आयुष मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर आम लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने केलिए आयुष क्वाथ (काढ़ा), आयुष-64, कबासुरा कुडिनीर और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने केलिए स्वास्थ्य रक्षा किट और आयु रक्षा किट को तैयार किया था, जिनसे आम लोगों को बहुत फायदा हो रहा है।
मकर संक्रांति भारत का एक प्रमुख पर्व है, जो पौष मास में और जब सूर्य मकर राशि पर आता है, तब इस पर्व को भक्तिभाव से मनाया जाता है। लाखों-करोड़ों लोग ब्रह्ममुहूर्त में गंगा में डुबकी लगाते हैं। ब्रह्ममुहूर्त में इसलिए कि उगते सूर्य की किरणें गंगा में प्रवेश करती हैं और ये मानव और वन्य जीवन को ही नहीं, बल्कि प्रकृति को आश्चर्यजनक ऊर्जा प्रदान करती हैं। यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य हैकि शताब्दियों से यह मकर संक्रांति जनवरी माह के चौदहवें या पंद्रहवें दिन ही पड़ती है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति पूरे भारत में विभिन्न रूपमें मनाई जाती है, तमिलनाडु में यह पोंगल उत्सव है, जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रांति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं। यह भी एक भ्रांति हैकि उत्तरायण भी इसी दिन होता है, किंतु मकर संक्रांति उत्तरायण से भिन्न है। मकर संक्रांति पर तिलगुड़ खाने-खिलाने की भी परंपरा है।
मकर संक्रांति पर स्नान एवं खासतौर से सूर्योदय पर गंगातट पर स्नान दान अत्यंत शुभ माना गया है। दुर्भाग्य यह हैकि सूर्य नमस्कार के इस महान उत्तरदान को देश में एक समुदाय के लोगों ने धर्म से जोड़ लिया है। भारत में यह पर्व छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू में मकर संक्रांति नाम से, तमिलनाडु में ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल, गुजरात, उत्तराखंड में उत्तरायण, जम्मू में उत्तरैन, माघी संगरांद, कश्मीर घाटी में शिशुर सेंक्रात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब में माघी, असम में भोगाली बिहु, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में खिचड़ी, पश्चिम बंगाल कर्नाटक में पौष संक्रांति जैसे विभिन्न नामसे मनाया जाता है। भारत के बाहर बांग्लादेश में इसे पौष संक्रांति, नेपाल में माघे संक्रांति या 'माघी संक्रांति' 'खिचड़ी संक्रान्ति', थाईलैंड में सोंगकरन, लाओस में पि मा लाओ, म्यांमार में थिंयान, कम्बोडिया में मोहा संगक्रान और श्रीलंका में पोंगल, उझवर तिरुनल के रूपमें जाना जाता है। इस अवसर पर आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और आयुष विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक भी मौजूद थे। 

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